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खूनी कार

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खूनी कार
खूनी कार

मेरे पास एक कार थी. उसकी खूबी यह थी कि वह पेट्रोल की बजाए आदमी के ताजे खून से चलती थी. वह हवाई जहाज की गति से चलती थी और मैं जहां चाहूं, वहां पहुंचाती थी इसलिए मैं उसे पसंद भी खूब करता था. उसे छोड़ने का इरादा मेरा नहीं था.

सवाल यह था कि उसके लिए रोज-रोज आदमी का ताजा खून कहां से लाऊं ? एक ही तरीका था कि रोज दुर्घटना में लोगों को मारूं और उनके बहते खून से कार की टंकी भरूं.

मैंने सरकार को अपनी कार की विशेषताएं बताते हुए एक प्रार्थना पत्र देते हुए निवेदन किया कि मुझे प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में एक आदमी को मारने की इजाजत दी जाए.

सरकार की ओर से पत्र प्राप्त हुआ कि उसे मेरी प्रार्थना इस शर्त के साथ स्वीकार है कि इस कार को विदेशी सहयोग से देश में बनाने पर मुझे आपत्ति नहीं होगी.

  • विष्णु नागर

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