'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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भाजपा जो फसल काट रही है, वह ‘गीता प्रेस’ ने तैयार की है

महात्मा गांधी के विचारों का प्रसार करने के लिए, 1995 में शुरू हुआ, 2023 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’, गीता प्रेस गोरखपुर को मिलेगा. ‘अहिंसा के गांधीवादी तरीके से, समाज में, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक बदलाव लाने के, शानदार योगदान के लिए, इस पुरस्कार के लिए गोरखपुर की ‘गोता प्रेस’ को चुना गया है’, ये घोषणा, 5 सदस्यीय जूरी के अध्यक्ष, …

आदिवासियों, सत्ताहीनों की आवाज कोई नहीं सुनता…

भारतीय इतिहास में वेदों या पुराणों में राजाओं की कहानियां हैं. इन राजाओं को ब्राह्मणों ने भगवान बताया. किसानों, मजदूरों, कारीगरों की कहानियों को बाहर रखा गया. आज़ादी से पहले बड़ी जातियों, साहूकारों, योद्धा जातियों के मजे थे. काम करने वालों को नीच जातियां घोषित कर सामजिक, आर्थिक और राजनैतिक सत्ता बड़ी जातियों, साहूकारों, योद्धा जातियों और ब्राह्मणों ने अपने …

समाजवादी समाज की उपलब्धियां : शिक्षा और रोजगार

आज अगर हमारे बेरोजगार नौजवान सरकार से रोजगार मांगने के लिए सड़कों पर उतरते हैं तो उन्हें पुलिस के लाठी-डंडों का सामना करना पड़ता है और जेल जाना पड़ता है. लेकिन आज से महज सात दशक पहले ऐसे भी देश थे, जहां इसका ठीक उल्टा नियम था. यानी अगर आप काम यानी नौकरी नहीं करना चाहते तो आपको गिरफ्तार करके …

भारत बुरी तरह से अमेरिका के चंगुल में फंस चुका है

कर्नाटक चुनाव में भाजपा और स्वयं मोदी की हार के बाद से संघ, भाजपा और मोदी के समर्थकों में अजीब-सी बेचैनी है. लग रहा है जैसे पासा पलट गया है, हर दाव उल्टा पड़ रहा है और हर बाजी हारते जा रहे हैं. संघ, भाजपा, अंधभक्तों और स्वयं मोदी अपने आपको अजेय समझते रहे हैं, पर जाने क्या हुआ है …

‘सब कुछ मुनाफा की संस्कृति के हवाले’ का फलसफा 2024 में भाजपा को जीत दिलायेगी ?

बहुत चर्चा है ‘ऑर्गेनाइजर’ में छपे उस लेख की, जिसमें कहा गया है कि सिर्फ मोदी और हिंदुत्व के नाम पर इस बार चुनाव जीतना आसान नहीं है. हालांकि, ऑर्गेनाइजर जो अब कह रहा है, बहुत सारे विश्लेषक यह बात पहले से कहते आ रहे हैं. जाहिर है, मोदी नाम की छाया में एक खास तरह के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व …

स्त्री मुक्ति किसे कहते हैं ?

स्त्री मुक्ति किसे कहते हैं ? यह बेहद जटिल सवाल है. इस सवाल का हरेक औरत के पास अपना एक सुनिश्चित तर्क है. मुक्ति का सवाल मोक्ष का सवाल नहीं है बल्कि अस्मिता को जानने, समझने और बदलने के सवालों और प्रक्रियाओं से जुड़ा है. स्त्री अपने को जितना जानेगी, उतना ही बदलने की कोशिश करेगी. जानना सचेत क्रिया है. …

क्रांति का जरूरी हथियार छोड़ रहे कामरेड

लगभग एक साल पहले भाकपा माले के एक कार्यकर्ता से बात हो रही थी. वे छात्र संगठन के मोर्चे पर काम करते हैं. बातचीत के ही दौरान भाकपा माले के उन शहीदों क़ी चर्चा होने लगी, जिन्होंने किसान अन्दोलनों के झंझावातों का नेतृत्व किया था. मैं यह देख कर हैरत में पड़ गया कि उन्हें अपने कई शहीद नेताओं के …

असली टुकड़े-टुकड़े गैंग कौन है ?

मोदी-बाइडेन वार्ता के बाद सिर्फ दो पत्रकारों को सवाल पूछने का मौका दिया गया, फिर भी अमेरिकी पत्रकार ने प्रधानमंत्री मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और विरोधियों के दमन से जुड़ा चुभता हुआ सवाल पूछ लिया. जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं इस सवाल पर हैरान हूं. इसके बाद अपनी चिर-परिचित शैली में उन्होंने संविधान की दुहाई …

विचार ही बदलते हैं दुनिया को…

अभी हाल में एक वरिष्ठ पत्रकार का इंटरव्यू पढ़ रहा था, इसमें उन्होंने कहा है कि ‘अब विचारों से दुनिया नहीं बदलती है. अब तकनीक ही है जो दुनिया को बदल रही है.’ अब मैं यह नहीं जानता कि इंटरव्यू में उस वरिष्ठ पत्रकार ने ठीक-ठीक क्या यही कहा था या फिर उन्होंने कहा कुछ दूसरी बात और इंटव्यू लेने …

भगवानों में आपस में काफी मतभेद है…

भगवानों में आपस में काफी मतभेद है. धरती, सौर मंडल, गैलेक्सिज के पार, जहां कॉस्मॉस और विज्ञान की सीमाएं खत्म हो जाती है, उसके बाद भगवानों का इलाका शुरू हो जाता है. वहां विभिन्न प्रकार के ईश्वर रहते हैं. उनके अपने-अपने दायरे हैं, और अपनी-अपनी प्रशासनिक व्यवस्था है. कुछ भगवान जैसे अल्लाह और परमपिता परमेश्वर, अकेले ही अपनी पूरी व्यवस्था …

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