Home कविताएं मी लॉर्ड

मी लॉर्ड

0 second read
0
0
172
मी लॉर्ड
मी लॉर्ड

चौपाया बनने के दिन हैं
पूंछ उठा कर मादा गिनने के दिन गए
अच्छा है कि मादा के अपमान से बाहर निकल कर
अपने पशु बन जाने की प्रक्रिया पर रश्क करो

अब तो तुम्हारे चेहरे पर
थूकने का भी जी नहीं चाहता है मी लॉर्ड

भला जानवरों पर भी कोई थूकता है क्या

डार्विन को पाठ्यक्रम से हटाने के पीछे की असली वजह
आपके फ़ैसलों में दिख रहा है मी लॉर्ड

आपको देखने के बाद भी कोई कैसे यक़ीन करे
विकासवाद के सिद्धांत पर

यह एक देश है
जहां समय का पहिया
लगातार पीछे घूम रहा है

इस भिखारियों के महा स्वर्ग में
मेरे हलक से अब पानी नहीं उतरता है

फिर भी
मुझे हमदर्दी हरेक उस मादा सुअर से है
जो जनतीं हैं असंख्य बच्चे
मुंबई लोकल के हरेक स्टेशन पर

और फिर से गर्भ धारण कर
आगे बढ़ जाती है दो मिनट में

आप भी तो इनकी ही पैदाईश हैं मी लॉर्ड !

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
G-Pay
G-Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • औरत

    महिलाएं चूल्हे पर चावल रख रही हैं जिनके चेहरों की सारी सुन्दरता और आकर्षण गर्म चूल्हे से उ…
  • लाशों के भी नाखून बढ़ते हैं…

    1. संभव है संभव है कि तुम्हारे द्वारा की गई हत्या के जुर्म में मुझे फांसी पर लटका दिया जाए…
  • ख़ूबसूरत कौन- लड़की या लड़का ?

    अगर महिलायें गंजी हो जायें, तो बदसूरत लगती हैं… अगर महिलाओं की मुंछें आ जायें, तो बद…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट

आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…