Home लघुकथा जन्नत की कुछ खास कहानियां मौलाना जी के साथ

जन्नत की कुछ खास कहानियां मौलाना जी के साथ

1 second read
0
0
736

‘मौलाना साहब, जन्नत में कौन से लोग जाएंगे, हिन्दू या क्रिस्चियन ?

मौलाना गुस्से में बोले – केवल मुसलमान

मैंने मौलाना से पूछा – जी, कौन से मुसलमान, शिया या सुन्नी ?

मौलाना तुरन्त बोल पड़े – बेशक सुन्नी, जनाब

मैंने मौलाना से पूछा – जी सुन्नी में तो 2 वर्ग है, उनमें से कौन ? मुकल्लिद या गैर-मुकल्लिद ?

मौलाना तुरन्त बोल उठे – केवल मुकल्लिद जाएंगें !

मैंने फिर पूछ लिया – जी, मुकल्लिद में तो चार हैं, उनमें से से जन्नत कौन जाएगा ?

मौलाना बड़े इत्मीनान से बोले – महज हनफी और कौन ?

फिर मैंने मौलाना से पूछ लिया – जी, पर हनफी में तो – देबबंदी और बरेलवी दोनों हैं, फिर उनमें से कौन जन्नत जाएगा ?

मौलाना ने छूटते ही जबाब दिया.- भाई मेरे, केवल देबबंदी ही जन्नत जाने के हकदार होते हैं।

मैंने कहा – बहुत शुक्रिया, परन्तु मौलाना साहब, देबबंदी में भी तो 2 होते हैं, हयाती और ममाती दोनों हैं, तो उन दोनों में से कौन जन्नत जाएगा हुजूर ?

इसके बाद मौलानासाहब गायब हो गये, वो दोबारा दिखे ही नहीं !!

पता नहीं कितना सही है लेकिन जात पात और फिरका परस्ती तो इस्लाम में भी है इतना जनता हूं.

  • अनिल कुमार द्विवेदी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • दो टांग वाला गधा

    एक गधा था‌. इसे विधि की विडंबना कहिए या कुछ और कि उसके दो पैर और दो हाथ थे. इस कारण गधे, उ…
  • आग का बीज

    एक छोटे गांव में एक विधवा स्त्री पेलाग्रे रहती थी, जिसका बेटा पावेल मजदूरों की हड़ताल में …
  • सोचेगा सिर्फ राजा…या फिर बागी, सोचना बगावत हुई

    मुखबिर की खबर पर, पुलिस बल थाने से निकला. सशस्त्र जवानों ने जंगल में उजाड़ खंडहर घेर लिया. …
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट

आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…