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आभाषी अमीरी

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आभाषी अमीरी
आभाषी अमीरी

गरीबी है कहां
गरीबी का मूल्य
पांच किलो अनाज
मनरेगा
किसान योजना में
छह हजार रुपए
खैरात के लंगर
पांच रुपए थाली
सरकारी आयोजनों में
सामूहिक विवाह
गरीबों को यह सब
अपनी अमीरी लगती है

गरीबी है कहां
मंदिर मस्जिद
नफरत गाय गोबर
तीरथ व्रत त्योहार
सांप्रदायिकता
कच्ची दारू भांग
जुआ सट्टा
अखंड भारत का नक्शा
यह सब उसे
अपनी अमीरी लगती है

गरीबी है कहां
गरीबों को खुद
दिखाई नही दे रही है
मुझे आपको
दिखने न दिखने का
उतना कोई मोल नहीं

खस्ताहालों का यह
आभाषी अमीरी होने का
आभाषी श्रेष्ठ नागरिक होने का
आभाषी अडानी अंबानी
जैसे महसूसने का समय है

दिमाग में ऐसा वैसा कर
भर दिया गया है
कुछ ऐसा ही कुछ वैसा ही
सोच आभाषी बना दी गई है
वास्तविक स्थिति बदल दी गई है

  • बुद्धिलाल पाल
    24.02.2023

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