'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
Home गेस्ट ब्लॉग (page 72)

गेस्ट ब्लॉग

Featured posts

फरीदाबाद : ग्रीवांस कमेटी के सरकारी पाखंड की नौटंकी और खट्टर का खटराग

जनता के लिए समस्या पैदा करने वाले ही उन्हें दूर करने का नाटक करते हैं. बिना ‘पाखंड के तो इस सरकार का कोई काम होता ही नहीं, हर काम पाखंड की तरह ही किया जाता है लेकिन उन पाखंडों में ग्रीबेंस सार्वजनिक रूप से किया जाता है. यह पाखंड कोई अकेले खट्टर नहीं कर रहे, इनसे पहले के सारे मुख्यमंत्री …

कश्मीर दुनिया की सबसे खूबसूरत जेल है

क्या लोकतंत्र को नागरिक शहरों, कस्बों और गांवों पर दशकों तक दैनिक आधार पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिए गैरीसन और सेना के ब्रिगेड की आवश्यकता होती है ? स्वाभाविक है जवाब नहीं में होगा, जैसा कि यूरोपीय संसद के कश्मीर में तदर्थ प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख, जॉन वॉल्स कुशनाहन द्वारा बहुत सही कहा गया है, कश्मीर ‘दुनिया की सबसे …

अगर प्रेम में ही गरिमा नहीं होगी तो और किसमें होगी ?

वर्ष 1959 में राज कपूर की एक फ़िल्म आई थी- ‘मैं नशे में हूं.’ फ़िल्म के दौरान एक अजीब घटना घटी. राज कपूर ने एक गाने का फ़िल्मांकन उन पर कराए जाने से इनकार कर दिया. गाना उन्हीं के लिए बनाया गया था. आवाज़ मुकेश की थी, संगीतकार शंकर-जयकिशन, गीतकार हसरत जयपुरी. यह टीम बीते दस सालों से राज कपूर …

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे फरीदाबाद के मजदूर

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे फरीदाबाद के मजदूरों ने दिन भर 12-12 घंटे पसीना बहाकर, महीने में बा-मुश्किल ₹10,000/ कमाने वाले, उसमें से ₹3000/ हर महीने टैंकर से पानी ख़रीदने में खर्च करने को मज़बूर, आज़ाद नगर, सेक्टर 24, फ़रीदाबाद के मज़दूरों ने 2 जुलाई को, ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ के बैनर तले एक शानदार मोर्चा निकाला. 500 से भी ज्यादा …

गुरू पूर्णिमा पर विशेष : अब ज्ञान का महोत्सव नहीं है गुरू पूर्णिमा !

‘मैं साहित्य का और बाद में कानून का किसी-न-किसी का गुरु रहा. मेरे अधिकतर शिष्य गुरु घंटाल हो गए. उन्हें गुरु पूर्णिमा का प्रणाम !’ – कनक तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ जो शिक्षक और छात्र नियमित फेसबुक पर ‘जय हो मोदी जय हो मोदी’ कर रहे हैं, उनको आपने कभी भारत की शिक्षा या अन्य सामाजिक समस्या के लिए …

‘कल बहुत जल्दी होता…और कल बहुत देर हो चुकी होगी…समय है आज’

कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी की अंग्रेज़ क्रांति क्रामवेल के बगैर, 18वीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति रॉब्सपीयर के बगैर भी संपन्न होती लेकिन 20वीं शताब्दी की विश्वव्यापी प्रभावों वाली रूसी क्रांति लेनिन के बिना संभव नहीं होती. लेनिन पर प्रख्यात रूसी कवि मायकोव्स्की की एक कविता है कि ‘हियर इज अ लीडर हू लीड द मासेस बाई हिज इंटेलेक्ट’ …

आज की दुनिया को नीतिगत तौर पर राजनेता नहीं, वैश्विक वित्तीय शक्तियां संचालित कर रही है !

नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ‘हम आपस में मूल्य साझा करते हैं.’ ये मूल्य क्या हैं ? ये हैं लोकतंत्र, मानवाधिकार, किसी भी तरह के नस्ल भेद या धर्म भेद का विरोध, विश्व शांति आदि. लेकिन, बाइडन के इस वक्तव्य पर सीएनएन के एक पत्रकार की टिप्पणी थी, ‘वे मूल्य नहीं, हित साझा …

प्रेमी फ़क़ीर होते हैं, मैं शून्य हूं…

प्रेमी फ़क़ीर होते हैं. प्रेमी धन कमा नहीं सकता; कमा भी ले, तो बचा नहीं सकता. प्रेम की लाश पर ही महल खड़े हो सकते हैं. मैंने देखा मनोविज्ञान यही है कि धनी आदमी में प्रेम नहीं होता. असल में धन को कमाने में उसको अपने प्रेम को बिलकुल नष्ट कर देना होता है. प्रेमी धन कमा नहीं सकता. कमा …

आर्थिक मंदी : समाजवादी अर्थव्यवस्था का मुकाबला पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कभी नहीं कर सकता

मौजूदा व्यवस्था के रहते, हमारे देश में चीन के टक्कर में बड़े पैमाने का उत्पादन सम्भव नहीं है क्योंकि यदि पूंजीपति वर्ग अपने उद्योगों का विस्तार करके चीन के टक्कर में बड़े पैमाने का उत्पादन करता है, तो एक हद तक सस्ता माल तैयार हो सकता है और सस्ते मालों के बल पर कुछ समय के लिए चीन को टक्कर …

1...717273...333Page 72 of 333

Advertisement