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क्या आप सोचते हो ?

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क्या आप सोचते हो ?
क्या आप सोच को लिख सकते हो ?
यदि हांं
तो लिखो
जो आप सोचते हो.

सच को सच लिखो
बावजूद इसके कि
यदि आपने सच लिखा तो
आपकी खैर नहीं
फिर भी, लिखो
लिखना जरूरी है.

क्या आप बोलते हो ?
क्या आप सच बोलते हो ?
तो बोलो
यह भी सच है आपने बोला तो
आपकी खैर नहीं
फिर भी, बोलो
जिंदा हो तो बोलना जरूरी है.

आप की सोच, आपकी आवाज
आपकी लेखनी और आपका अंदाज
धीरे-धीरे मर रहा है
इससे पहले की यह
मर जाए पूरी तरह
एक अन्तिम कोशिश करो
जिंदा हो तो जीने के लिए.

  • खजान पांडेय

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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