'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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अल-क़ायदा के कारण प्रतिबंधित हुआ अज़हर, भारत में आतंकी गतिविधियों का ज़िक्र नहीं

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी सरगना मसूद अजहर जिसे भाजपाई प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने ससम्मान भारत की जेल से निकाल कर कंधार पहुंचाया था, अब उसी भाजपा के 56 इंची सीना होने का ढ़िढ़ोरा पीटने वाले मोदी जिसके 5 साल के लंबे कार्यकाल के बाद भी उसके खाते में जनता को दिखाने हेतु एक भी काम नहीं है. ऐसे में वह …

2019 में आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनावी मुद्दा है

अपने समर्थकों को संगठित रखने, विरोधियों को बांटने या उनको तरह तरह से भयाक्रांत करने के लिए सत्ता की सामर्थ का बेशर्म उपयोग करने, तरह तरह के प्रपोगण्डा का स्तेमाल कर उन्हें दिग्भ्रमित करने में फिलहाल तो भाजपा अजेय ही नजर आ रही है. उसकी इस सामर्थ को राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर चुनौती देती कोई पार्टी उभरती दिख नही रही. …

उत्तर भारत में उन्मादी नारा

शक और गहरा हो रहा है ! उत्तर भारत के अधिकांश शहरों में उन्मादी नारों के साथ जुलूस निकल रहे हैं ! और नारे कुछ इस प्रकार के लग रहे हैं और तख्तियों पर लिखे गए हैं कि – ● ’हमें नौकरी नहीं बदला चाहिए’, ● ’हम भूखों रह लेंगे पर मोदीजी, बदला लो’, ● ’आम चुनाव रोक दो, पाकिस्तान …

अखण्ड भारत का सपना दिखाने वालों अखण्ड कश्मीर ही बना के दिखा दो ! मौका भी हाथ में आ गया है !

कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद ने जो जाहिलाना हरकत की है उसका जबाब 2016 जैसी सर्जिकल स्ट्राइक तो नही है, कुछ गम्भीर, बड़ी और फिर पीछे न हटने वाली कार्यवाही से ही दिया जाना जरूरी है. मोदी जी ने कहा है कि स्थान दिन और समय सेना तय करे, उसे पूरी छूट है. खुली छूट देने की बात तो आप पिछले दो सालों …

पुलवामा : घात-प्रतिघात में जा रही इंसानी जानें

पुलवामा में 44 जवानों की हत्या और इतने ही घायल हुए सीआरपीएफ के जवानों पर अपने पोस्ट में मनोज भूषण सिंह टिप्पणी करते हुए लिखते हैं : “वे लड़ क्यों रहे हैं – पता नहीं ! “वे हमें क्यों मार रहे हैं – पता नहीं !! “हम क्यों मार रहे हैं – क्योंकि वे हमें मारते हैं !!! “तुम्हारे और …

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