'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लेखक एक जीवित ईकाई है, तात्पर्य कि वह प्रत्येक अन्याय के विरोध में मुखर रहे !

लेखक एक जीवित ईकाई है. इसका सीधा सा तात्पर्य यही है कि वह प्रत्येक अन्याय के विरोध में मुखर रहे. विरोध जीवित होने का प्रमाण है. वह किसी ऐसे समूहगान का हिस्सा न बने, न ही किसी ऐसे सुर में सुर मिलाए जो तात्कालिक है. उसकी मंशा वह नहीं ही रहे जो एक सरलीकरण की प्रक्रिया से गुजरते हों. यद्यपि …

‘शांति संभव है, अगर भारत 1962 के युद्ध की सच्चाई स्वीकार कर ले तो…’ : ब्रिगेडियर बीएल पूनिया (सेवानिवृत्त)

सारांश : ब्रिगेडियर बीएल पूनिया, सेवानिवृत्त, ने अपने एक लेख में 1962 के भारत-चीन युद्ध की सच्चाई को स्वीकार करने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा है कि यदि भारत 1962 के युद्ध की सच्चाई को स्वीकार करे, तो इससे दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने में मदद मिल सकती है. ब्रिगेडियर पूनिया ने कहा है कि …

गोडसे ने गांधी जी को क्यों मारा ? सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सके ?

प्रधानमंत्री मोदी ने झूठ बोलने की सारी हदें पार कर दी हैं. संविधान पर बहस का जवाब देते हुए कह दिया कि कांग्रेस की ज़्यादातर कमेटियों ने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री चुना था, लेकिन नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया गया. हक़ीकत ये है कि प्रधानमंत्री पद के लिए कभी चुनाव हुआ ही नहीं. कमेटियों का प्रस्ताव अध्यक्ष पद के लिए …

…ये दोगलाई कैसे एक्सेप्ट करूं ?

इंदिरा गांधी एक दिन सुबह उठी. उन्हें सपने में सावरकर आये थे. उनका मन श्रद्धा से भरा हुआ था. तुरन्त कलम उठाई, और सावरकर को ‘रिमार्केबल सन ऑफ इंडिया’ लिखकर उनके ‘डेयरिंग डिफायन्स’ की प्रसंशा की. और पत्र को संघियों के पास भेज दिया. ताकि सनद रहे, और जहां कहीं सावरकर को उनके कायराना और क्रिमिनल कामों के लिए बेईज्जत …

उड़ीसा में वेदांता के खिलाफ आंदोलन : पर्यावरण और सामाजिक न्याय की लड़ाई

सारांश : देशभर में जल, जंगल, जमीन का आंदोलन चल रहा है. यह आंदोलन पर्यावरण और सामाजिक न्याय की लड़ाई है. यह आंदोलन कॉरपोरेट्स की खनन गतिविधियों के खिलाफ शुरू किया गया था, जो क्षेत्र के पर्यावरण और स्थानीय समुदायों के लिए हानिकारक थीं. ऐसे ही एक आंदोलन वेदांता के खिलाफ भी है. इन आंदोलनकारी नेताओं ने वेदांता की गतिविधियों …

कहीं से लाओ वह दिमाग़ जो ख़ुशामद आदतन नहीं करता : रघुवीर सहाय से पहली और आखिरी मुलाकात

अक्टूबर 1990 का आखिरी हफ्ता था, जब मैं कवि रघुवीर सहाय से मिलने साकेत में उनके घर गया. दिल्ली के इस पॉश इलाके को मैंने अपने सामने खड़ा होते देखा है. 1981 में, जब एशियाड को ध्यान में रखते हुए मौजूदा साउथ दिल्ली की बसावट शुरू ही हो रही थी, यहीं के एक निर्माणाधीन मकान में रह रहे अपने भाई …

नक्सलबाड़ी उभार के दौरान उभरे महत्वपूर्ण जनवादी कवि वेणुगोपाल

सारांश : वेणुगोपाल एक महत्वपूर्ण जनवादी कवि थे, जिन्होंने नक्सलबाड़ी विद्रोह के दौरान अपनी पहचान बनाई. उनकी कविताओं में विद्रोह और क्रांति की भावना को व्यक्त किया गया है, जो उस समय के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को दर्शाता है. वेणुगोपाल की कविताओं में नक्सलबाड़ी विद्रोह के प्रभाव को देखा जा सकता है, जिसने भारतीय राजनीति और सामाजिक आंदोलनों पर …

मोदी सरकार की गैर-ज़िम्मेदार विदेश नीति

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने संडे को ज़ूम कॉल पर बांग्लादेश की नई सरकार को जमकर गालियां दीं और कहा कि नई सरकार पर उस देश में दंगा करवाने के इलज़ाम पर मुक़दमा चलना चाहिए. हैरानी की बात है कि मोदी सरकार ने हसीना को — जो पिछले दो महीने से भारत की शरण में रह रही हैं …

अडानी पर अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों के मायने

सारांश : अमेरिका द्वारा अदानी के खिलाफ लगाए गए आरोपों का अर्थ यह है कि अदानी समूह पर अमेरिकी निवेशकों को अपनी कंपनी की वित्तीय स्थिति और प्रबंधन के बारे में झूठी जानकारी देने का आरोप है. यह आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद सामने आए हैं, जिसमें अदानी समूह पर शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए …

हिंदुत्व फासीवाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए खतरा

सारांश : हिंदुत्व फासीवाद और भारतीय लोकतंत्र पर इसके प्रभाव के बारे में एक दिलचस्प लेख है. लेखक का मानना है कि हिंदुत्व फासीवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है, जो धीरे-धीरे देश की सेक्युलर और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है. लेखक ने तर्क दिया है कि हिंदुत्व फासीवाद एक प्रकार की राजनीतिक विचारधारा है जो …

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