संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मुद्दों आधारित संघर्षों में देशव्यापी किसान एकता की अपील करते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी किया. एसकेएम, केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अनुबंध खेती के किसान विरोधी प्रस्ताव को अस्वीकार करने पर – एसकेएम (अराजनीतिक) व केएमएम का स्वागत करते हुए 21 फरवरी 2024 को भाजपा-एनडीए सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए सभी किसान मंचों से आग्रह किया है.
एसकेएम ने एमएसपी की मांग का महत्व बताते हुए जोर देकर कहा कि एमएसपी का मतलब ‘राजकोषीय आपदा’ है यह एक कॉर्पोरेट तर्क है- एमएसपी नहीं होने का मतलब मानव आपदा है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता को कमजोर करना. किसानों के लिए एमएसपी का मतलब खाद्य सुरक्षा, फसल विविधीकरण, रोजगार सृजन और सरकार के लिए अधिक आय लाएगा.
एसकेएम ने केंद्रीय मंत्रियों द्वारा ए2+एफएल+50% के एमएसपी पर 5 फसलों के लिए पांच साल की अनुबंध खेती और फसल विविधीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने और सभी मुख्य मांगों के हासिल होने तक संघर्ष जारी रखने के एसकेएम (एनपी) और केएमएम के फैसले का स्वागत किया. यह निर्णय भारत भर के किसानों की व्यापक एकता की दिशा में सही कदम है.
एसकेएम यह मानता है के इस समय को कृषि संकट के कारण भारी मानवीय आपदा है – हर दिन 27 किसान आत्महत्या कर रहे हैं और युवा किसान शहरी केंद्रों में मामूली वेतन पर काम करने के लिए प्रवासी मजदूर की श्रेणी में शामिल होने के लिए मजबूर हैं, जबकि मोदी राज में 80 करोड़ लोग इस पर मुफ्त राशन पर निर्भर हैं. इस लिए कॉरर्पोरेट ताकतों के खिलाफ किसान आंदोलन की सबसे बड़ी एकजुटता समय की मांग है.
एसकेएम ने भारत भर के सभी किसान संगठनों से 21 फरवरी 2024 को भाजपा-एनडीए सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में किसानों के विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करने का आग्रह किया है, जिसमें 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ मोदी सरकार द्वारा हस्ताक्षरित समझौते को लागू करने और किसानों पर क्रूर राज्य दमन को रोकने की मांग की जाएगी.
एसकेएम यह मानता है कि यह प्रधानमंत्री और कार्यपालिका की जिम्मेदारी है कि वे 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ हस्ताक्षरित समझौते को लागू करें और सभी फसलों के लिए कानूनी गारंटी सहित सी2+50% के हिसाब से एमएसपी लागू कर, 2014 के आम चुनाव के भाजपा घोषणापत्र में किए गए वादे के साथ न्याय करें.
कॉरर्पोरेट हित की सेवा करने वाले ‘विशेषज्ञ’ और मीडिया संपादकीय गलत व्याख्या करने पर लगे हुए हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी ‘राजकोषीय आपदा’ का कारण बन सकती है. यह कॉरपोरेट ताकतों का तर्क है. एसकेएम और सभी जन-समर्थक विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों का तर्क है कि एमएसपी ना मिलने का मतलब मानवीय आपदा है – जैसा कि देश आज ग्रामीण इलाकों में देख रहा है – तीव्र गरीबी, ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी और महगाई.
एसकेएम, उत्पादन की लागत को कम करने के लिए सब्सिडी बढ़ाकर, धान और गेहूं जैसे मुख्य खाद्य उत्पादन पर लाभकारी आय सुनिश्चित करके किसानी कृषि को बचाने के महत्व पर ध्यान केंद्रित कराना चाहता है. कुछ लोगों का मानना है, फसल विविधिकरण जल स्तर में गिरावट की समस्या को संबोधित करने में मदद करता है. किसान आंदोलन फसल विविधिकरण के खिलाफ नहीं है, लेकिन मुख्य खाद्य उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और देश की संप्रभुता को कमजोर करके नहीं है.
यह तर्क कि केंद्र सरकार को सभी 23 फसलों के लिए किसानों को एमएसपी प्रदान करने के लिए 11 लाख करोड़ रुपये जुटाने पड़ेंगे, निराधार है क्योंकि कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद का मतलब यह नहीं है कि सरकार को खुद खरीद करनी होगी और भुगतान करना होगा बल्कि यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉर्पोरेट ताकतें अपने मुनाफ़े का एक हिस्सा लाभकारी मूल्य के रूप में किसानों साझा करें.
साथ ही केंद्र व राज्य सरकारें एवं सार्वजनिक क्षेत्र, उत्पादक सहकारी समितियों और गैर-कॉर्पोरेट निजी क्षेत्र को कटाई के बाद के कार्यों जैसे खरीद, प्राथमिक व दृतीय चरण का प्रसंस्करण, भंडारण एवं बुनियादी ढांचे के निर्माण तथा ब्रांडेड विपणन के लिए प्रोत्साहित करे. इस नीतिगत बदलाव से रोजगार सृजन होगा, मजदूरों और किसानों को बेहतर कीमत व मजदूरी मिलेगी तथा राज्य एवं केंद्र सरकारों को अधिक कर आय मिलेगी.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भारत भर के किसानों से आह्वान किया है कि वे 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ हुए सरकार के समझौते को लागू करने की मांगों के साथ भाजपा और एनडीए के सांसदों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करें. इसमें प्रमुख मांगें हैं –
- गारंटीशुदा खरीद के साथ सी2+50% के हिसाब से एमएसपी,
- व्यापक ऋण माफी बिजली का निजीकरण पर रोक,
- लखीमपुर खीरी में किसान नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्रा टेनी केंद्रीय राज्य मंत्री (गृह) को बर्खास्त कर मुकदमा चलाया जाए और
- पंजाब सीमा पर समान मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर हो रहे दमन पर रोका लगाई जाए एवं
- चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसला व इसके माध्यम से उजागर हुए कॉरपोरेट भ्रष्टाचार को भी बेनकाब किया जाए.
एसकेएम ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच, विभिन्न जन संगठनों से एकजुटता दिखाने और मोदी के किसान विरोधी, अलोकतांत्रिक, दमनकारी और तानाशाही रवैये को उजागर करने की अपील की करता है.
पंजाब में एसकेएम ने तीन दिनों तक भाजपा के सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और जिला अध्यक्षों के घरों के सामने दिन-रात बड़े विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है. विरोध प्रदर्शन 20 फरवरी को सुबह 10 बजे शुरू होगा और 22 फरवरी, 2024 को शाम 5 बजे समाप्त होगा.
एसकेएम ने चुनावी बांड के माध्यम से भ्रष्टाचार को वैध बनाने और पार्टी फंड के रूप में हजारों करोड़ रुपये जमा करने के लिए मोदी सरकार की कड़ी निंदा करता है. एसकेएम ने इसे रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
एसकेएम यह मानता है कि कॉरपोरेट समर्थक कृषि कानून, श्रम संहिता, बिजली अधिनियम संशोधन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, जिसमें बीमा कंपनियों ने किसानों की कीमत पर 57,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अर्जित की है, लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्री-पेड स्मार्ट मीटर बिक्री, हवाई अड्डों और बंदरगाहों का निजीकरण, ऐसे कई कानून और नीतियां है जो कि भाजपा द्वारा उसके कॉरर्पोरेट साथियों को लौटाए गए एहसान हैं.
भाजपा ने भ्रष्टाचार को वैध बनाकर हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा किये थे और इसे लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को गिराने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर प्रचार के माध्यम से चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया था. इसकी तुलना किसी अन्य राजनीतिक दल से करना असंभव है.
एसकेएम को उम्मीद है कि ईवीएम पर जो संदेह बना हुआ है उसे एक सुरक्षित तंत्र बनाकर दूर किये जाने की लिए भी यह फैसला एक आंदोलन को बढ़ावा देगा. चुनावी फंडिंग के साथ-साथ यह भी एक अहम मुद्दा है और चुनाव की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए मायने रखता है. एसकेएम यह मांग करता है कि दानदाताओं की सूची और भाजपा व अन्य पार्टियों को मिलने वाली राशि को सार्वजनिक किया जाए और उनसे इस की वसूली की जाए.
एसकेएम एनसीसी की बैठक 21 फरवरी 2024 को दोपहर 2 बजे होगी और आम सभा (जनरल बॉडी बैठक) 22 फरवरी 2024 को सुबह 10.30 बजे नई दिल्ली में की जाएगी. इन बैठकों में स्थिति का जायजा लिया जाएगा और चल रहे संघर्षों को तेज करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी.
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