'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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पुस्तक / फिल्म समीक्षा

‘मदाथी : अ अनफेयरी टेल’ : जातिवाद की रात में धकेले गए लोग जिनका दिन में दिखना अपराध है

‘मदाथी : अ अनफेयरी टेल’ फिल्म योसाना की कहानी के साथ-साथ उस अदृश्य जाति (unseeables caste) के लोगों की जिंदगी से रूबरू कराती है, जिसे नरक कहा जाना सौ प्रतिशत सही होगा. हम छुआछूत, ऊंच-नीच के माध्यम से अपमानित किये जाने की घटना आये दिन सुनते, देखते और पढ़ते रहते हैं, लेकिन इसी धरती पर अदृश्य जाति (unseeables caste) के लोग …

धीमी गति का समाचार – बिहार

क्या बिहार को रुकतापुर कहा जा सकता है ? सब्र करने और कई दिनों तक इंतज़ार करने में बिहार के लोगों के धीरज का औसत दुनिया में सबसे अधिक होगा. यहां एक छात्र सिर्फ बीए पास करने के लिए तीन साल की जगह पांच से छह साल इंतज़ार करता है. अस्पताल में डाक्टर साहब के आने का घंटों इंतज़ार कर …

शापित कब्र के अंदर दस करोड़ लोग

क्या कोई ऐसी सभ्यता हो सकती है, जिसके बच्चों, जवान, बूढ़ों और औरतों को इंसान मानने से ही इंकार कर दिया गया हो ? ये मान लिया गया हो कि अगर इन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाए तो इन्हें दर्द ही नहीं होगा. इनके अंदर संवेदना नहीं ही होगी और भावनायें तो बिल्कुल भी नहीं. आमतौर पर आज के …

पलामू की धरती पर

झारखण्ड प्रदेश …., हिन्दुस्तान के पटल पर प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित प्रदेश, प्राकृतिक संसाधनों से धनी प्रदेश और यही खूबसूरती, यही खासियत इस प्रदेश के लिए काल बन गया. लूट, छूट, भोग और शोषण पर आधारित इस मुल्क के दलाल खेवनहार शासकों की नजर इस प्रदेश पर गड़ गई और इसके प्राकृतिक सौन्दर्य तथा प्रकृतिक संसाधनों की लूट हेतु देशी-विदेशी …

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