हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए जैसे उकसाते हुए ब्राम्हणवाद को मनवाते हुए तुलसी सत्ता को मनवाते हुए बाबा बैरागी सत्ता से कोई शिकायत नहीं उनका काम वही यह लेखक जब ऐसा करते हैं तो सत्य को तो पराजित रहना ही है कोई नई आशा दिशा नहीं बेशर्म …
शातिर हत्यारे
