जलभूमि जीवन का सोच्चार चीत्कार है तुम्हारे अरदास के पलटते पन्ने परिंदों के पंख के परवाज़ अदिती क्यों बार बार मैं विघ्न डालता हूं तुम्हारी पूजा में मुझे तो मालूम है सूर्यास्त का सच क्रौंच वध की बेला में छूट गए जो वाण अनायास शक्ति की संहिता में एक पन्ना मेरा भी हो इसी अथक प्रयास में घूर्णी में आत्मसात …