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अपराध

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अपराध

देश के एक व्यक्ति पर केस दर्ज हुआ. उसे अदालत में पेश किया गया.

न्यायाधीश ने कहा – ‘तुम पर आरोप है कि तुमने राजा के सम्बोधन में गुस्ताखी की हैं. राजा को तुमने ‘तू-तू’ कहकर संबोधित किया है.’

मुजरिम बोला- ‘मैं यह आरोप स्वीकार करता हूं जज साहब. दरअसल मैं तो राजा के मुंह पर थूकना चाहता था लेकिन राजा मेरी पहुंच से दूर है.’

जज ने नाराजगी जताई – ‘अपराध करके भी बदतमीजी ? कुछ और कहना है तुम्हें ?’

व्यक्ति ने कहा – ‘जज साहब, जिस अदालत में जनता को राजा की दुष्टता की निंदा करने के लिये अपराधी कहा जाए, मैं उस अदालत के मुंह पर भी थूकना चाहता हूं.

  • विरेन्द्र भाटिया

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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