‘उस आदमी की शिक्षा भी वैसी ही है, जैसे उसके कपड़े हैं. कोई नहीं. मुझे नग्नता से कोई समस्या नहीं है. मुझे शासन में धर्म से समस्या है’ – विशाल डडलानी संतों और धर्म की पूंजीपति को जरूरत क्यों पड़ती है ? इस सवाल का सही उत्तर समाजशास्त्री बेबर ने दिया है. उसने लिखा – ‘पूंजीपति को ऊर्जा पैदा करने …
संतों और धर्म की पूंजीपतियों को जरूरत क्यों पड़ती है ?
