'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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‘किसी की ट्रेजडी किसी की कॉमेडी बन जाती है’ – चार्ली चैपलिन

एक बार आठ-दस साल का चार्ली चैप्लिन लंदन की दुपहरी में घर के बाहर खड़ा था. बस यूं ही गली की हलचल देख टाइमपास कर रहा था. तभी उसने देखा कि एक आदमी छोटे से मेमने को पकड़े हुए गली से गुज़र रहा है. गली के सिरे पर एक कसाईखाना था. अचानक ही मेमना उस आदमी की पकड़ से छूट …

…इसके बावजूद इन चुनावों में बहुत कुछ दांव पर है

लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है, लेकिन मतदाताओं में उत्साह नहीं दिखलाई देता. पहली बार मतदान करने जा रहे युवाओं ने तो लगभग मुंह ही फेर लिया है. ये एक स्वप्नहीन चुनाव है. एक तरह का यथास्थितिवाद लोकमानस पर हावी है. वोट बदलाव के लिए दिए जाते हैं, लेकिन बदलाव की सूरत नज़र नहीं आती, …

मज़दूरों के लिए इतना बुरा वक़्त कभी नहीं रहा

‘बदलते पर्यावरण के मद्देनज़र, कार्य क्षेत्र पर सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सुनिश्चित करना’, विषय पर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ की रिपोर्ट, 22 अप्रैल 24 को प्रकाशित हुई. मज़दूर वर्ग से प्रतिबद्धता रखने वाले, संवेदनशील व्यक्ति के लिए, इस रिपोर्ट को पढ़ना बहुत मुश्किल काम है. समूची दुनिया में आज पूंजी का राज़, पूंजीवाद क़ायम है. पूंजीवाद में, पूंजी और श्रम के बीच …

लेनिन और लेनिनवाद

मार्क्स और एंगेल्स के अनुगामी लेनिन समूची दुनिया के सर्वहारा वर्ग, मेहनतकश अवाम और उत्पीडित राष्ट्रों के महान क्रान्तिकारी शिक्षक रहे. साम्राज्यवाद के युग की ऐतिहासिक परिस्थिति में और सर्वहारा समाजवादी क्रान्ति की ज्वालाओं के बीच लेनिन ने मार्क्स और एंगेल्स की क्रान्तिकारी शिक्षाओं को विरासत के रूप में ग्रहण किया, मजबूती से उनकी हिफाजृत की, वैज्ञानिक रूप से उन्हें …

Reform or Retard

‘सुधार’ शब्द को साज़िशन बहु आयामी बना दिया गया है. साधारण अर्थ में सुधार मतलब कोई भी ऐसा कदम जो बेहतरी के लिए लिया गया हो, चाहे वह व्यक्ति के लिए हो या समाज, राजनीति, न्याय व्यवस्था, प्रशासन, अर्थ नीति या चुनाव हो. बाल अपराधियों को सुधार गृह में भेजने की परंपरा रही है, न कि चोर-उचक्कों और हत्यारों-रेपिस्ट लोगों …

फेसबुक और निकम्मे प्रोफेसर !

हमारे बहुत सारे रीयल मित्र मेरी आलोचना करते हैं और खिल्ली उड़ाते हैं कि यह क्या तमाशा कर रहे हो, हर समय फेसबुक पर लिखते रहते हो, फेसबुक लेखन किसी काम नहीं आएगा, कोई याद नहीं रखेगा इसे, समय बर्बाद करना बंद करो और किताबें लिखो, जमीनी स्तर पर काम करो. मैं अपने मित्रों से सहमत नहीं हूं. मेरा मानना …

ग़रीब विद्रोह करते हैं, भिखारी नहीं

अंग्रेजों ने ग़रीब बनाए थे और मोदी ने भिखारी. ग़रीब विद्रोह करते हैं, भिखारी नहीं. इसलिए चुनावी नतीजों के विश्लेषण के पहले लाभार्थी (यानि भिखारी) चेतना का ध्यान रखें, ख़ास कर गोबर पट्टी में, वर्ना आपके सारे आकलन धरे रह जाएंगे. आपको गोबर पट्टी के लोगों की स्वैच्छिक ग़ुलाम बनने की ख़ुशी और उन्हें ऐसा बनाने वालों के प्रति अपार …

प्रेम, परिवार और पितृसत्ता

प्रेम करो तो जरुरी नहीं है कि प्रेमिका या प्रेमी का प्रेम में पितृसत्तात्मक व्यवहार न हो ! प्रेमी ने बहुत सोच-विचार और वैचारिक मंथन के बाद तय किया कि शादी करेंगे. सोचा नए क़िस्म का परिवार बनाएंगे लेकिन यह सपना बहुत जल्द टूट गया. प्रेमिका शादी के बाद पुंसवादी तेवर के साथ आचरण करने लगी. उसे लगा कि घर …

डिक्टेटर का आत्मविश्वास : बेशर्मी अब तेरा ही आसरा है !

प्रधानमंत्री कभी मर्यादित भाषा बोलने के लिए ‘बदनाम’ नहीं रहे. मगर मतदान का पहला चरण खत्म होने के बाद उनकी घबराहट और डर और अधिक सामने आ रहा है. एक दिन कहते हैं कि देश और विदेश के ताकतवर लोग मुझे हटाना चाहते हैं. उसके एक दिन और पहले कहते हैं कि कांग्रेस आ गई तो आपकी मेहनत का सारा …

बाबा रामदेव श्रद्धा और अंधश्रद्धा के कांबो से पीड़ित रोगी समाज के लक्षण हैं

पिछले कुछ दशकों में भारत में कई बाबाओं का उदय हुआ है. इसके पहले भी बाबा हुआ करते थे मगर इन दिनों बाबाओं का जितना राजनैतिक और सामाजिक दबदबा है, उतना पहले शायद कभी नहीं रहा. कई बाबा अनेक तरह के काले कामों में लिप्त भी पाए गए हैं मगर उनकी दैवीय छवि के चलते उनके अपराधों को नज़रअंदाज़ किया …

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