फर्क

2 second read
0
0
326

आखिर तुमने भी मान
लिया कि नक्सली सिर्फ वही नही होते
जो तुम्हारे खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रहे है
एक नई दुनिया का सपना देख रहे है
तुम्हारी नजरों में तो नक्सली वो बच्चा भी हो सकता है
जो पहला दिन ही स्कूल गया हो
और टीचर से कोई सवाल पूछ दे
वो नौजवान भी हो सकता है
जो बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठा दे
वो किसान भी हो सकता है
जो फसल का उचित दाम न मिलने पर सड़क जाम कर दे

सच में इस देश में नक्सली
कोई भी हो सकता है
बस वो सच और झूठ का
फर्क करना जान जाएं
और तुम्हारे (राज्य सत्ता) हां में हां
मिलाने से इंकार कर दे
जैसे आदिवासी कर रहे हैं
जैसे दलित कर रहे हैं
जैसे मुसलमान कर रहे हैं
यहां तक की मजदूर-किसान और छात्र-नौजवान भी कर रहे हैं

पर सुनो वो भी तुम्हें कुछ कह रहे हैं
तुम्हारे अंधराष्ट्रवाद के गुब्बारे में
अपनी बातो से छेद कर रहे हैं
जिसमे राष्ट्र के नाम पर सिर्फ
कुडा-करकट भरा है
जिसे बहुत पहले ही हमे फेंक देना चाहिए था
पर अब फेंक रहे हैं
और राष्ट्रवाद की परिभाषा
फिर से तय कर रहे हैं

जिसमें जनता को कुछ भी कह लो
वो देशद्रोही नहीं होती
और देशद्रोही को कुछ भी कह लो
वो देशप्रेमी नहीं होगा
ये बात हम समझ गए हैं
और समझा रहे हैं
देशप्रेम का एक नया गीत गा रहे हैं

अब इससे कोई फर्क नहीं पडता कि
तुम हमें क्या कह रहे हो ?
अब फर्क इससे पड़ता है कि
हम तुम्हें क्या कह रहे हैं ?
इसका असर देखना हो तो देखा लो
उन बगावतों में
जहां उम्मीद कि किरण झिलमिला रही है
इंकलाब कि आवाज आ रही है

  • विनोद शंकर

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • औरत

    महिलाएं चूल्हे पर चावल रख रही हैं जिनके चेहरों की सारी सुन्दरता और आकर्षण गर्म चूल्हे से उ…
  • लाशों के भी नाखून बढ़ते हैं…

    1. संभव है संभव है कि तुम्हारे द्वारा की गई हत्या के जुर्म में मुझे फांसी पर लटका दिया जाए…
  • ख़ूबसूरत कौन- लड़की या लड़का ?

    अगर महिलायें गंजी हो जायें, तो बदसूरत लगती हैं… अगर महिलाओं की मुंछें आ जायें, तो बद…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट

आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…