'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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‘ चुनावों का बहिष्कार करो ! ‘ नारे का अंतर्राष्ट्रीय महत्व प्रकाशित

चारु मजूमदार ने भारत में जब क्रांतिकारी मार्क्सवाद को संशोधनवाद से अलग कर प्रयोग में लाया, तब उन्होंने ज़ोर देकर चुनाव बहिष्कार का अपना रणनीतिक नारा दिया. उन्होंने पार्टी बनाई और माओ के तीन जादुई हथियार – पार्टी, जनसेना और संयुक्त मोर्चा – का इस्तेमाल कर जनयुद्ध छेड़ दिया. उनके द्वारा दिया गया चुनाव बहिष्कार का नारा इतना महत्वपूर्ण है …

मैच फिक्स्ड चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए जहर हैं – राहुल गांधी

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स पर दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनावी धांधली की गई थी. राहुल ने एक्स पर ‘मैच फिक्सिंग महाराष्ट्र’ शीर्षक से अपना लेख पोस्ट किया और चरणबद्ध तरीके से बताया कि उनके अनुसार विधानसभा चुनाव के नतीजों में कैसे धांधली हुई. राहुल ने इसे …

आज़ादी की लड़ाई में आदिवासियों के संग्राम का इतिहास

कुछ लोग 1857 को आजादी की लड़ाई की प्रथम घटना बताते हैं, यह पूर्णतया गलत है. अंग्रेजों से आजादी की प्रथम लड़ाई जिन लोगों ने शुरू की थी, वे भारत के मूलनिवासी आदिवासी थे. चुआङ विद्रोह (अंग्रेज़ों के खिलाफ भुमिज आदिवासियों की प्रथम लङाई) सन् 1767 से 1833 तक चला, जो अंग्रेजों के गलत नीति नियम का विरोध करते हुए …

सत्ता के विरूद्ध आदिवासियों के महासंग्राम में माओवादियों का आगमन एक फ़ुटनोट भर है

छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़ के जंगलों में 21 मई को प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नामबाला केशव राव उर्फ़ बसवराजु का मारा जाना सुरक्षाबलों की अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है. केंद्र सरकार ने 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने की जो टाइमलाइन घोषित की है, उसे देखते हुए यह वाक़ई एक उपलब्धि है. अरसे से सरदर्द बने …

कश्मीर के पेलेट गन पीड़ित कैसे उस दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं, जिसने उन्हें भुला दिया

‘कश्मीर टाइम्स‘ में एक रिपोर्ट छपी है. इसमें बताया गया है कि 2016 में सेना के ‘पेलेट गन’ से जिन 777 लोगों की आंखें क्षतिग्रस्त हुई हैं, उनकी आज क्या हालत है. वे किन परिस्थितियों में जीवन गुजार रहे हैं. पेलेट गन से अपनी आंख गंवा चुके एक नौजवान का कहना है कि अब मैं सुबह जल्दी नहीं उठता. कुछ …

विकास दिव्यकिर्ती संघी संस्कारों को इस तरह नग्न करके पेश करने से परहेज करें !

ज्यादातर UPSC हिस्ट्री पढ़ाने वाले यू-ट्यूब चैनल इस्लामोफोबिया और गांधी नेहरू पर कीचड़ उछालने का औजार बन चुके हैं. लेकिन विकास दिव्यकिर्ती इस स्तर पर उतर आये, देखकर मैं भौचक हूं. ऑपरेशन सिन्दूर पर बनाये ताजा वीडियो को पूरा देखना असहनीय है. जितना देखा, खून खौल उठता है. वे पहले भी, अपने तथ्यपूर्ण लेक्चर्स के बीच धीरे से, हंसकर, आधा …

‘ऑपरेशन अनथिंकेबल’ : चर्चिल द्वितीय विश्वयुद्ध के ख़त्म होते होते सोवियत संघ पर हमला करना चाहता था ?

पश्चिमी देश अपने गोपनीय दस्तावेज़ों को एक निश्चित अवधि के बाद सार्वजनिक कर देता है. अभी हाल ही में ऐसी ही एक दस्तावेज इंग्लैंड की ओर से सार्वजनिक हुआ है, जिसने दुनिया को झकझोर दिया है. यह दस्तावेज द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान की है. यह दस्तावेज सोवियत संघ पर चर्चिल के उस मंसूबों को उजागर करता है, जिसे वह लागू …

‘उन्होंने कहा- बासव राजु को उन्होंने मार डाला, मैं लिख रहा हूं – बासव राज हमेशा जिंदा रहेंगे !’

सीपीआई-माओवादी के महासचिव की जो अंतिम तस्वीर छपी है, उनकी खुली आंखों में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी का सौ साल का इतिहास पढ़ा जा सकता है. संभव है कि कुछ लोग ज्ञान के भार से दबे कंधों को बस अफसोस जताते हुए इतना ही कह सकें : ‘यह तो उनकी लाइन है, यह तो होना ही है.’ कुछ के लिए …

समाजवादी हैं भारत में इसराइल के सबसे अच्छे मित्र और पैरोकार !

देश में आजकल कुछ ‘समाजवादी’ इसराइल-फ़िलिस्तीन-अरब संघर्ष को लेकर काफ़ी घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं और इसराइल द्वारा किये जा रहे अरबों के नरसंहार की निंदा कर रहे हैं. साथ ही ये तथाकथित ‘सेक्युलर’ लोग यह तर्क भी दे रहे हैं कि ‘उनके नेता राममनोहर लोहिया ने 74 साल पहले जुलाई 1950 में इसराइल-अरब संघर्ष को लेकर जो चेतावनी दी …

‘सीपीआई माओवादी के महासचिव बासवराज की हत्या जीवित पकड़े जाने के बाद किया है’ – विकल्प, प्रवक्ता, सीपीआई माओवादी

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बासवराज की भीषण मुठभेड़ में सभी कॉमरेड्स की शहादत के बाद ही दुश्मन बासवराज को जीवित पकड़ लिया और नज़दीक से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. माओवादी मामलों के जानकार कुछ लोगों का मानना है कि संभव है बासवराज की हत्या के पहले उन्हें यातनाएं दी गई हो. यही कारण है कि …

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