'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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पुस्तक / फिल्म समीक्षा

नवनीत पांडेय : ‘भले ही हम थोड़े हैं पर हथौड़े हैं’

यदि पाने की महत्वाकांक्षा से आप मुक्त हैं , तो खोने का मलाल भी आपमें नहीं रहेगा. तब आप स्वायत्त भी होंगे, और ईमानदार भी. आपकी वही स्वायत्तता आपको इतना मुखर बना देगी कि आप सबका ‘काट’ बन सकते हैं ! सबसे आंखें चार कर सकते हैं !! नवनीत पांडेय को जब भी देखा, मैंने इसी तरह से देखा. समकालीन …

क्रांतिकारी कवि वरवर राव की नजरबंदी त्रासदपूर्ण अन्याय रही !

सत्ता की कान में आसानी से कोई जूं रेंगती नहीं है. इसका यह आशय नहीं है कि एक अकेले आपके कहने से कुछ नहीं होगा. होगा, ज़रूर होगा, बस निकल पड़ने की कवायद तो कीजिए कारवां बन जाएगा. असहमत, हताश, निराश लोगों की उम्मीद तो बनिए. जद़ कि जत्थे में सब आएंगे, साथ आएंगे. भरोसा बनिए. यह दुनिया हमेशा आधी …

‘संकोफ़ा’ : क्योंकि इतिहास कभी अलविदा नहीं कहता…

‘ओपन वेन्‍स ऑफ लैटिन अमरीका’ जैसी चर्चित पुस्‍तक के लेखक ‘एडुवार्डो गैलीयानों’ ने कहीं इतिहास के बारे में लिखा है कि इतिहास कभी भी हमें अलविदा नहीं कहता, बल्कि कहता है – ‘फिर मिलेंगे.’ (History never really says goodbye. History says, ‘See you later.’) इस बार अफ्रीका के गुलामी वाले दौर के इतिहास से मुलाकात अमरीका में क्रान्तिकारी ब्‍लैक सिनेमा …

‘The Underground Railroad’ : स्क्रीन पर सांस लेता इतिहास

आज यह स्थापित बात है कि अधिकांश ‘मेडिकल साइंस’ और ‘एनाटोमी’ कालों के शरीर की चीरफाड़ करके और उनके शरीर पर खतरनाक मेडिकल प्रयोग करके विकसित हुआ है. जिस समय दक्षिण अमेरिका में गुलामी चरम पर थी, उसी समय एक गुप्त ‘The Underground Railroad’ नेटवर्क भी काम कर रहा था. जिसका इस्तेमाल करके काले गुलाम उत्तरी अमेरिका के उन राज्यों …

स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा ‘मेरा जीवन संघर्ष’ उनके जीवनकाल में क्यों प्रकाशित न हो सका ?

‘मेरा जीवन संघर्ष’ स्वामी सहजानंद सरस्वती की आत्मकथा (memory संस्मरण) की पुनरावृत्ति प्रो. अवधेश प्रधान के संपादन में ‘सेतु प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित, मुझे प्रेरित किया कि मैं ‘मेरा जीवन संघर्ष’ के प्रकाशन के इतिहास को लिख डालूं. इसी इतिहास में पुस्तक के इस संस्करण की भी समीक्षा निहित है. मैं और प्रो. वाल्टर हाउज़र ने ‘मेरा जीवन संघर्ष’ को संस्मरण …

‘Hitler and the Nazis: Evil on Trial’ : हमारे समय के लिए एक चेतावनी

पिछले दिनों ‘यूरोपियन यूनियन’ के चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टियों को भारी बढ़त मिली है. फ़्रांस की ‘ली पेन’, इटली की ‘मेलोनी’ के साथ साथ जर्मनी की AfD पार्टी को भारी सफलता मिली है, जो अपने फासीवादी नजरिये के लिए जानी जाती है. भारत में मोदी ने अपना तीसरा टर्म शुरू कर दिया है और अमेरिका में पूरी संभावना है कि …

रूदाली

रूदाली, हमने दस साल की उम्र में देखी थी. ब्लैक एन ह्वाइट टीवी पर. समझ में नहीं आयी थी. आज रात में रूदाली चौथी बार देखी. राजस्थान के कई इलाकों में राजे-रजवाड़ों और उनके बाद राजपूत ज़मींदारों के घरों में जब भी किसी पुरुष की मौत होती थी, तो विलाप के लिए रुदालियों (किराये पर रोने वाली वाली) को बुलाया …

‘कथांतर’ का ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ विशेषांक : संस्कृति की जन पक्षधारिता

प्रोफेसर राणा प्रताप के संपादकत्व में पटना से प्रकाशित ‘कथांतर’ का प्रतिरोध की संस्कृति विशेषांक मेरे हाथों में है. राणा जी के कथांतर विशेषांक प्रेरक ज्ञान और जानकारियों की दृष्टि से करिश्माई होते हैं. विशेषांक की विषय वस्तु, लेखकों का चयन, सामग्री की विविधता, भाषा और उनका खुद का संपादकीय अद्भुत होता है, जो मन और दिमाग की गहराइयों को …

होलोकास्ट बनाम ‘होलोकास्ट इंडस्ट्री’…

‘मुझे लगता है कि होलोकास्ट को बेचा जा रहा है, जबकि जरूरत उससे सबक लेने की है.’ – रब्बी अर्नोल्ड जैकोब वोल्फ (Rabbi Arnold JacobWolf) एकाध अपवादों को छोड़ दें तो होलोकास्ट पर लिखने वाले, विशेषकर अपना संस्मरण लिखने वाले यहूदी लेखक इजरायल और अमेरिका की आक्रामक नीतियों के समर्थक होते हैं. लेकिन Norman G Finkelstein इसके अपवाद हैं. Finkelstein …

पेरिस कम्यून पर एक महत्वपूर्ण फिल्म – ‘ला कम्यून’

मशहूर फिल्मकार पीटर वाटकिन ने 1999 में पेरिस कम्यून पर एक फिल्म बनायी – ‘ला कम्यून.’ साढ़े पांच घण्टे की यह फिल्म इतिहास के किसी कालखण्ड पर बनी अब तक की सबसे विश्वसनीय फिल्मों में से एक है. पेरिस व आसपास के कस्बों से कुल 220 लोगों को लेकर एक उजाड़ फैक्ट्री प्रांगण को सेट के रूप में बदल कर …

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