‘काल के गाल पर ठहरा हुआ आंसू…’, ताजमहल को देखकर रविन्द्रनाथ टैगोर ने यही कहा था। लेकिन ताजमहल, मुगलिया तवारीख के गले का हार है, एक चमकता मोती है. और जब ताजमहल की बात होती है, तो शाहेजहां की भी होती है. शाहजहां का दौर अदभुत निर्माण के लिए जाना जाता है. जिस लाल किले पर चढ़कर हिंदुस्तान के वजीरेआजम तकरीर …
ताजमहल : काल के गाल पर रूका हुआ आंसू….
