'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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सीपीआई माओवादी के महासचिव बासवराज के बड़े भाई ने कहा- ‘पार्थिव शरीर परिजनों को नहीं दिया जा रहा है, यह कैसा लोकतंत्र है ?’

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलानिया तौर पर यह कह दिया है कि भारत देश से माओवाद या नक्सलवाद का खात्मा 31 मार्च 2026 तक हो जाएगा. इस ऐलान के बाद माओवादियों को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड इलाके में हुई एक भयंकर मुठभेड़ में माओवादियों के महासचिव …

‘केवल मरा हुआ भारतीय ही अच्छा भारतीय है.’

न्यूज चैनल पर मारे गए नक्सलियों/आदिवादियों के शवों के साथ जश्न मनाते सुरक्षा बलों की तस्वीरों ने विचलित कर दिया. वे पटाखे फोड़ रहे थे, होली खेल रहे थे, महिलाएं उनकी आरती उतार रही हैं. कहा जाता है कि ईसा मसीह को जब सूली पर चढ़ाया गया तो उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि ‘प्रभु इन्हें माफ करना, ये …

मोदी-शाह की खूंखार सरकार ने देश की मेहनतकश स्वाभिमानी जनता पर पूर्ण युद्ध थोप दिया है, जनता माकूल जवाब दे !

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी ने 10 मई, 2025 को अपने पांचवी प्रेस विज्ञप्ति को जारी करते हुए शांति वार्ता का प्रस्ताव पेश किया. माओवादियों ने अपने विज्ञप्ति के माध्यम से अपील करते हुए कहा है कि ऑपरेशन कगार पर रोक लगाने एवं जन समस्याओं का स्थायी समाधान के लिए शांति वार्ता करने हेतु सरकार तैयार हो, …

सीपीआई माओवादी के महासचिव वासवराज की हत्या भारतीय राज्य पर एक बड़ा सवाल !

हरी सैन्य वर्दी में जमीन पर सूखे पत्तों के बीच मृत एक बुजुर्ग, जिनकी खुली आंखें जंगल को अब भी निहार रही हैं, की तस्वीर कल से सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है, इस खबर के साथ कि सीपीआई माओवादी के महासचिव कॉमरेड वासवराज मुठभेड़ में मारे गए. निश्चित ही यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी खबर है. सीपीआई …

आदिवासियों की हत्याएं करने के बाद अर्धसैनिक बलों के जवान नाचते हैं: सोनी सोरी

बस्तर में आजकल जनसंहार चल रहा है. वहां नक्सलियों के नाम पर अर्ध सैनिक बलों द्वारा बड़े पैमाने पर आदिवासियों की हत्याएं की जा रही हैं. और इसके पीछे मुख्य मकसद है आदिवासियों की जमीन पर कैसे कॉरपोरेट को कब्जा दिलाया जाए. यह कहना है आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी का. उनसे नारीवादी एक्टिविस्ट और कवियत्री-लेखिका कंडासामी ने बातचीत की. फ्रंटलाइन …

कॉरपोरेट घरानों के लिए आदिवासियों के खून से रंगी सरकार के हाथ

गृह मंत्री अमित शाह की नक्सलवाद को खत्म करने और अपनी राजनीतिक साख को चमकाने की पसंदीदा परियोजना, केंद्र सरकार के ऑपरेशन कगार ने छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व रक्तपात मचा दिया है. 2025 के पहले तीन महीनों में ही सुरक्षा बलों ने राज्य में 140 कथित माओवादियों को मार गिराया है (दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल, वेबसाइट के अनुसार), जो कि 2024 …

आज के हालात कारगिल युद्ध से बदतर : पूर्व नौसेना प्रमुख रामदास

यह आलेख ‘कारवाँ’ के मार्च, 2019 के अंक में प्रकाशित हुआ था लेकिन यह मौजूदा मोदी सरकार की सनक भरी ‘ओपरेशन सिन्दूर’ जैसे उत्तेजक नामों के तहत पाकिस्तान पर हमले और फिर काफ़ी सैकड़ों महिलाओं के सिंदूर मिटाने, नुक़सान उठाने के तुरंत बाद ही अमेरिकी के इशारे पर युद्ध विराम की घोषणा की परिस्थितियों में समीचीन और महत्वपूर्ण आलेख है. …

छत्तीसगढ़ में सिक्योरिटी फोर्सज द्वारा मारे गये 22 इंसानी लाशें किसकी है ?

बुधवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 22 इंसानों को सिक्योरिटी फोर्सज द्वारा मारा गया है. यह 22 इंसानी लाशें बीजापुर के सरकारी अस्पताल में रखी गई है. सरकार किसी को नहीं बता रही है कि मारे गए 22 लोग कौन है ? सरकार ने उनका नाम, उनका फोटो, उनके नक्सली होने या निर्दोष आदिवासी होने के बारे में कोई मीडिया …

छत्तीसगढ़ के कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर खूंखार पुलिसियों का बड़ा हमला

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ जारी है, जिसमें पुलिस के अनुसार अब तक तीन नक्सली मारे जा चुके हैं. यह मुठभेड़ बीजापुर और तेलंगाना की सीमा से लगे पुजारी कांकेर क्षेत्र की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में हो रही है, जहां सुरक्षाबलों का दावा है कि उन्हें वहां माओवादियों के कई शीर्ष नेताओं …

मज़दूर दिवस पर एक अव्यावहारिक सुझाव

ये तो सर्वविदित है कि कि निजी पूंजी का महल मज़दूरों के शोषण की नींव पर खड़ी है. सुदूर शिकागो के जांबाज़ों की शहादत की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी और दुनिया भर में श्रम नियमों में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए, जिसके फलस्वरूप आठ घंटे के काम और न्यूनतम वेतन, भत्ते, रिटायरमेंट बेनिफिट, महिला और पुरुषों के लिए …

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