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यदुरप्पा की डायरी से बदनाम मोदी से एलन मस्क का मिलने से इंकार

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भ्रष्टाचार को मिटाने का दावा करने वाली भाजपा आज ‘भारतीय डस्टबिन पार्टी’ बन गई है. अब यह डस्टबिन इतनी बुरी तरह दुर्गंध फैला रहा है कि देश कौन कहे, विदेशियों तक ने नाक भौं सिकोड़ने लगे हैं. अभी हाल ही में टेस्ला के मालिक एलन मस्क को दिल्ली नरेन्द्र मोदी से मिलने आना था, लेकिन वे मोदी से मिलने के बजाय अमेरिका में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पत्रकारों का जवाब देना उन्हें ज्यादा महत्वपूर्ण लगा. यह वजह इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 10 साल का कार्यकाल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करना उचित नहीं समझे. नरेन्द्र मोदी पर एलन मस्क के इस तमाचे की गूंज दूर तलक जायेगी.

इसके साथ ही यह भी कयास लगाया जा रहा है कि एलन मस्क भारत जैसे विशाल बाजार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलना इसलिए भी जरूरी नहीं समझे कि उन्हें यह कायास होगा कि भाजपा और उसकी खरीदी हुई गोदी मीडिया इस मुलाकात का लाभ चुनाव के मैदान में उठाने का प्रयास करेगी और मोदी का चेहरा चमकायेगी. एलन मस्क यह जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी किस तरह विपक्षी दलों की आवाज को सत्ता की धौंस दिखाकर घोंट रही है, जिसमें एलन मस्क का ट्विटर भी है, जिसे आये दिन ट्वीट डिलीट करने की धमकियां मोदी सरकार द्वारा दी जाती है.

संभव है एलन मस्क को यह भी अहसास होगा कि दुनिया की सबसे भ्रष्ट और बदनाम मोदी सरकार बस चंद दिनों की मेहमान है, और चुनाव के बाद जिस नये प्रधानमंत्री को चुना जायेगा, उसके साथ बात किया जायेगा. एलन मस्क की यह एक प्रतिक्रिया नरेन्द्र मोदी को एक झटके में बदनामी की खाई में धकेल ले गई. तो वहीं इलेक्ट्रोरल बॉण्ड की सबसे बदनाम घिनौनी कारतूसों ने मोदी सरकार को समूची दुनिया में बुरी तरह नंगा खड़ा कर दिया है.

इससे पहले जिस तरह एक के बाद एक विपक्षी दलों के नेताओं को सीबीआई, ईडी, इन्कमटैक्स के जरिए का डर दिखाकर अपने डस्टबिन में डाल रही है, उसी में एक चेहरा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. यदुरप्पा का भी है, जिस पर मोदी ने मंच से 1800 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर चंद दिनों बाद ही उसे न केवल भाजपा में शामिल कर लिया गया, अपितु उससे हजारों करोड़ रुपये ऐंठ भी लिये, जिसे यदुरप्पा ने अपनी डायरी में लिख रखा था, जो सरकारी ऐजेंसी के हत्थे चढ़ गया. ‘कारवां’ को भी यह डायरी मिली थी, जिसका कच्चा चिट्ठा उसने खोला है, इसे हम यहां अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे कारवां ने प्रकाशित किया था.

कारवां को प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि आयकर विभाग के पास डायरी के ऐसे पन्ने हैं जो बताते हैं कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं, उसकी केन्द्रीय समिति के नेताओं, जजों और वकीलों को 1800 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया था. येदियुरप्पा ने इन कथित भुगतानों को कर्नाटक विधान सभा की साल 2009 की विधायक डायरी में कन्नड भाषा में अपने हाथों से दर्ज किया है. इस डायरी एंट्री की कॉपी आयकर विभाग के पास 2017 से है.

येदियुरप्पा ने लिखा है कि उन्होंने बीजेपी की केन्द्रीय समिति को 1000 करोड़ रुपए दिए हैं. उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को 150-150 करोड़ रुपए, गृहमंत्री राजनाथ सिंह को 100 करोड़ रुपए और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को 50-50 करोड़ रुपए दिए हैं. इन भुगतानों के अतिरिक्त इस डायरी में गडकरी के ‘बेटे की शादी के लिए’ 10 करोड़ रुपए देने की बात भी दर्ज है. येदियुरप्पा की डायरी में जजों को 250 करोड़ रुपए और वकीलों को 50 करोड़ रुपए (केस लड़ने की फीस) देने की बात भी है, लेकिन किसी का नाम डायरी में नहीं है.

बीजेपी नेताओं, जजों और वकीलों को किए गए भुगतान को डायरी में 17 जनवरी 2009 की पंक्ति में लिखा है और बीजेपी के केन्द्रीय नेताओं को किए गए भुगतान की एंट्री 18 जनवरी 2009 की लाइन में है. यह स्पष्ट नहीं है कि ये एंट्री इसी दिन की गई थी या बाद में इन तारीखों के आगे ये एंट्री भरी गईं. येदियुरप्पा, मई 2008 से लेकर जुलाई 2011 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. कारवां के पास उपलब्ध डायरी के सभी पन्नों में येदियुरप्पा के हस्ताक्षर हैं.

कारवां के पास उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि आयकर विभाग और केन्द्र की बीजेपी सरकार के पास डायरी की कॉपी अगस्त 2017 से उपलब्ध थी. आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने येदियुरप्पा की डायरी एंट्री को वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक बिना हस्ताक्षर वाले नोट के साथ सौंपी थी. उस वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने उस नोट में पूछा था कि क्या प्रवर्तन निदेशालय से इसकी जांच करना उचित होगा. लेकिन जेटली, जिनका नाम डायरी में 150 करोड़ रुपए प्राप्त करने वाले में है, ने उस अधिकारी के नोट पर कार्यवाही नहीं की. गौरतलब है कि 2004 और 2013 के बीच जेटली कर्नाटक राज्य के लिए बीजपी के इंचार्ज थे और उस दौरान हुए चुनावों में पार्टी को देख रहे थे.

कारवां आगे लिखता है कि बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को किए गए कथित भुगतान के अलावा, डायरी में राज्य के विधायकों को किए गए भुगतान का भी उल्लेख है. इनमें कुछ विधायकों की 2008 में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाए जाने में भूमिका थी. उस साल के विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा ने कांग्रेस, जनता दल (सेक्यूलर) और निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में मिलाकर बहुमत हासिल किया था. उस वक्त येदियुरप्पा को समर्थन देने वाले 6 में से 5 विधायकों को बाद में येदियुरप्पा ने कैबिनेट में शामिल किया था. इनमें से कई नेताओं के नामों का उल्लेख डायरी में है.

कारवां के पास उपलब्ध एक डायरी एंट्री में लिखा है – ‘मुझे मुख्यमंत्री बनाने में जी जर्नादन रेड्डी की मुख्य भूमिका है.’ इस एंट्री के नीचे येदियुरप्पा के हस्ताक्षर हैं. दूसरी लाइन में लिखा है, ‘जर्नादन रेड्डी ने जिन लोगों को पैसा दिए उन लोगों का विवरण.’ उस एंट्री में कथित तौर पर 8 नेताओं को 150 करोड़ रुपए देने की बात लिखी है. डायरी में पी. एम. नरेन्द्रस्वामी का नाम है जिन्होंने 2008 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधान सभा चुनाव जीता था और जिन्हें येदियुरप्पा की कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया था.

इसमें कांग्रेस की टिकट से जीतने वाले आनंद असनोटिकर वसंत का नाम है जिन्हें मत्स्य पालन, विज्ञान और प्रोद्योगकि मंत्री बनाया गया. एंट्री में जेडीएस के टिकट से चुनाव जीतने वाले बालाचंद्रा लक्ष्मणराव जर्किहोली का नाम है, जिन्हें स्थानीय निकाय मंत्री बनाया गया. आनंद असनोटिकर ने जनवरी 2018 में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया और जेडीएस में शामिल हो गए. इन 8 नेताओं में से 7 नेताओं के नाम के आगे 20 करोड़ रुपए दर्ज हैं. जर्किहोली के नाम के आगे 10 करोड़ रुपए दर्ज है. कारवां ने सभी 8 विधायकों को सवाल भेजे थे लेकिन किसी का जवाब नहीं आया.

येदियुरप्पा की हस्तलिपी में उस नोट में लिखा है कि जी जनार्दन ने वह कथित भुगतान किया था. रेड्डी कर्नाटक के धनी राजनीतिज्ञों में एक हैं. 2008 की येदियुरप्पा सरकार में रेड्डी को पर्यटन, संरचना विकास मंत्री नियुक्त किया गया था. सितंबर 2011 में रेड्डी को सीबीआई ने एक अवैध खनन मामले में बेल्लारी से गिरफ्तार किया था और 2015 में जमानत पर रिहा होने से पहले उन्होंने तीन साल जेल में काटे थे. नवंबर 2018 में रेड्डी को दुबारा गिरफ्तार कर लिया गया.

इस बार उन्हें हजारों निवेशकों को ठगने वाली एक निजी कंपनी से 20 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के इलजाम में पकड़ा गया था. उन्हें न्यायिक हिरास्त में भेज दिया गया, फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं. दिसंबर 2018 में अवैध इस्पात खनन मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल ने अपनी चार्ज शीट में रेड्डी को आरोपी बनाया था. कर्नाटक लोकायुक्त ने 35 हजार करोड़ रुपए के लौह अयस्क उत्खनन घोटाले, बेलेकेरी पोर्ट मामले, में रेड्डी को मुख्य आरोपी बनाया था. लेकिन बाद में सीबीआई ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए मामले को बंद कर दिया.

2011 में येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरास्त में भेज दिया गया था. कर्नाटक लोकायुक्त ने उन्हें सरकारी जमीन में हेराफेरी और उत्खनन घोटाले में घूस लेने का दोषी पाया था. इस आरोप के चलते येदियुरप्पा सरकार गिर गई थी. उस साल जुलाई में उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था और अक्टूबर में उन्होंने विशेष लोकायुक्त अदालत के समाने आत्मसमर्पण कर दिया था. बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया और उन्होंने कर्नाटक जनता पक्ष (केजेपी) पार्टी को पुनरुज्जीवित किया.

इस पार्टी का पंजीकरण 2008 में पदमनाभा प्रसन्ना कुमार ने पहली बार कराया था. लेकिन 2014 के लोक सभा चुनावों से पहले नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने येदियुरप्पा और केजेपी को बीजेपी में फिर शामिल करा लिया. बाद में येदियुरप्पा भ्रष्टाचार के इन मामलों से बरी हो गए. 2018 में राज्य विधान सभा चुनाव में वे बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे. फिलहाल येदियुरप्पा राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं.

 

 

 

कारवां को प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि आयकर विभाग के पास डायरी के ऐसे पन्ने हैं जो बताते हैं कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं, उसकी केन्द्रीय समिति के नेताओं, जजों और वकीलों को 1800 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया था. येदियुरप्पा ने इन कथित भुगतानों को कर्नाटक विधान सभा की साल 2009 की विधायक डायरी में कन्नड भाषा में अपने हाथों से दर्ज किया है. इस डायरी एंट्री की कॉपी आयकर विभाग के पास 2017 से है. येदियुरप्पा ने लिखा है कि उन्होंने बीजेपी की केन्द्रीय समिति को 1000 करोड़ रुपए दिए हैं. उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को 150-150 करोड़ रुपए, गृहमंत्री राजनाथ सिंह को 100 करोड़ रुपए और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को 50-50 करोड़ रुपए दिए हैं. इन भुगतानों के अतिरिक्त इस डायरी में गडकरी के “बेटे की शादी के लिए” 10 करोड़ रुपए देने की बात भी दर्ज है. येदियुरप्पा की डायरी में जजों को 250 करोड़ रुपए और वकीलों को 50 करोड़ रुपए (केस लड़ने की फीस) देने की बात भी है, लेकिन किसी का नाम डायरी में नहीं है.

बीजेपी नेताओं, जजों और वकीलों को किए गए भुगतान को डायरी में 17 जनवरी 2009 की पंक्ति में लिखा है और बीजेपी के केन्द्रीय नेताओं को किए गए भुगतान की एंट्री 18 जनवरी 2009 की लाइन में है. यह स्पष्ट नहीं है कि ये एंट्री इसी दिन की गई थी या बाद में इन तारीखों के आगे ये एंट्री भरी गईं. येदियुरप्पा, मई 2008 से लेकर जुलाई 2011 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. कारवां के पास उपलब्ध डायरी के सभी पन्नों में येदियुरप्पा के हस्ताक्षर हैं.

कारवां के पास उपलब्ध जानकारी से पता चलाता है कि आयकर विभाग और केन्द्र की बीजेपी सरकार के पास डायरी की कॉपी अगस्त 2017 से उपलब्ध थी. आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने येदियुरप्पा की डायरी एंट्री को वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक बिना हस्ताक्षर वाले नोट के साथ सौंपी थी. उस वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने उस नोट में पूछा था कि क्या प्रवर्तन निदेशालय से इसकी जांच करना उचित होगा. लेकिन जेटली, जिनका नाम डायरी में 150 करोड़ रुपए प्राप्त करने वाले में है, ने उस अधिकारी के नोट पर कार्यवाही नहीं की. गौरतलब है कि 2004 और 2013 के बीच जेटली कर्नाटक राज्य के लिए बीजपी के इंचार्ज थे और उस दौरान हुए चुनावों में पार्टी को देख रहे थे.

कारवां ने येदियुरप्पा, जेटली, गडकरी, सिंह, आडवाणी और जोशी को इन एंट्रियों पर प्रतिक्रिया मांगी थी लेकिन इस खबर के प्रकाशित होने तक किसी ने भी जवाब नहीं दिया. उनकी प्रतिक्रिया आने के बाद रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को किए गए कथित भुगतान के अलावा, डायरी में राज्य के विधायकों को किए गए भुगतान का भी उल्लेख है. इन में कुछ विधायकों की 2008 में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाए जाने में भूमिका थी. उस साल के विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा ने कांग्रेस, जनता दल (सेक्यूलर) और निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में मिलाकर बहुमत हासिल किया था. उस वक्त येदियुरप्पा को समर्थन देने वाले 6 में से 5 विधायकों को बाद में येदियुरप्पा ने कैबिनेट में शामिल किया था. इनमें से कई नेताओं के नामों का उल्लेख डायरी में है.

कारवां के पास उपलब्ध एक डायरी एंट्री में लिखा है: “मुझे मुख्यमंत्री बनाने में जी जर्नादन रेड्डी की मुख्य भूमिका है.” इस एंट्री के नीचे येदियुरप्पा के हस्ताक्षर हैं. दूसरी लाइन में लिखा है, “जर्नादन रेड्डी ने जिन लोगों को पैसा दिए उन लोगों का विवरण.” उस एंट्री में कथित तौर पर 8 नेताओं को 150 करोड़ रुपए देने की बात लिखी है. डायरी में पी. एम. नरेन्द्रस्वामी का नाम है जिन्होंने 2008 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधान सभा चुनाव जीता.

कारवां के पास उपलब्ध डायरी एंट्रियों में ‘धन प्राप्त/मुझे किया गया भुगतान’ के आगे 26 लोगों की सूची भी है. इसमें 5 करोड़ रुपए से लेकर 500 करोड़ रुपए का उल्लेख है. इन एंट्रियों में लिखा है कि डोनरों ने येदियुरप्पा को 2690 करोड़ रुपए का भुगतान किया था. अन्य नामों के अलावा इनमें बीजेपी के राज्य कैबिनेट मंत्री: बसवराज बोम्मई, अरविंद लिंबावली और मुरुगेश निरानी, बीजेपी नेता के सुब्रामणिय नायडू एवं बीजेपी विधायक: जे कृष्णा पालेमार, सीसी पाटिल और लक्ष्मण सवादी का नाम भी है.

इन तीनों विधायकों को एकबार विधानसभा सत्र के दौरान ब्लू फिल्म देखते पाया गया था. इन एंट्रियों में उल्लेखित अधिकतर डोनरों ने कारवां के सवालों का जवाब नहीं दिया. जिन कुछ लोगों ने जवाब दिया उन लोगों ने पैसे देने की बात से इनकार किया या किसी भी प्रकार के चंदे की जानकारी न होने का दावा किया. येदियुरप्पा परिवार की प्रेरणा ट्रस्ट द्वारा 500 करोड़ रुपए के भुगतान का उल्लेख डायरी में है. येदियुरप्पा की बेटी एस. वाई. ने ट्रस्ट द्वारा ऐसा भुगतान की बात से इनकार किया है.

कारवां ने इस बात की पुष्टि की है कि अगस्त 2017 में कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार के घर में आयकर विभाग के छापे में डायरी के ये पेज उसे प्राप्त हुए थे. हमने डायरी के इन पेजों को शिवकुमार को दिखाया जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि ये वही पन्ने हैं, जो छापे में आयकर विभाग ने बरामद किए थे. हालांकि इससे अधिक कुछ भी कहने से उन्होंने इनकार कर दिया. इस छापे के बारे में जानकारी रखने वाले कर्नाटक के एक वरिष्ठ नेता ने कारवां से पुष्टि की कि येदियुरप्पा ने इन एंट्रियों को दर्ज किया है. उन्होंने कहा, ‘यह शत प्रतिशत उनकी एंट्री है. इस पर कोई शक नहीं है.’

वित्त मंत्री अरुण जेटली को डायरी के पन्नों के साथ दिए कवर नोट में वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने दो दस्तावेज संलग्न किए थे, जिसमें येदियुरप्पा के हस्ताक्षर और हस्तलिपी की पुष्टि की गई थी. पहला दस्तावेज येदियुरप्पा का 2017 में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के प्रमुख सुशील चंद्रा को लिखा पत्र था, जिसमें येदियुरप्पा ने ‘अनियमित्ता और भ्रष्टाचार’ के लिए शिवकुमार पर कार्रवाई करने की अपील की थी.

दूसरा दस्तावेज 2013 के राज्य विधान सभा चुनाव से पहले येदियुरप्पा द्वारा निर्वाचन आयोग को जमा किया गया शपथपत्र था. लेकिन इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि आयकर विभाग ने इस मामले में आगे कार्यवाही करने का निर्णय किया था. कारवां ने सीबीडीटी से संपर्क किया था लेकिन रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक वहां से काई जवाब नहीं मिला.

उस वरिष्ठ आयकर अधिकारी के नोट में लिखा है कि येदियुरप्पा ने ये एंट्रियां उस छोटी अवधि में लिखी थीं जब वे केजेपी को रिवाइव करने की मंशा से बीजेपी से अलग हो गए थे. उस वक्त स्थानीय मीडिया में वरिष्ठ बीजेपी नेता अनंत कुमार और केएस ईश्वरप्पा और येदियुरप्पा के बीच घमासान की खबरें खूब प्रकाशित हो रहीं थीं. (कुमार की मौत 2018 में हो गई) पत्रकारों ने खबर दी थी कि इन नेताओं के निजी सहायक अपने विरोधियों के दस्तावेज हासिल करने के प्रयासों में लगे हुए हैं.

येदियुरप्पा के निजी सहायक ने कथित तौर पर ईश्वरप्पा के कार्यालय से उनके निजी सहायक का अपहरण करने का प्रयास किया था. उस वरिष्ठ अधिकारी ने अपने नोट में लिखा था कि इसी दौरान येदियुरप्पा के निजी स्टाफ के हाथ उनकी डायरी लग गई जो बाद में अनंत कुमार और दूसरे नेताओं को मिल गई. अधिकारी के नोट में लिखा है, ‘इसकी कॉपियां डीके शिवकुमार और अन्य नेताओं को दी गईं ताकि वे इस मामले को उपयुक्त मंच पर उठा सकें.’ अधिकारी ने आगे लिखा है कि कुमार ने इन पेजों को प्रेस में नहीं दिया क्योंकि ‘येदियुरप्पा के साथ उनके अच्छे संबंध थे.’

अगस्त 2017 में आयकर विभाग ने शिवकुमार के यहां छापा मारा. यह उस समय हुआ जब वे महत्वपूर्ण माने जाने वाले पश्चिमी राज्य गुजरात में हो रहे राज्य सभा चुनाव के दौरान, बीजेपी के उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश को रोकने का प्रयास कर रहे थे. राष्ट्रीय टीवी में धन और बल के प्रदर्शन के बीच शिवकुमार अपने 44 विधायकों को गुजरात से उड़ाकर बेंगलूरु ले आए थे ताकि क्रॉसवोटिंग न हो सके. कांग्रेस नेता ने पार्टी को टूटने से बचा लिया और कांग्रेस पार्टी के अहमद पटेल को राज्य सभा में जीत दिलाई. लेकिन इसके तुरंत बाद उनके यहां छापा मारा गया. राज्य सभा में कांग्रेस के नेताओं ने इसे ‘अभूतपूर्व स्तर पर बदले की भावना से प्ररित’ छापा कहा था.

उस वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने नोट में लिखा है – ‘आयकर विभाग ने अभी अभी डीके शिवकुमार से उस डायरी के संबंध में पूछताछ की है और इससे अधिक इस मामले में, डायरी में उल्लेखित सदस्यों का वक्तव्य लेने या कानून के अनुसार कार्यवाही करने के लिए नोटिस जारी करने जैसा कुछ नहीं किया है.’ उस वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने लिखा है कि आयकर विभाग ने ‘बीजेपी नेताओं के हितों की रक्षा की है. क्योंकि यह मामला कर्नाटक और दिल्ली के भी बीजेपी नेताओं से जुड़ा है इसलिए आज की तारिख तक इस पर आगे कोई जांच नहीं की गई.’

इस मामले को जेटली के पास ले जाते हुए वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने डायरी में उल्लेखित बातों की प्रवर्तन निदेशालय अथवा कोई अन्य उपयुक्त एजेंसी से जांच करने की आवश्यकता भी बताई है. अधिकारी ने अपने नोट में लिखा है कि आयकर विभाग ने कानूनी परामर्श मांगा है, ‘अब इस बात की जांच की जानी है कि मूल डायरी को कब्जे में लिया जाए या प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शिवकुमार के खिलाफ दायर मामले के साथ ही, इस मामले में भी आगे की जांच प्रवर्तन निदेशालय या अन्य उपयुक्त एजेंजी से कराए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डायरी को जांच का हिस्सा बनाने के लिए याचिका डाली जाए. इस मामले में कानूनी परामर्श लिया गया है ताकि डायरी की विषय वस्तु को जांच के दायरे में लाया जा सके.’

उस अधिकारी ने नोट में लिखा है कि बीजेपी नेता, शिवकुमार को कनार्टक में जेडीएस और कांग्रेस के सत्ताधारी गठबंधन से अलग हो कर बीजेपी में शामिल होने के लिए ब्लैकमेल कर रहे हैं. नोट में लिखा है, ‘अब जबकि संसदीय चुनाव नजदीक हैं, बीजेपी के राष्ट्रीय नेता आयकर अधिकारियों के जरिए गठबंधन सरकार को तोड़ने और बीजेपी में शामिल होने का दवाब डाल रहे हैं.’

उस डायरी के एक पन्ने में लिखा है कि येदियुरप्पा ने बीजेपी की नेता शोभा करंदलाजे से विवाह किया. 2016 में कर्नाटक में उस वक्त एक विवाद पैदा हो गया था जब केजेपी के संस्थापक नेता पदमनाभा प्रसन्ना कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेन्स कर घोषणा की कि पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने केरल में एक गुप्त समारोह में करंदलाजे से विवाह कर लिया है. जिस वक्त प्रसन्ना मीडिया को संबोधित कर रहे थे कुछ अज्ञात हमालवरों ने उन पर रसायन से आक्रमण किया.

मीडिया ने प्रसन्ना के दावे की रिपोर्ट की. न करंदलाजे और न ही येदियुरप्पा ने इस दावे का खंडन किया. कारवां के पास उपलब्ध डायरी के हिस्सों में येदियुरप्पा के हाथों से लिखा एक नोट कहता है – ‘मेरी पत्नी मायत्रादेवी की मृत्यु के बाद मैं बहुत अकेला हो गया था, इसलिए मैंने शोभा करंदलाजे से केरल के चोटानिकारा के भगवति मंदिर में हिंदू रीति से विवाह कर लिया और उन्हें येदियूरू सिद्दालिंगा के नाम पर पूरी तरह से अपनी धर्मपत्नी स्वीकार कर लिया.’ कारवां का संपर्क प्रसन्ना से नहीं हो पाया. शोभा करंदलाजे ने कारवां से फोन पर बात की. उन्होंने यह दावा करते हुए कि ‘किसी पागल ने वह डायरी लिखी होगी’ फोन काट दिया. इसके बाद उन्होंने हमारे किसी भी फोन या संदेश का जवाब नहीं दिया.

दिलचस्प बात है कि सीबीडीटी के प्रमुख चंद्रा, जिनके नेतृत्व में आयकर विभाग ने शिवकुमार के घर में छापा मारा था और येदियुरप्पा की डायरी की कॉपी हासिल की थी, वह आज भारतीय निर्वाचन आयुक्त हैं. आयकर अधिकारी ने येदियुरप्पा के हस्ताक्षर के सबूत के बतौर येदियुरप्पा का जो पत्र जेटली को दिया था, वह पत्र चंद्रा को लिखा गया था. इस साल मई में चंद्रा को रिटायर हो जाना था लेकिन फरवरी में मोदी सरकार ने उनका प्रमोशन कर दिया. राजस्व सेवा के वे मात्र दूसरे अधिकारी हैं, जिन्हें निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया है.

तो, यदुरप्पा केवल एक उदाहरण है, जिसने भ्रष्टाचार की गंगोत्री का काला चिट्ठा लिख कर खुद को, जैसा कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह कहते हैं, दुनिया का सबसे भ्रष्ट व्यक्ति है, वह अब भाजपा के शृण में है. सारी दुनिया देख रही है कि किस तरह भाजपा सारे भ्रष्टों को भाजपा में लाकर भाजपा को एक डस्टबिन में बदल दिया है. ऐसे में एलन मस्क का बीच चुनाव में मोदी के साथ मिलना, खुद मस्क को भी बदनाम कर देगा. भले ही नरेन्द्र मोदी सरकारी तंत्रों का इस्तेमाल कर फिर से प्रधानमंत्री बन जाये, लेकिन सारी दुनिया में नरेन्द्र मोदी और भाजपा उसी तरह बदनाम रहेगा, जिस तरह हिटलर रहा है.

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ROHIT SHARMA

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