'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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अमृतलाल नागर से मिलना

बात 40 साल पुरानी है. मेरी डायरी में अमृतलाल नागर जी का पता चौक, लखनऊ लिखा हुआ था लेकिन ‘शहर-ए-लखनऊ’ में उनके घर तक पहुंचने में हमें कोई दिक्कत नहीं हुई. एक पुरानी हवेली के बड़े-से फाटक पर उनके नाम की हस्ताक्षरनुमा पट्टिका देखकर मैं प्रसन्नता से भर उठा. आवाज दी तो दरवाजे पर उनकी पत्नी श्रीमती प्रतिभा नागर ने …

‘दो अक्तूबर को राजघाट से दस बजे सुबह निकलूंगा तलोजा जेल के लिए…’ – हिमांशु कुमार

उमर ख़ालिद सहित अन्य युवा छात्र जिन्हें सीएए एनआरसी जैसे संविधान विरोधी आन्दोलन में शामिल होने की वजह से सरकार ने चार साल से जेल में डाला हुआ है. संजीव भट्ट जिन्हें गुजरात जनसंहार में मोदी की मिलीभगत की सच्चाई बताने के कारण जेल में डाला गया है. सामाजिक कार्यकर्ता जिन्हें आदिवासियों और दलितों के मुद्दे उठाने के कारण भीमा …

संजय शर्मा नहीं रहे…

संजय शर्मा नहीं रहे. दिल जार जार है. आंखों से आंसू बहते जाते हैं. क्या ही एक जानदार, शानदार शख्स… शर्माजी, छोटे कद के आदमी थे, मगर ऊंचा म्यार था. पत्रकारिता की दुनिया में जब खबर और पीआर का में अंतर मुश्किल हो, एडिटोरियल और एडवरटोरियल गड्डमड्ड हो गए हों तो शीशे की तरह साफ साफ काला और सफेद दिखाने …

स्वयं के अभिशप्त युद्धों से अमरीका व इजरायल का अधोपतन

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन के रक्षा मंत्री व खुफिया प्रमुख को बर्खास्त कर बर्बाद होते यूक्रेन को और अधिक निराशा के गर्त में धकेल दिया है. रक्षा मंत्री व खुफिया प्रमुख ही जेलेंस्की की ताकत के रूप में जाहिर होते रहे हैं. इन दोनों के कहने पर ही जेलेंस्की ने 6 अगस्त के दिन यूक्रेनी सेना को रूस …

भारत का वैज्ञानिक और दार्शनिक इतिहास : उत्थान और विनाश

भारत के इतिहास में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और बौद्धिक मंथन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारत ने चिकित्सा, गणित, खगोलशास्त्र, और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिए. इस वैज्ञानिक सोच और प्रयोगात्मक दृष्टिकोण ने भारत को उस समय की सबसे उन्नत सभ्यताओं में से एक बना दिया था लेकिन इस प्रगतिशीलता को धार्मिक कट्टरता और बाहरी आक्रांताओं ने गहरा आघात …

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ साहब, आपकी खुद की निजता का क्या हुआ ?

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ साहब ! देश में सब लोगों को नहीं मालूम है. वकीलों को, जजों को, पत्रकारों को, और कुछ प्रोफेसरों को मालूम हो सकता है. निजता के अधिकार पर, राइट टू प्राइवेसी पर आपका शानदार फैसला है. इतना शानदार कि उस बहुत महत्वपूर्ण फैसले में आपने उन बातों का भी हवाला दिया, जो भारत में आपातकाल के समय …

अर्बन नक्सली या आतंकवादी कहकर सच्चाई को अपमानित और बदनाम नहीं कर सकते

समस्त भारतीय वांग्मय और धार्मिक ग्रंथों में सत्य को प्रतिष्ठापित करते हुए इसे शास्त्र, धर्म और मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आधार माना गया है. सत्य की महिमा के बखान में लेखकों और ग्रंथकारों ने बखूबी अपनी कलम चलाई है. सत्यान्वेषण को सबसे महत्वपूर्ण बौद्धिक प्रयास माना गया है. सत्य ही जीवन है, सत्य ही परमानंद है, सत्य ही ईश्वर …

माओवादियों के खिलाफ भाजपा का नया नौटंकी – ‘केंजा नक्सली-मनवा माटा’

भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया था कि वह ’31 मार्च, 2026 तक देश से माओवादी खत्म कर देंगे.’ उसने यह घोषणा छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित इलाकों में 1 लाख सैन्य बलों को झोंक कर आदिवासियों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने के बाद अब एक नया नौटंकी शुरु …

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) को उनकी पार्टी विरोधी, गुटबाजीपूर्ण गतिविधियों के चलते पार्टी सदस्यता रद्द करते हुए, सभी जिम्मेवारियों से हटाते हुए पार्टी से बर्खास्त करने की भाकपा (माओवादी) की घोषणा की है. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केन्द्रीय कमिटी के प्रवक्ता अभय की …

भागी हुई लड़कियां : एक पुरुष फैंटेसी और लघुपरक कविता

आलोक धन्वा की कविता ‘भागी हुई लड़कियां’ (1988) को पढ़ते हुए दो महत्वपूर्ण तथ्यों को महसूस किया जा सकता है. पहला तथ्य यह है कि ‘भागी हुई लड़कियां’ में जेंडर की पहचान और संबंधों की गहरी समझ की कमी है, जो इसे राजनीतिक और यथार्थवादी दृष्टि से समस्याग्रस्त बनाती है और कविता अंततः स्त्री विरोधी पुरुष-फैंटेसी के रूप में परिणत …

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