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विकास दिव्यकिर्ती संघी संस्कारों को इस तरह नग्न करके पेश करने से परहेज करें !

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विकास दिव्यकिर्ती संघी संस्कारों को इस तरह नग्न करके पेश करने से परहेज करें !
विकास दिव्यकिर्ती संघी संस्कारों को इस तरह नग्न करके पेश करने से परहेज करें !

ज्यादातर UPSC हिस्ट्री पढ़ाने वाले यू-ट्यूब चैनल इस्लामोफोबिया और गांधी नेहरू पर कीचड़ उछालने का औजार बन चुके हैं. लेकिन विकास दिव्यकिर्ती इस स्तर पर उतर आये, देखकर मैं भौचक हूं. ऑपरेशन सिन्दूर पर बनाये ताजा वीडियो को पूरा देखना असहनीय है. जितना देखा, खून खौल उठता है.

वे पहले भी, अपने तथ्यपूर्ण लेक्चर्स के बीच धीरे से, हंसकर, आधा बोलकर, आधा प्रतीकों और इशारों में, ‘सोशल मीडिया पर कहा जाता है’ का हवाला देकर, तमाम व्हाट्सप गप्पो को अपना वैधता प्रमाणपत्र देते रहे हैं. ताजा लेक्चर में लाल बहादुर शास्त्री की ‘हत्या’ पर बनी शिक्षाप्रद फ़िल्म ‘ताशकंद फाइल्स’ देखने की अनुशंसा करते हैं.

इतने से जी नही भरता, वे सैम मानेकशॉ पर बनी फिल्म में, इंदिरा गांधी को सैम से यौनआकर्षित दिखाने की नीचता पर भी रसपूर्ण सहमति देते हैं.

विकास दिव्यकिर्ती एक भीरू, व्यावसायिक व्यक्ति हैं. तटस्थता और एथिक्स का ज्ञान देते हुए, भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों की खिल्ली उड़ाना, और मौजूदा पीएम की चापलूसी का कोई अवसर बनाना..फिर भी नफासत मेंटेन रखने की धूर्तता की चलती फिरती यूनिवर्सिटी हैं. दरअसल भाजपा के प्रवक्ताओं, और सस्ते ट्रोल्स को उनसे सीखने की जरूरत है कि मर्यादा का कत्ल करते हुए भी अपने हाथ साफ कैसे रखे जायें.

लिहाजा वे नेहरू को क्यूट कहते हैं. यह उन्हें क्यूटिया कहने वही तकनीक के, जिसके तहत एल्गोरिदम से बचने के लिए बांसुरी वाले, या चादरमोद लिखने की परम्परा है. वे नेहरु को क्यूट कहते हैं, क्योकि –

  1. इंदिरा (समझिए मोदी) के अतिआक्रामक, वनअपमैन शिप और तमाम हार्डहिटिंग तौर तरीकों को शासन करने का बेहतर मार्ग बताया जा सके. और
  2. मौजूदा सरकार की तमाम असफलताओं के लिए नेहरू को दोष देने की परंपरा निर्वाह हो सके.

इसके लिए वे तथ्य स्किप करते हैं, और प्रमाणहीन बातें tongue in cheek वाली भाषा में बात फेंककर, पतली गली से खिसक लेते हैं. यह उच्च कोटि की बेशर्मी है, अनबिकमिंग ऑफ ए टीचर है. वे जानते हैं कि कोई भी कांग्रेसी, या इतिहास जानने वाला इसका जवाब देने से बचेगा. क्योंकि जवाब देना एक ट्रेप में फंसना है. नेहरू को क्यूटिया साबित होने से बचाने के लिए बताना होगा कि वे बड़े हरामी थे.

जैसे कश्मीर लेने के लिए सरदार पटेल उनकी जिद पर तैयार हुए थे. वरना रिकार्ड पर है, कि पटेल की इन “’सूखी पहाड़ियों’ में कोई दिलचस्पी न थी. बताना होगा कि गंदगी की शुरुआत हमसे हुई. हमला पहले पाकिस्तान ने कश्मीर में नही, हमने जूनागढ़-हैदराबाद में किया. पाक ने तो उसी की कॉपी की.

माउंटबेटन से दोस्ती (पढिये एडविना) और उसे 6 माह यहां का गर्वनर जनरल बनाये रखने के कारण…पाकिस्तान के ब्रिटिश जनरल से, पाक आर्मी को कश्मीर में उतरने की इजाजत न मिली. मजबूरन उसे कबायली और सादी वर्दी में लोवर रैंक फौजी भेजने पड़े. हमारे रेगुलर फौज के सामने जिनकी हार पक्की थी.

UN जाकर एक्सेशन एग्जीक्यूट कराने की गुहार में कोई गलती है क्युटियापा नहीं. हमें दोनों तरफ विन-विन सिचुएशन थी. क्योंकि रेफरेंडम की हालत में शेख अब्दुल्ला से दोस्ती करके, पहले ही सेट किया हुआ था. और उसी दोस्त की पीठ में छुरा घोपा, 10 साल जेल में ठूंस दिया. इसलिए, क्योंकि कश्मीर से धारा 370 में दिये अधिकार हड़पने थे. कश्मीर के 50% अधिकार तो नेहरू ने खुद ही वापस ले लिए, 40% इंदिरा ने. नाम के 10% अधिकार बचे थे, जिसे bjp ने खत्म किये.

बेईमान नेहरू चीन को ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का नारा सुनाकर ठगते रहे, और फारवर्ड पॉलिसी से हजारों वर्ग किलोमीटर कब्जा किया. तवांग से लेकर अक्सई चिन के मौजूदा LAC तक हमे नेहरू ने पहुंचाया. कहना होगा कि इसी से तंग आकर चीन खार खा बैठा लेकिन परमानेंट मेम्बरशिप के समर्थन का लॉलीपॉप देकर 10 साल ठगते रहे.

नेहरू को लूजर कहलवाने से बचने के लिए खुलकर कहना पड़ेगा कि अक्सई चिन इतिहास में, या 1947 के पहले-बाद, कश्मीर स्टेट या भारत के कब्जे में था ही नहीं. नेहरू ने 1954 के नक्शे में उसे जबरजस्ती इंडिया में दिखाया, ताकि वे खुद, या आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग बना रहे.

नेहरू को भोला, और यूटोपियन पीस का पुतला बनने से बचाने के लिए बताना पड़ेगा कि एक अरक्षित गोआ की टेरेटरी को पहले अंदर से डिस्टर्ब किया गया, फिर सैनिक कार्यवाही से हड़प लिया गया. दरअसल जब हड़प लिया, डिस्टर्ब किया, धोखा दिया, छुरा घोपा जैसे शब्द का इस्तेमाल हो, तभी नेहरू बुद्धिमान साबित होंगे.

क्योकि आज हड़प लिया, डिस्टर्ब किया, धोखा दिया, छुरा घोपा ही विद्वत्ता है. गोली मारी, घुसकर मारा, दस सर काट लाये जैसे जुमले ही, क्यूटिया नहीं, परमवीर होने का पैमाना है. यह सीख, युद्धोन्माद, जहर और अनैतिक शिक्षा हमारे बच्चों को विकास अपकीर्ति जैसे शख्स दे रहे हैं, इस शख्स को लानत है.

जो इनके फोन, व्हाट्सप, या अन्य तरीके से सम्पर्क रखते है, वे कृपया यह लानत उन तक डिलीवर कर दें. कहें कि वे आसमान पर थूकना बन्द करें. कोचिंग का धंधा करें और समय समय पर अपने प्रारंभिक जीवन के संघी संस्कारों को इस तरह नग्न करके पेश करने से परहेज करें.

  • मनीष सिंह 

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