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जनता और गधा

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जनता और गधा

बंद दुकान के थड़े पर बैठे दो बूढ़े आपस में बातें करते हुए हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे कि एक जिज्ञासु राहगीर ने उनसे इतना खुश होने की वजह पूछी.

एक बूढ़े ने बामुश्किल अपनी हंसी पर काबू पाते हुए कहा, ‘हमारे पास इस मुल्क की समस्याओं को हल करने की एक शानदार योजना है, और वह योजना यह है कि देश की सारी जनता को जेल में डाल दिया जाए और उन सबके साथ एक गधा भी जेल में डाला जाए.’

राहगीर ने हैरत से दोनों को देखा और पूछा, ‘उन सबके साथ एक गधे को क्यों कैद किया जाए ?’

दोनों बूढ़े और ज़ोर-ज़ोर से हंसे. एक दूसरे को देखा और एक बूढ़े ने दूसरे से कहा, ‘देखा रहीमे ! आ गया ना यकीन तुझे मेरी बात पर, मैं कहता था न कि बाखुदा इस जनता के बारे में कोई भी नहीं पूछेगा. सब गधे की फ़िक्र करेंगे.’

  • आलोक पुतुल

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