बचपन में मैंने कुएं में गिरी बाल्टियों को ‘झग्गड़’ से निकालते देखा है. इसे कुछ कुशल लोग ही निकाल पाते थे. इन्ही कुंओं में कभी-कभी गांव की बहू-बेटियां भी मुंह अंधेरे छलांग लगा देती थी. उन औरतों का शरीर तो निकाल लिया जाता था, लेकिन उनकी कहानियां वहीं दफ़न हो जाती थी. उन कहानियों को निकालने वाला वह झग्गड़ किसके …
‘हिस्टीरिया’ : जीवन से बतियाती कहानियां
