'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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1857 के विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम कहने का क्या अर्थ है ?

[ उन्नीसवीं शताब्दी में 1857 के विद्रोह को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम कहने का क्या अर्थ है ? यह उन मूर्खों का आलाप था, जो सिर्फ हिन्दुओं की स्वतंत्रता चाहते थे, और इस बात से उन्हें कोई मतलब नहीं था कि यदि 1857 का विद्रोह, यदि दुर्भाग्य से सफल हो जाता, तो अलग-अलग रियासतों की स्वतंत्र सत्ताएं उन्हीं व्यवस्थाओं को …

राजनीतिक बहसों का उच्च मापदंड !?

20,000 रूपये की कुल कीमत वाले लैपटॉप के लिए प्रतिदिन 16,000 रुपये किराया देने वाले देश के माननीय वित्त मंत्री जी ने फेसबुक में अपने लेख में फ़रमाया था कि ‘अरविन्द केजरीवाल को अभद्रता का अधिकार नहीं.’ उन्होंने सार्वजानिक बहस के स्तर को नीचा ले जाने का आरोप अरविन्द पर लगाया था. 3,000 रूपये प्रतिदिन प्रिंटर का किराया देने वाले …

फर्जी सरकार के फर्जी आंकड़े

[ 2014 में बिल्कुल ही फर्जी वादे करके एक हत्यारे नरेन्द्र मोदी ने देश की सत्ता हथिया ली और अब उसका असली रंग देश को दीख रहा है. एक वक्त था जब किसी भी डकैत का सपना बैंकों को लूटना हुआ करता था, पर इस सपनों में हकीकत में बदल डाला है संघी हत्यारा और गुण्डा नरेन्द्र मोदी ने. इसने …

“शांति की तलाश में“, इस विडियो को जरूर देखिये

बस्तर संभाग के जिलों की अनकही-अनसुनी या सुनाई हुई सच्चाई की कहानी हैं. यह उस देश व उस राज्य की कहानी है जहां आदिवासी कहे जाने वाले आदिमानव अर्थात आदिवासी भारत देश के ( मुलबीज ) जीवन जीते हैं. इस राज्य का नाम हैं छत्तीसगढ़. वैसे भारत के कई राज्यों में मुलनिवासी जीवन जीते हैं. इन आदिवासियों के पास कुछ …

हम धर्मात्मा दिखना चाहते हैं, होना नहीं

नसीरुद्दीन शाह : ये जहर फैल चुका है और दोबारा इस जिन्न को बोतल में बंद करना बड़ा मुश्किल होगा खुली छूट मिल गई है कानून को अपने हाथों में लेने की. कई इलाकों में हम लोग देख रहे हैं कि एक गाय की मौत को ज़्यादा अहमियत दी जाती है, एक पुलिस ऑफिसर की मौत के बनिस्बत. मुझे फिक्र होती …

क्या देश और समाज के इस हालत पर गुस्सा नहीं आना चाहिए ?

  स्कूल जाती लड़की सरेराह पेट्रोल डाल जला दी गयी. हत्यारे ने उसकी मां को फोन कर सूचित भी किया तेरी लड़की जला दी है, जाकर उठा ले ! दंगा रोकने गए पुलिस अधिकारी को गोली मार दी जाती है. हमराह भाग जाते हैं. थाने और वाहन जला दिए जाते हैं. सत्ताधारी सांसद और विधायक हार्ट अटैक से मृत्यु बताते …

तीन राज्यों के चुनावों में भाजपा-कांग्रेस का वोट प्रतिशत

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 2013 के मुकाबले 2018 में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है, और भाजपा गिरा है – कांग्रेस की बढ़त के आंकड़े निम्न प्रकार हैं- मध्यप्रदेश : शहरी क्षेत्रों की कुल 91 सीटों में से 67 सीटों पर 73.6 प्रतिशत बढ़ा. छत्तीसगढ़ : शहरी क्षेत्रों की कुल 24 सीटों में …

सहिष्णु भारत के असहिष्णु ठुल्ले !

1. उर्दू संविधान में उल्लेखित भाषा है, जिसका जन्म भारत में हुआ. उर्दू उत्तर प्रदेश राज्य की हिंदी के बाद दूसरी भाषा है लेकिन भाजपा के लोग अलीगढ़ में एक मुस्लिम पार्षद को उर्दू में शपथ लेने पर पीटते हैं. तुर्रा ये यूपी के ठुल्ले विक्टिम के खिलाफ ही 295ए के तहत मुकदमा लिख लेते हैं. 2. उत्तर प्रदेश विधानसभा …

जब उपलब्धियां गिनाने के लिए सरकार के हाथ खाली हों, तो सरकार क्या करे ?

एक अनुमान के अनुसार अगले वर्ष मार्च में चुनाव आयोग संसद के चुनावों की घोषणा कर देगा यानी सरकार के पास लोक-लुभावन घोषणाएं करने और जमीन पर उनके परिणाम दिखाने के लिए अधिकतम तीन महीने का समय हाथ में है. राम मन्दिर निर्माण, न्यायालय का नहीं देश के सौ करोड़ हिंदुओं की आस्था का विषय बताने वाले हिंदुत्ववादियों को नहीं …

‘किस किस को कैद करोगे ?’ बढ़ते राजकीय दमन के खिलाफ उठता आवाज

इस ब्राहम्णवादी और फासीवादी सरकार और इसके दमन के औजार जैसे कि कड़े कानूनों (यू.ए.पी.ए., आफ्सपा, पोटा, रासूका और राजद्रोह) जिन्हें दलित और आदिवासियों के समानता के अधिकार के दावे और जन आंदोलनों को दबाने में इस्तेमाल किया जा रहा है. इस सवाल को लेकर विगत दिनों 7  दिसम्बर को पटना के एक सभागार में यौन हिंसा और राजकीय दमन के …

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