'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
Home गेस्ट ब्लॉग (page 314)

गेस्ट ब्लॉग

Featured posts

भारतीय वामपंथ के भटकाव और कमजोरी जिसके कारण वाम राष्ट्रीय पटल पर कमजोर हुआ

[ भारतीय वामपंथ भटकावों के दौर से गुजर रही है. दुनिया भर में वामपंथ के पतन और सत्ताच्यूत होने के बाद यह भटकाव बड़ी बेतरतीब है, जिसका भारी असर वामपंथी आंदोलन पर हुआ है. भारत में 1925 ई. में स्थापित वामपंथ के भटकाव का अनेक विश्लेषण अनेक पार्टियों व विद्वानों द्वारा की गई है और की जाती रहेगी. हम यहां …

शेखचिल्ली गपोड़ियों के विश्वगुरु !

अक्सर लोग कहते व लिखते हैं कि व्हाट्सएप्प, ट्विटर यूनिवर्सिटी ने भारतीयों को झूठा, गपोड़ी और फ़र्ज़ी ज्ञान वान बना दिया ! मुझे इस कथन से ऐतराज़ है. दरअसल हम भारतीय आदिकाल से ही यूरोपियन, अमरीकन, मध्य एशियाइयों, अफ्रीकियों और ऑस्ट्रलियाईयों के मुकाबले बहुत ज़्यादा झूठे, मक्कार, आला दरजे के गपोड़ी और फ़र्ज़ी ज्ञान पर आसानी से विश्वास कर लेने …

नागरिकों की हत्या और पूंजीतियों के लूट का साझेदार

पुलिस वाला आत्मरक्षा में किसी को मार दे तो उसे कोई सज़ा नहीं होती. इसी तरह, अगर कोई नागरिक किसी को आत्म रक्षा करते हुए मार दे तो उसे भी सज़ा नहीं होगी. लेकिन कोई नागरिक जब किसी को आत्म रक्षा करते हुए मार डालता है तो इस बात का फैसला अदालत का जज करता है कि यह हत्या आत्मरक्षा के उद्देश्य …

मोदी का अंबानीनामा : ईस्ट इंडिया कंपनी-II

[ एक साल पूर्व इस आलेख के लिखने के बाद से नदियों में काफी पानी बह चुका है. अंबानी के कर्ज में डुबे प्रधानमंत्री पद पर विराजमान नरेन्द्र मोदी देश की सारी सम्पदा और गरिमा अंबानी नामक दानव के चरणों में डाल देने को और दृढ़ता से कटिबद्ध हो चुका है. राफेल डील जैसे अनेकों मामले देश के सामने आ चुका …

कांचा इलैय्या की किताबों से घबड़ाते क्यों हैं संघी-भाजपाई ?

कांचा इलैय्या की किताबों में ऐसा क्या है, जिससे हिंदुत्वादी को नफरत है ? वे कभी इन किताबों पर प्रतिबंध लगवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय पहुंच जाते हैं, कभी दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठक्रम से उनकी किताबें निकलवाने के लिए जोर लगाते हैं. कभी उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं. इस विषय से जुड़े करीब सभी प्रश्नों का कंवल …

मोदी, संघ और पटेल

PM मोदी को गांधी की हत्या से पहलेवाला पटेल पसंद है. उस समय सरदार बल्लभ भाई पटेल की मुसलमानों के प्रति जो मनोदशा थी, वह पसंद है. पटेल का दंगों के समय मुसलमानों के प्रति सही रवैय्या नहीं था. अब्दुल कलाम आजाद ने जो उस समय मंत्री थे अपने संस्मरणों में उसका ज़िक्र किया है. विभाजन के बाद दिल्ली में …

… और अब रिज़र्व बैंक पर हमला !

सीबीआई को कीचड़ में लपेटने के बाद अब रिज़र्व बैंक की दुर्गति का अभियान शुरु कर दिया गया है. बीमार वित्त मंत्री ने पूरी अर्थव्यवस्था को आईसीयू में भेजने के बाद कुछ डायरेक्टर्स के जरिये केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता और उसके कामकाज में दख़लंदाज़ी की जो कोशिशें की हैं, उनका बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर सख़्त विरोध कर रहे हैं. …

ease of doing business रैंकिंग और हम

मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि सामने आई है दुनिया के पैमाने पर. भारत में बिजनेस करने में आसानी के मामले में आज भारत का स्थान तेजी से 2014 के मनमोहन सिंह के समय के 142 स्थान से उछल कर 77 वें पायदान पर पहुंंच चुकी है. इससे बड़ी उपलब्धि कुछ और हो भी नहीं सकती. पूरे देश में इस उपलब्धि …

दांव पर सीबीआई की साख – ये तो होना ही था

देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) के दो सबसे बड़े अधिकारी राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा दो करोड़ रूपये घूस के मामले में सुख्रियां बटोर रहे हैं. सीबीआई के भीतर चल रहा युद्ध सड़क पर आ गया है. इस कांड की वजह से सीबीआई की साख तो गिरी ही है, वहीं आम आदमी का विश्वास …

भारत में सरकारी तंत्र और आम आदमी

जब मैंने अपनी एक पोस्ट में लिखा कि भारत में लाखों करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनका मासिक वेतन 3000 रुपए महीना है, इसलिए सरकारी तंत्र के लोगों का वेतन व सुविधाएं कम की जानी चाहिए तो बहुत लोग ज्ञान व तथ्यों का कटोरा लेकर आ गए तर्क-वितर्क-कुतर्क करने. बहुत तकलीफ हुई लोगों की संवेदनशीलता, विचारशीलता व सोच का छिछला स्तर …

1...313314315...334Page 314 of 334

Advertisement