यदि पाने की महत्वाकांक्षा से आप मुक्त हैं , तो खोने का मलाल भी आपमें नहीं रहेगा. तब आप स्वायत्त भी होंगे, और ईमानदार भी. आपकी वही स्वायत्तता आपको इतना मुखर बना देगी कि आप सबका ‘काट’ बन सकते हैं ! सबसे आंखें चार कर सकते हैं !! नवनीत पांडेय को जब भी देखा, मैंने इसी तरह से देखा. समकालीन …
नवनीत पांडेय : ‘भले ही हम थोड़े हैं पर हथौड़े हैं’
