'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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निपूतों के गैंग को आपके बच्चे चाहिए…

मोहन भागवत का कहना है कि तीन बच्चे पैदा करने की जरूरत है, वरना समाज खतरे में आ जायेगा. हां, खतरे तो बहुतेरे हैं इस समाज पर. बेरोजगारी, घटती डिस्पोजेबल इनकम, महंगी रोटी दाल, दवा, कपड़े, घर और कर्ज. लेकिन सबसे बड़ा खतरा इस समाज पर कोई है, तो वो मि. भागवत का संगठन है जिसने ऑक्टोपस की तरह, समाज …

भारत में यथास्थितिवादी, दक्षिणपंथी और प्रतिक्रियावादी राजनीति का बीजारोपण

‘मैं देश की गिरती अर्थव्यवस्था, बेरोज़गारी और महंगाई पर चर्चा नहीं करना चाहता हूं क्योंकि भिखारियों और स्वैच्छिक ग़ुलामों को इन मुद्दों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है.’ – सुब्रतो चटर्जी, दार्शनिक अबतक के अपने जीवन में मैंने यही अनुभव किया है कि शिक्षित वर्ग, अपवाद को छोड़कर, उच्च शिक्षा के माध्यम से शोषक वर्ग से जुड़ता चला जाता है. शोषक …

‘फ्रेडरिक एंगेल्स’ के जन्म के 204 साल

हालांकि एंगेल्स ने अपने जीवनकाल में अपने साथियों के द्वारा अपने 55वें जन्मदिन मनाये जाने पर कहा था ‘मुझे इस दिन को मनाये जाने की कोई वजह नहीं दिखती. मैं तो मार्क्स की प्रसिद्धि का आनंद ले रहा हूं.’ लेकिन जब आज पूरी दुनिया में पूंजीवाद नंग-धड़ंग होकर डंके की चोट पर घोषणा करता फिर रहा है कि लूट खसोट …

वर्ग समाज को दफना दो, इससे पहले कि वह हम सबको दफना दे: एलेनोर बर्क लीकॉक का मार्क्सवादी नारीवादी नृविज्ञान का दृष्टिकोण

स्नातक मानवशास्त्र पढ़ाने के अपने बीस से ज़्यादा सालों के दौरान, ज़्यादातर परिचयात्मक स्तर पर, छात्रों के सवालों में एक बार-बार आने वाला विषय मुझे ख़ास तौर पर परेशान करता था. अगर, जैसा कि मानवशास्त्र में सिखाया गया था, संयुक्त राज्य अमेरिका और ज़्यादातर दूसरे समाजों में विषमलैंगिक पितृसत्ता की मौजूदा स्थिति मानव स्वभाव का हिस्सा नहीं थी, कि यह …

‘यदि नेशनलाइज बैंकों का आपस में मर्जर ‘मर्डर’ है तो ग्रामीण बैंकों का मर्जर अच्छा कैसे है ?’ – मिथुन कुमार, अरेबिया

बैंकिंग उद्योग में कर्मचारियों की सबसे बड़ी यूनियन एआईबीइए, सरकार के हालिया फैसले से हताश होकर मीडिया में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है. प्रेस नोट जारी करते हुए ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के सहायक महासचिव मिथुन कुमार ने यह बात कही. गौरतलब है कि बैंकिंग उद्योग की दो यूनियनों ने पिछले दिनों बैंकिंग सचिव से …

उत्तर कोरिया में बाढ़ पीड़ितों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी और पश्चिमी मीडिया का दुश्प्रचार

इन दिनों ब्लूमबर्ग, इंडिपेंडेंट और गार्जियन जैसे तथाकथित वैश्विक मुख्यधारा की मीडिया और उनकी झूठन परोसने वाला तथाकथित ‘प्रगतिशील’ इंडियन एक्सप्रेस यह दावा कर रहा है कि जनवादी कोरिया (जिसे ये उत्तर कोरिया जैसे गलत नाम से पुकारते हैं) ने बाढ़ की समस्याओं पर अनाम अधिकारियों को फांसी दे दी है या फांसी दे दी होगी. इनकी खबरों में किसी …

भारत में खुफिया अध्ययन अभी भी एक वर्जित क्षेत्र है

राष्ट्रीय सुरक्षा के संपूर्ण तंत्र के इर्द-गिर्द गोपनीयता को देखते हुए भारत में खुफिया अध्ययन अभी भी शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के लिए एक वर्जित क्षेत्र बना हुआ है. पिछले दिनों भारत और कनाडा में कूटनीतिक विवाद के बीच सार्वजनिक बहस से छन-छन कर आने वाली बयानबाज़ी और कुतर्क भारतीय इंटेलिजेंस की कार्यप्रणाली को लेकर बहुत कम निष्पक्ष जानकारी …

क्या यूक्रेन में जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) के सैनिक हैं ? आईये, सच की पड़ताल करें

उत्तर कोरिया के 10 हजार सैनिक यूक्रेन में रुस के साथ सहयोग में है, इस तरह की बातें आये दिन मीडिया की सुर्खियों में है. इस तथ्य की पड़ताल इस आलेख में किया गया है. यह आलेख people’s korea नामक वेबसाइट से लिया गया है, जिसका दावा है कि वह ‘जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) से जुड़े मिथकों और दुष्प्रचार को …

यदि आप संविधान, कानून, इंसानियत, लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं तो आप नक्सलवादी और माओवादी हैं !

नरेंद्र मोदी ने हरियाणा चुनाव में भाषण देते हुए कहा है कि कांग्रेस अर्बन नक्सल पार्टी है. इसका अर्थ है जो नरेंद्र मोदी का विरोधी है, वह नक्सली है, माओवादी है. यदि आप अडानी, अंबानी द्वारा भारत के जल, जंगल, जमीन की लूट का विरोध करते हैं तो आप नक्सलवादी है, माओवादी है. यदि आप भारत को तोड़ने वाली सांप्रदायिक …

इतिहास का अध्ययन क्यों करें ?

लोग वर्तमान में जीते हैं. वे भविष्य के लिए योजना बनाते हैं और उसके बारे में चिंता करते हैं. हालांकि, इतिहास अतीत का अध्ययन है. वर्तमान में जीने और आने वाले समय का अनुमान लगाने की सभी मांगों को देखते हुए, जो हो चुका है, उसके बारे में क्यों चिंता करेंक्ष? ज्ञान की सभी वांछनीय और उपलब्ध शाखाओं को देखते …

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