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ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर से चुनाव कराओ !

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ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर से चुनाव कराओ !
ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर से चुनाव कराओ !

ईवीएम हटाओ, बैलेट पेपर से चुनाव कराओ और कार्पोरेट को दिये ₹25,00,000 करोड़ के नहीं चुकाए गए कर्ज (बट्टे खाते में डाले गए कर्ज) को वसूल करो. उस धन का उपयोग करके युवाओं के लिए उनके राज्यों में रोजगार पैदा करो, जैसे दो महत्वपूर्ण कार्ययोजनाओं को अपने हाथों में लेकर तमिलनाडु के दो युवा इंजीनियर आ. नंदिनी (BABL) और स. गुणा ज्योति बासु (B.Tech (IT) भाषाई सीमाओं को तोड़कर देश भर के युवाओं को जागरूक करने निकले हैं.

अभी ये दो युवा बिहार के युवाओं को जागरूक करने के अभियान में बिहार की राजधानी पटना में हैं और लोगों से संपर्क कर रहे हैं. ये दो युवा हैं, आ. नंदिनी (BABL) और स. गुणा ज्योति बासु (B.Tech (IT). ये ‘लोगों के लिए लड़ने पार्टी’ बनाये हैं. इनका पता है –  36, पांडियन नगर, गांधीपुरम, K पुदूर, मदुरै, तमिलनाडु- 625007. अपने साथ संपर्क के लिए एक ह्वाट्सअप नंबर – 9150809280 भी जारी किया है. साथ ही अपने इस अभियान में लोगों के लिए एक पत्र भी दे रहे हैं, जिसका मूल यहां हम प्रस्तुत कर रहे हैं.

महावीर भगत सिंह ने कहा था, ‘एक सच्चा स्वतंत्र देश वह है जहां बच्चा दूध के लिए नहीं रोता, एक विद्यार्थी जो शिक्षा के लिए लालायित न हो, एक युवक जो काम की तलाश में भटकता हो.’

भगत सिंह जैसे अनेक वीरों के बलिदान के कारण ही हमारे देश को स्वतंत्रता मिली लेकिन क्या उन शहीदों का सपना साकार हुआ ? क्या भारत गरीबी मुक्त देश बन गया है ? क्या सभी को शिक्षा मिली है ? क्या सभी को नौकरी मिल गई है, जैसा कि वे सोचते थे ? कटु सत्य तो यह है कि नहीं.

हर साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा करके मोदी सत्ता में आए. 11 साल हो गए हैं लेकिन भारतीय युवाओं की स्थिति क्या है ? रोजगार पूरी तरह से गायब हो गया है. काम की तलाश में देश भर में भटकना आज युवाओं का काम बन गया है. सिर्फ देश भर में ही नहीं, आज मोदी सरकार ने भारतीय युवाओं को काम की तलाश में दुनिया भर में भटकने की स्थिति में ला दिया है. ये है मोदी सरकार की 11 साल की उपलब्धि.

नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना लॉकडाउन जैसे उनकी योजनाएं के कारण मौजूदा नौकरियां भी खत्म हो गईं. गरीबी बढ़ रही है. आज के शासक जनता पर कर लगाने और लूटने में ब्रिटिश शासकों से भी अधिक क्रूर और लुटेरों की तरह काम करते हैं. उन्हें जनता के प्रति कोई चिंता या दया नहीं है.

जीएसटी समेत अनेक टैक्स लगाकर जनता को लूटने वाली मोदी सरकार कॉरपोरेट्स को बार-बार कर्ज और रियायतें देती रहती है लेकिन वे उस कर्ज को वसूल नहीं करती. मोदी सरकार ने सिर्फ पिछले 10 वर्षों में मोदी के मित्रों, गुजरात के कॉरपोरेट्स को 25 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया है और इसे बट्टे खाते में डाल दिया है. यही वह आधार है जिसके आधार पर वे भारत के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और देश की परिसंपत्तियों को खरीद लेते हैं. यह सब जनता का पैसा है.

क्या देश में केवल अंबानी और अडानी जैसे कुछ कॉरपोरेट को ही जीना चाहिए ? क्या हमारा देश सिर्फ अंबानी और अडानी का है ? क्या यह देश भारतीय लोगों का नहीं है ?

लोगों को लूटने, धोखा देने, उन्हें धर्म और जाति के आधार पर बांटने और दंगे भड़काने के अलावा भाजपा गिरोह और कुछ नहीं जानता. कुछ लोगों के लिए शासन करनेवाली और बहुसंख्यकों को लूटने वाली भाजपा बार-बार सत्ता में कैसे आ जाती है ? क्या यह ईवीएम धोखाधड़ी के बिना संभव है ?

जब तक चुनाव बैलेट पेपर पर होते थे, तब तक लोगों को कम से कम कुछ सम्मान तो था. जब उन्होंने भारत में ईवीएम वोटिंग मशीनों का उपयोग करके चुनाव कराना शुरू किया, तभी उन्होंने भारतीय लोगों को पूर्णतः गुलाम बना दिया. उन्होंने ईवीएम से धांधली वाले चुनावों के माध्यम से लोकतंत्र को समाप्त कर दिया है और भारत को पूर्ण तानाशाही देश में बदल दिया है. चुनाव के नाम पर वोटिंग मशीनों से धोखाधड़ी करके पूरे भारतीय लोगों को बेवकूफ बना रहा है.

यहां तक ​​कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे अत्यधिक विकसित देशों में भी चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से होते हैं लेकिन भारत में ईवीएम से धांधली वाले चुनावों के जरिए लोगों से वोट देने का अधिकार छीन लिया गया है. हमने एक मॉडल ईवीएम का उपयोग करके यह प्रदर्शित किया है कि ईवीएम धोखाधड़ी किस प्रकार की जा सकती है, जिसे लिंक पर क्लिक करके देखा जा सकता है.

ईवीएम में हेराफेरी करके मोदी बार-बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ रहे हैं. अगर ईवीएम में धोखाधड़ी नहीं हुई होती तो यह फासीवादी भाजपा सरकार गिर गई होती. यह ईवीएम धोखाधड़ी ही कारण है कि आज भाजपा केंद्र और कई राज्यों में सत्ता में है. जब तक ईवीएम मौजूद रहेगी, लोकतांत्रिक शासन नहीं चलेगा. लोगों की कोई भी समस्या हल नहीं होगी. जब तक ईवीएम मौजूद हैं, उन्हें सत्ता से हटाया नहीं जा सकता.

दो मुख्य मुद्दे जिनके खिलाफ आज भारतीय लोगों लड़ना चाहिए –

  1. ईवीएम पर हटाने और बैलेट पेपर पर चुनाव कराने के लिए भारतीय लोग संघर्ष करना चाहिए. हमें वोट देने का अधिकार चाहिए. हम धोखाधड़ी से अपना वोट चुराना बर्दाश्त नहीं कर सकते.
  2. ₹ 25,00,000 करोड़ के नहीं चुकाए गए कर्ज (बट्टे खाते में डाले गए कर्ज) को वसूल करो. उस धन का उपयोग करके युवाओं के लिए उनके राज्यों में रोजगार पैदा करो. इसके लिए भारतीय लोग संघर्ष करना चाहिए.

अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह काम की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर भटकते रहने की बदतर स्थिती इधर है. मोदी सरकार में कॉरपोरेट्स को दिये गये 25 लाख करोड़ रुपये के खराब ऋणों की उचित वसूल करना चाहिए. और युवाओं के लिए उनके राज्यों में, उनके क्षेत्रों में ही रोजगार के अवसर पैदा करना चाहिए.

बिहार में बिहार के नौजवानों के लिए, उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश के नौजवानों के लिए, पश्चिम बंगाल में पश्चिम बंगाल के नौजवानों के लिए, तमिलनाडु में तमिलनाडु के नौजवानों के लिए, जैसे हर राज्य के नौजवानों के लिए उनके राज्यों के अंदर में ही रोज़गार पैदा करना चाहिए.

भारत में कुल 780 जिले हैं. यदि 25 लाख करोड़ रुपये के इस बट्टे खाते कॉर्पोरेट ऋण को वसूल कर वितरित कर दिया जाए तो प्रत्येक जिले में 3200 करोड़ रुपये के रोज़गार और उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं. करोड़ों युवाओं के लिए उनके अपने राज्यों में ही रोजगार सृजित कर सकते हैं. 5 वर्षों में भारत के सभी जिलों को औद्योगिक विकास और रोजगार के अवसरों में आत्मनिर्भर जिलों में बदला जा सकता है. इसके माध्यम से पूरे देश को समृद्ध और विकसित देश में बदला जा सकता है.

भारत के लोगों, विशेषकर भारत के युवाओं को इस संघर्ष का नेतृत्व करना चाहिए. देश से प्रेम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस आंदोलन का समर्थन करना चाहिए.

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