'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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पेट्रोलियम बना जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने का यंत्र

सत्ता में आने के पूर्व भाजपा के कई लुभावन नारों में एक प्रमुख नारा था – ‘अब न सहेंगे पेट्रोल-डीजल की मार, अबकी बार मोदी सरकार’. पिछली सरकार के कामकाज से असंतुष्ट जनता ने इनकी बातों को राहत के विकल्प के तौर पर देखा और इनकी बातों और इनके कमल पर मुहर लगा दी. लेकिन सत्ता में आतें ही मोदी …

प्रधानमंत्री मोदी आधार कार्ड के समर्थक क्यों बने?

पिछले संसद सत्र में सरकार ने कई बड़े फैसले लिए. उनमें से फाइनेंस एक्ट 2017 बहुत महत्वपूर्ण है. मोदी सरकार ने जिस फाइनेंस एक्ट 2017 को पास किया है, उसके 40 कानूनों में 250 संसोधन किया गया है. इसमें कंपनी एक्ट और आधार एक्ट में जो बदलाव किए गए हैं, वे सबसे महत्वपूर्ण हैं. इसके कई दूरगामी असर होने वाले …

भारत की सम्प्रभुता आखिर कहां है ?

[ किसी भौगोलिक क्षेत्र या जन समूह पर सत्ता या प्रभुत्व के सम्पूर्ण नियंत्रण पर अनन्य अधिकार को सम्प्रभुता कहा जाता है. सार्वभौम सर्वोच्च विधि निर्माता एवं नियंत्रक होता है यानि संप्रभुता राज्य की सर्वोच्च शक्ति है. परन्तु हमारे देश की राजसत्ता 1947 ई. की तथाकथित आजादी के बाद भी सम्प्रभुता सम्पन्न नहीं रहा है, इसका कारण यही रहा है …

कलंक कथाः राष्ट्रभक्तों का पत्र मोदी के नाम

मोदी जी, गुलामी के हर कलंक को मिटा दो. फिर चाहे वो इंसान हो, स्थान हो, इमारत हो कुछ भी हो, जो कलंक है, उसको भारत की धरती से – मिटाओ और हमें मिटाने दो, Do and Let Us Do. किसी गली का नाम उस्मानपाड़ा, किसी सड़क का नाम औरंगजेब रोड, किसी स्टेशन का नाम मुगलसराय, किसी शहर का नाम …

मैं नास्तिक क्यों हूंं ?

[ भारत के क्रांतिकारी इतिहास में स्वर्णिम काल तब आया जब अमर शहीद भगत सिंह का उज्ज्वल नाम भारत के मस्तक पर चमकने लगा. तमाम कट्टरपंथियों, धार्मिक उन्मादियों और अराजकतावादियों को भारत के पूरे इतिहास में भगत सिंह से ज्यादा किसी और ने पूरी दृढ़ता के साथ सर्वाधिक चुनौती नहीं दी है. यही कारण है कि भगत सिंह आज भी …

इस्लाम तलवार के बल पर भारत में स्थापित हुआ ?

इस्लाम तलवार के बल पर भारत में स्थापित नहीं हुआ, सनातन धर्म में जात-पात के कोढ़ ने इस्लाम को भारत की धरती पर पांंव पसारने में भारी मदद की है. “प्रभु” वर्तमान के कष्ट भविष्य में हर लेंगे, अपूर्ण मनोकामनाएं, भविष्य में जरूर पूरी होंगी. “प्रभु की प्रभुता” में आपकी जितनी गहरी “आस्था” होगी, आपको अपना भविष्य उतना ही सुनहरा …

धर्म और हमारा स्वतन्त्रता संग्राम

[ इतिहास खुद को दुहराता है, यह कथन आज भी चरितार्थ है जब देश धार्मिक उन्माद में फंस कर अपना हित-अहित सब भूलकर धर्म के नाम पर सबकुछ कुर्बान कर देने पर उताबला हो गया है. भारतीय राजसत्ता का फासीवादी चरित्र हिन्दुत्ववादी मुखौटा ओढ़कर जब अपने ही देशवासी के खिलाफ षड्यंत्र करता नजर आता है और गरीबों-पीड़ितों के खून-पसीने के …

15 अगस्त को भी भगवाध्वज !

प्रतीकात्मक तस्वीर आज सुबह जब मैं पार्क में टहलने गया तो वहां मुझे अजीब नजारा देखने को मिला. एक तरफ बाबा राम देव के स्थानीय कैंप के तहत रोजाना योग करने वाले लोग तिरंगे ड्रेस में बैठकर स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थीं. उसी के ठीक बगल पार्क के ही हिस्से में भगवा ध्वज गाड़ा गया …

बम का दर्शन

[ 23 दिसम्बर, 1929 को क्रान्तिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के स्तम्भ वायसराय की गाड़ी को उड़ाने का प्रयास किया, जो असफल रहा. गांधीजी ने इस घटना पर एक कटुतापूर्ण लेख ‘बम की पूजा’ लिखा, जिसमें उन्होंने वायसराय को देश का शुभचिन्तक और नवयुवकों को आज़ादी के रास्ते में रोड़ा अटकाने वाले कहा. इसी के जवाब में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन …

भीमा कोरेगांवः ब्राह्मणीय हिन्दुत्व मराठा जातिवादी भेदभाव व उत्पीड़न के प्रतिरोध का प्रतीक

[ महाराष्ट्र में सदियों से जारी चातुर्वर्ण व्यवस्था द्वारा जारी ब्राह्मणीय हिन्दुत्व मराठा जातिवादी भेदभाव व उत्पीड़न के प्रतिरोध में फूटी ज्वालामुखी है भीमा कोरेगांव, जिसको ब्राह्मणवाद के विरुद्ध पहली चिंगारी के तौर पर देखा जाता है, जिसमेंं पहली बार दलितों ने अंग्रेजों के नेतृत्व में ही सही पर ब्राह्मणीय हिन्दुत्ववादी ताकतों के खिलाफ हथियार उठाया था और उसे बलपूर्वक …

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