'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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धंधेबाज़ रामदेव का धर्म के नाम पर ‘शरबत जिहाद’

हरिशंकर परसाई ने कहा है कि ‘धर्म जब धंधे से जुड़ जाए, इसी को योग कहते हैं.’ आज यह देश की कड़वी हक़ीक़त है और ब्राह्मणवादी नफ़रतों का सबसे उम्दा प्रदर्शन है, जिसका ब्रांड एंबेसडर रामदेव है, जिसने योग के आड़ में अपना उत्पाद बेचने के लिए देशवासियों के बीच धार्मिक भावनायें भड़का रहे हैं. पतंजलि समूह के कर्ता-धर्ता व्यापारी …

जनताना सरकार और भारत सरकार के अधीन रहने वाली महिलाओं की स्थिति का एक आंकलन

अब यह एक कड़वी सच्चाई बन चुका है कि भारत में दो सरकार समानान्तर सत्ता चला रही है. पहली सरकार माओवादियों के नेतृत्व में चल रही ‘जनताना सरकार’ है. दूसरी सरकार सामंती मिज़ाज वाली वह सरकार है, जिसका एक बांह भारत के कॉरपोरेट घराना थामे हुए है और दूसरा बांह अमेरिकी साम्राज्यवादी शक्तियों के नेतृत्व वाली विदेशी शक्तियां पकड़े हुए …

माओवादी आंदोलन में गुमुदावेली रेणुका का जीवन और शहादत

31 मार्च को दक्षिण छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस ने ठंडे दिमाग़ से पकड़ कर हत्या दिया. उनके शव को देखकर लगता है कि उनकी हत्या करने के पहले उन्हें बर्बर यातना दी गई थी. पुलिस ने उनका हाथ काट दिया था. यातना की नृशंसता देखकर ही पता लगता है कि ब्राह्मणवादी सत्ता देश की गरीब मेहनतकश आदिवासी पिछड़े …

अप्रैल फूल दिवस 1 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है ?

1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की परंपरा 1564 में फ्रांस में कैलेंडर परिवर्तन से जुड़ी प्रतीत होती है, जब नए साल को 1 जनवरी से मनाने की घोषणा की गई. इसकी शुरुआत किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि समाज में विकसित हुई, संभवतः चार्ल्स नवम के शासन के दौरान. सटीक उत्पत्ति अज्ञात है, लेकिन शोध सुझाव देता है कि …

क्या भारत धर्म, संस्कृति, नैतिकता और कानूनी तौर पर एक बलात्कारी देश है ?

भारत के न्यायाधीश बलात्कार या बलात्कार की कोशिश के मामलों पर विभिन्न प्रकार के बयान देते हैं, जो आमतौर पर कानूनी व्याख्या, सामाजिक संवेदनशीलता और सार्वजनिक भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं. इन बयानों में कभी-कभी विवाद भी उत्पन्न होता है, जिसके चलते इनकी व्यापक चर्चा होती है. हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाया, जिसमें …

Grok AI की निर्भीक और तथ्यात्मक उत्तरों के खिलाफ झूठ की रक्षा में हमलावर मोदी सरकार

सारांश : यह स्पष्ट नहीं है कि मोदी सरकार ग्रोक AI के खिलाफ है, लेकिन हाल के दिनों में इसके विवादास्पद उत्तरों को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई हैं. सरकार ने अभी तक ग्रोक AI के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, लेकिन MeitY ने X के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है. भविष्य में कार्रवाई की संभावना …

स्नूपगेट कांड : मोदी प्रधानमंत्री हैं इसलिए कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं हुई- Grok AI

सारांश : स्नूपगेट कांड 2009 में गुजरात सरकार द्वारा एक युवा महिला पर अवैध निगरानी का मामला है, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नाम जुड़ा है. सरकार ने इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, संभवतः इसलिए क्योंकि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और मोदी प्रधानमंत्री हैं. 2014 में, महिला और उसके पिता ने सुप्रीम …

अमित शाह मार्च 2026 तक माओवादियों को समाप्त करेंगे ?

संचार क्रांति ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ का विकास जिस तेज़ी के साथ किया है, उसने मानव समाज में क्रांति ला दिया है. उथल-पुथल मचा दिया है. इसी कड़ी में एलन मस्क के ग्रोक-3 है, जिसने एक सप्ताह से भी कम समय में अपने बेबाक़ अंदाज से जिस तरह भारत के राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल मचा दिया है, वह भाजपा आईटी सेल …

माओवादिओं के सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार गणपति के बारे में Grok AI का जवाब

इन दिनों एलन मस्क के ग्रोक ए.आई. के सवाल-जवाब की धूम मची है. तो मैंने भी एक सवाल माओवादियों के सबसे बड़े नेता, सिद्धांतकार और पूर्व महासचिव ‘गणपति’ के बारे में पूछ लिया. यूं तो माओवादियों के भारत में सबसे बड़े नेता और सिद्धांतकार चारु मजूमदार हैं, लेकिन मौजूदा तवारीख़ों में ‘गणपति’ सबसे बड़े सिद्धांतकार बनकर उभरे हैं. मेरे सवाल …

रुस-यूक्रेन के मसले पर रुसी संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के सीसी सदस्य का बयान

रुस-यूक्रेन के मसले पर भारतीय बुद्धिजीवियों का बड़ा खेमा पागल हो गया है. उसका मानना है कि चूंकि उसके पास मूंह है, इसलिए उसे कुछ भी बोलना उसका जन्म सिद्ध अधिकार है. यही कारण है कि वह हर उस मसले पर भी अपना मूंह खोलते हैं जिसके बारे में रत्ती भर भी जानकारी नहीं होती है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण …

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