‘पाजामे की लंबाई इकतालीस करूं या साढ़े इकतालीस ?’ ‘कुछ भी कर दो. आधे इंच से क्या फर्क पड़ता है. ‘फर्क पड़ता है. आधे इंच से आदमी हिन्दू से मुसलमान हो सकता है.’ राकेश कायस्थ का चर्चित उपन्यास ‘रामभक्त रंगबाज’ इसी ‘फर्क’ की कहानी कहता है, जो 1990 के बाद दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रहा है. भारत …
‘रामभक्त रंगबाज’: ‘फर्क साफ है’…
