'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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माओवादियों के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर रहे कॉरपोरेट घरानों के भाड़े के कारिंदों का खूंखार चेहरा

मोदी-शाह की हिन्दुत्ववादी फासीवादी सरकार ने कुछ माह पहले ही गाजे-बाजे के साथ तुरही बजाया था कि 31 मार्च, 2026 तक माओवादियों को देश से समाप्त कर दिया जायेगा. इस नरभेड़ियाओं ने माओवादियों के नाम पर सैकड़ों आदिवासियों को हज़ारों खूंखार पुलिस द्वारा घेरकर नृशंस तरीक़े से हत्या करने के बाद अब उसे समझ में आ गया कि माओवादियों को …

साम्प्रदायिक नफ़रतों के लिए पलक पांवड़े बिछाना मिडिल क्लास को बहुत भारी पड़ा है

वह 1990 के दशक का शुरुआती दौर था. चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे. गांवों में तब तक सस्ते टेप रिकॉर्डर और सस्ते कैसेट घर घर तक पहुंच चुके थे. राम मंदिर आंदोलन अपने उरूज़ पर था. ठीक से याद नहीं, लेकिन तब शायद ‘एक एक आदमी एक एक ईंट लेकर अयोध्या पहुंचे’ जैसा कोई कार्यक्रम चल रहा था. इस कार्यक्रम को कोई …

लुंपेन ट्रंप के आने के मायने : मोदी सत्ता को लात मार कर भगाना ट्रंप की प्राथमिकता है

पहले राजनीति का अपराधीकरण हुआ, फिर अपराधियों का राजनीतिकरण हुआ और अब व्यापारियों का राजनीतिकरण हो रहा है. पूंजीवादी व्यवस्था रातोंरात फासीवादी व्यवस्था नहीं बनती है. एक ऐतिहासिक निरंतरता और मजबूरी होती है. मस्क के मंत्री बन जाने के बाद हो सकता है कि भारत जैसे पंगु लोकतंत्र में बहुत जल्द आपको केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में बेईमान धंधेबाज़ों …

‘भगवान था मेरा दामाद’ – कहकर माओवादी नेता चलपति के ससुर लक्ष्मण राव ने दिला दी भगवान बिरसा की याद

‘भगवान था मेरा दामाद’ पत्रकारों के सामने कहकर माओवादी नेता चलपति के श्वसुर श्री लक्ष्मण राव ने सरकार और पुलिसियों में हड़कंप मचा दिया है. इसके साथ ही इस बयान ने मोदी-शाह के कॉरपोरेटपरस्त हत्यारे चेहरा को नंगा कर दिया और एक बार फिर भगवान बिरसा मुंडा की याद दिला दिया, जिन्होंने आदिवासियों और मेहनतकश लोगों के लिए अंग्रेजों के …

इजरायली नरसंहार और टाटा घराना

सुनने में अटपटा लगता है लेकिन हकीकत है कि टाटा घराने का इजरायली नरसंहार से अप्रत्यक्ष संबंध है. यह बात उनके लिए ख़ासतौर पर पीड़ादायक हो सकती है जो रतन टाटा के मरने पर आंसू बहा रहे थे. अमीरों के लिए आंसू बहाना और उनकी प्रशंसा में कसीदे पढ़ना भारत में लंबे समय से चला आ रहा है. पहले हमारे …

सुभाष बोस जैसे व्यक्तित्व की शानदार कहानी का सबसे शानदार अंत

आज से पचास साल बाद कोई व्हाट्सप आये, और कहे कि राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य पर काफी अत्याचार किये, और पार्टी से बाहर निकाल दिया…यकीन करेंगे ? जरूर करेंगे, यदि आप प्रोपगेंडे के दाने खाकर ही पले बढ़ें हों. कांग्रेस, सुभाष के लिए, आउट ऑफ रिस्पेक्ट कोई काउंटर नहीं करती. जब तक सरकार रही, उनके अवदानों का मान ही बढाया, …

हर तसवीर, हर शब्द सच है लेकिन सारी तसवीर, सारे शब्द मिलाकर एक झूठ बनता है

फोर्स्ड एक्सोडस ऑफ कश्मीरी पंडित…कुछ तस्वीरें हैं, जनसंहार है, रोते लोग, छाती पीटती औरतें. एक प्रेस कटिंग है जो कश्मीरी पंडित- टीका राम टपलू की हत्या की खबर देती है. रालीव, चलीव या ग़ालिव- याने कश्मीर छोड़ दो, धर्म बदल लो, या मरने को तैयार रहो. हर तसवीर, हर शब्द सच है, पर सारी तसवीर, सारे शब्द मिलाकर एक झूठ …

कॉरपोरेटपरस्त भारत सरकार के साथ युद्ध में माओवादी ‘माओ’ की शिक्षा भूल गए ?

भारत में संघी सरकार और  जनताना सरकार की बीच भीषण युद्ध जारी है. ताज़ा युद्ध छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हुई मुठभेड़ है, जिसमें 27 माओवादी गुरिल्लों के शहीद होने की सरकारी ख़बर है. इसमें केन्द्रीय कमेटी के सदस्य जयराम उर्फ चलपति समेत कई अन्य महत्वपूर्ण नेताओं के शहीद होने की ख़बर है. सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के …

इंदिरा गांधी की बगावत : PM रहते इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निकाला गया था

इंदिरा गांधी साल 1967 में दोबारा प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं के सिंडिकेट के दबाव से मुक्त होना चाहती थी. दोनों के बीच तालमेल बिगड़ चुका था. राष्ट्रपति चुनाव में यह साफ दिख चुका था. इंदिरा के विरोध के बाद भी कांग्रेस ने संजीव रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन इंदिरा ने निर्दलीय वी.वी. गिरि को समर्थन दिया, …

आयरलैंड का एजुकेशन सिस्टम

ब्रिटिश साम्रज्य्वाद ने जो जुल्मों सितम कत्लो-गारत आयरलैंड में मचाई थी, वो शायद किसी भी और उपनिवेश में नहीं मचाई होगी. पूरी हिस्ट्री लिखने बैठूँ तो शायद भारत का स्वतंत्रता संग्राम भी आयरलैंड के संघर्ष के सामने कुछ नहीं है. इंग्लैण्ड के समुद्र से मात्र कुछ मील की दूरी पर स्थित आयरलैंड को अंग्रेज़ों ने सबसे पहले कब्जाया था और …

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