Home कविताएं आजादी

आजादी

1 second read
0
1
332
आजादी
आजादी

खाने को, पहनने को, चलने को, सोने को, बतियाने को
इस तरह का कोई भी दैनिक काम करने को
आजादी नही कहते है मेरे दोस्त
ये तो हम राजाओ के समय मे भी करते थे
अंग्रेजो के समय मे भी करते थे
और आज भी कर रहे हैं

आजादी का मतलब तो कुछ और होता है मेरे दोस्त
यह छोटा सा शब्द समेटे हुए है हमारी पूरी उड़ान को
हमारे वर्तमान को भविष्य को
समृद्धि के उस द्वार को
जो इंसान की हजारो साल से ख्वाहिश रही है.

आजादी का मतलब राजा के इशारे पर चलना नही होता है
उसके हाँ में हाँ मिलाना नही होता है
इसका मतलब तो उन बेडियों को तोडना होता है
जिसने जकड लिया है देश के पूरे शरीर को
जिसे अंग्रेजो ने डाला था
आज भी वह वैसे ही
हमारे हाथ और पांव में बंधी है
जिसे भारत भाग्य विधाता ने श्रृंगार समझ लिया है.

दिल्ली अपने को कुछ भी कह ले
कितना भी सज ले सवर ले
पर उस झोपड़ी में रहने वाले परिवार से आप
एक बार पुछ ले
जो बरसात मे जाग कर राते बिताते है
कुडे में अपना भविष्य तलाशते बच्चो के आँखो में देख ले
अगर उस में आजादी दिख जाये
तो मै भी देश को आजाद मान लूंगा.

पर आप आज जो आजादी मना रहे है
वो न तो मुझे कश्मीर में दिख रहा है
और न ही कन्या कुमारी में
झारखंड और छत्तीसगढ की तो
बात ही छोड़ दे
जहां आदिवासी अपना अस्तित्व बचाने के लिए हथियार उठा चुके है
वो तो मुझे लोकतंत्र के मंदिर
राज्य सभा में भी नही दिखा
जहाँ जनप्रतिनिधियों को उनकी औकात बता दी गई है.

फिर तुम किस झूठी आजादी का जश्न मना रहो हो
खुद को और दूसरो को बेवकूफ बना रहे हो
या तुम डर गये हो सच बोलने से
और राजा का हुक्म बजा रहे हो
तुम्हारे अंदर ये भी साहस नही बचा है कि
पूछ सको प्रधान सेवक से
किस चीज का आजादी मनाये
देश बेचने का
राम मंदिर बनने का
जल-जंगल-जमीन लूटने का
फौजी बूटो तले जनता को रौदने का
या भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने का

अगर आप ये नही पूछ सकते तो
कोई मतलब नही आजादी मनाने का
शहीदो को याद करने का
जिनके अरमानो का गला घोटने के अलावा
इस देश के शासक वर्ग और कुछ नही कर रहा है
आज आजादी का जश्न मनाने का मतलब
उनके लूट और शोषण में भागीदारी करना है
जनता को तो आजादी मिली नही है
उसके लिए तो अभी लड़ाई जारी है.

  • विनोद शंकर

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • औरत

    महिलाएं चूल्हे पर चावल रख रही हैं जिनके चेहरों की सारी सुन्दरता और आकर्षण गर्म चूल्हे से उ…
  • लाशों के भी नाखून बढ़ते हैं…

    1. संभव है संभव है कि तुम्हारे द्वारा की गई हत्या के जुर्म में मुझे फांसी पर लटका दिया जाए…
  • ख़ूबसूरत कौन- लड़की या लड़का ?

    अगर महिलायें गंजी हो जायें, तो बदसूरत लगती हैं… अगर महिलाओं की मुंछें आ जायें, तो बद…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट

आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…