आंख प्रत्यारोपण के लिए बिहार के आईजीआईएमएस, शेखपुरा कैम्प में स्थित आई बैंक ऑफ बिहार लावारिस हालत में हैं. हालात इतनी बदतर है कि आईजीआईएमएस के परिसर में रहने के वाबजूद आईजीआईएमएस के कर्मचारी इसके बारे में नहीं जानते हैं और न ही जरूरत मंदों को इसका पता ही बतला पाते हैं, जिसकारण नेत्रहीनों के एकमात्र आशा की किरण आई बैंक ऑफ बिहार धीरे धीरे अपनी महत्ता खोता जा रहा है.
-
पूंजीपति सरकारी संरक्षण में सरकारी पैसे से सरकारी संपत्तियां खरीदकर धनकुबेर बन रहे हैं
फर्ज कीजिए एक बगीचा है जिसका माली सारे छोटे-छोटे पौधों, घास, फूल, झाड़ी इत्यादि के हिस्से क… -
एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट
आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक… -
हिंसक होकर हम हिंसा से मुक्त कैसे हो सकते हैं !
मनुष्य हिंसा मुक्त दुनिया बनाना चाहता है. लेकिन मनुष्य का परिवार समाज, मजहब, राजनीति सब हि… -
आवारा और दलाल पूंजी के खतरे के बीच सोनी सोरी के जन्मदिन पर
मोटे तौर पर आवारा और दलाल पूंजी का ख़ुद का अपना कुछ भी नहीं है परन्तु वह ताकत के बल पर मिश…
Load More Related Articles
-
एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट
आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक… -
हिंसक होकर हम हिंसा से मुक्त कैसे हो सकते हैं !
मनुष्य हिंसा मुक्त दुनिया बनाना चाहता है. लेकिन मनुष्य का परिवार समाज, मजहब, राजनीति सब हि… -
आवारा और दलाल पूंजी के खतरे के बीच सोनी सोरी के जन्मदिन पर
मोटे तौर पर आवारा और दलाल पूंजी का ख़ुद का अपना कुछ भी नहीं है परन्तु वह ताकत के बल पर मिश…
Load More By ROHIT SHARMA
-
आज महान विदुषी और लेखिका मादाम द स्तेल, महान क्रांतिकारी लेनिन और महान जर्मन दार्शनिक एमुअ…
-
‘लॉकडाउन ‘कठोर’ था जिसने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया. लॉकडाउन वायरस के …
Load More In Uncategorized
Check Also
एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट
आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…