'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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नौकरशाही के प्रशिक्षित भेड़िए

अब जब आप आईएएस, आईपीएस पास करने वाले नए लड़के लड़कियों को बधाई दें तो अब ये भी याद रखियेगा कि ये भी नौकरशाही के वैसे प्रशिक्षित भेड़िए ही बनेंगे जो अपने आक़ाओं के इशारे पर जनता को नोचेंगे, लूटेंगे और काट खाएंगे. भारत की नौकरशाही का असली चरित्र समझना है तो उन राज्यों जहाँ नौकरशाही राज्य सरकार के अंतर्गत …

69 पोजीशनः डॉलर बनाम रुपया

रुपया, डॉलर के मुकाबले निम्नतम गिरावट पर पहुंच एक के मुकाबले 69 हुआ. मनमोहन के काल मेंं डॉलर 60, 61, 62, 63, 65, 67, 68 आदि होता था. इससे रुपया हमेशा डॉलर के सामने भारतीय प्रधानमंत्री के सम्मान को गिराता रहता था. अब मोदी जी के प्रताप से डॉलर के मुकाबले रुपया 69 की पोजीशन में आ गया है. ‘वात्सायन’ …

मुस्तफा कमाल पाशाः आधुनिक तुर्की, आधुनिक इस्लाम

20वीं सदी में तुर्की जो की एक कट्टरपंथी इस्लामिक देश था, वहांं एक राष्ट्रपति हुए ‘मुस्तफा कमाल अतातुर्क’. उन्होंने 10 साल के अन्दर तुर्की को एक कट्टरपंथी इस्लामिक देश से एक आधुनिक पढा-लिखा प्रगतिशील देश बना दिया. सबसे पहले उन्होंने एक अभियान चलाया और टर्की को उसकी अरबी जड़ों से काट के तुर्की आत्मसमान को जागृत किया. उन्होंने देश में …

आपातकाल : इंदिरा गांधी, हिटलर और जेटली – असली वारिस कौन?

यह सच है कि इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है. इस दौर में नागरिक अधिकार छीन लिए गए. नेताओं, लेखकों, पत्रकारों को जेल में डाला गया. उन्हें यंत्रणाएं दी गईं. लोगों की जबरन नसबंदी कराई गई. 20 सूत्री कार्यक्रम थोपा गया. अनुशासन पर्व के नाम पर तानाशाही का चाबुक चलाया गया. यह भी सच है कि इंदिरा गांधी को …

‘उस ताकतवर भोगी लोंदे ने दिया एक नया सिद्धान्त’

यही वह आदमी है-खाऊ, तुंदियल, कामुक लुच्चा, जालसाज़ और रईस, जिसकी सेवा की खातिर इस व्यवस्था और सरकार का निर्माण किया गया है. इसी आदमी के सुख और भोग के लिए इतना बडा़ बाज़ार है और इतनी सारी पुलिस और फौज है… शिट् ! शाला हांफ रहा है, एक पैर कब्र में लटका है, मोटापे के कारण ठीक से चल …

सिवाय “हरामखोरी” के मुसलमानों ने पिछले एक हज़ार साल में कुछ नहीं किया

[ पाकिस्तानी पत्रकार जावेद चौधरी का यह आलेख उर्दू अखबार ‘डेली एक्सप्रेस’ कराची में प्रकाशित हुआ, जिसमें सिर्फ पाकिस्तान के मुसलमान ही नहीं, दुनियां के मुसलमानोंं की हकीकत को बखूबी बयां किया गया है. ] मशहूर उर्दू शायर जौन इलिया का एक तीखा फिकरा है – “हम मुसलमान अपने एक हजार साल के इतिहास में ‘हरामखोरी’ के सिवा कुछ नहीं कर …

“प्लीज, इस कॉलेज को बंद करो” – डॉ. स्मृति लहरपुरेे का सुसाइड नोट

[ शिक्षा के निजीकरण का मूल्य छात्रों को अपनी जिंदगी को खत्म कर चुकानी पड़ रही है. डॉ. स्मृति लहरपुरे की उच्च शिक्षा पाने की आकांक्षा इस सड़ांध व्यवस्था ने उसे इस कदर प्रताड़ित किया कि उसे मौत ज्यादा मुफीद लगा. डॉक्टर स्मृति का यह सुसाइड नोट शिक्षा के निजीकरण की इस सडांध व्यवस्था पर करारा तमाचा है, जिसके विरुद्ध …

योग दिवस, प्रधानमंत्री और पहाड़

योग दिवस के मौके पर प्रधानमन्त्री जी के देहरादून आने की खबर के पीछे-पीछे यह खबर भी आई कि एफ.आर.आई. में सांप और बंदर पकड़ने वालों का भी इंतजाम किया गया है. यानि प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में एस.पी.जी.के कमांडो और पुलिस, फ़ौज-फाटे के अलावा सपेरे और बन्दर पकड़ने वाले भी रहेंगे. कुछ साल पहले अमेरिका में बोलते हुए प्रधानमंत्री …

क्यों बरसती है छात्रों पर लाठियां ?

प्रतिकात्मक तस्वीर बिहार विद्यालय परिक्षा समिति के परीक्षाफल में भारी लापरवाही और गड़बड़ी से असंतुष्ट छात्रों को पुलिस ने हैवानियत की हदों तक मार-मारकर अधमरा कर दिया. किसी के सर से फव्वारे की तरह बहते हुए खून ने पूरे बदन को रक्त-रंजित कर दिया, कोई अपने चोटिल पैरों के कारण चल-फिर नहीं पा रहा था, किसी की बाहें बैग को …

चुनावी जमीन “दरकने की रोकथाम” का पहला चरण कश्मीर

संसदीय चुनावों की सम्भावित घोषणा से काफी पहले, बीजेपी को देश भर में अपनी जमीन के दरकने का अंदाजा हो गया है. कश्मीर में पीडीपी से अपना पीछा छुड़ाना, उसी जमीन के दरकने की “रोकथाम की योजना” का पहला चरण है. देश जब 2019 में, पांच साला संसदीय चुनाव के लिए मतदान कर रहा होगा, तब तक जम्मू-कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी …

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