'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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इलेक्टोरल बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में है ?

देश की जनता के बीच बुरी तरह बदनाम हो चुकी सुप्रीम कोर्ट ने खुद की साख बचाने के लिए चन्द्रचूड़ के नेतृत्व में एक नया पहल लिया है, जिसमें उसने कुछ तो बिना मतलब वर्षों से जेलों में बंद जी. एन. साईंबाबा जैसे भारत के प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को जेलों से रिहा करने का कार्य किया तो वहीं चुनावी चंदा जैसे …

‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र’ के नीचे गोलबंद होकर लड़ रही है दुनिया की मेहनतकश जनता

‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र’ दुनिया के इतिहास में एक ऐसा अमिट हस्ताक्षर है, जिसने मानवता की सेवा और वर्गविहीन समाज के निर्माण में मील का पत्थर है. मजदूरों का बाईबिल कहे जाने वाले इस छोटी सी पुस्तिका ने दुनियाभर के शासकों को थर्रा दिया है. यह पुस्तिका ने दुनिया की हर भाषाओं में अनुदित हुआ है और करोड़ों की संख्या में लोगों …

युवा किसान की मौत से बौखलाए संयुक्त किसान मोर्चा का देशव्यापी ऐलान – ‘दिल्ली चलो’

23 वर्षीय भगत सिंह की लहू ने समूचे देश को अंग्रेजों के खिलाफ गोलबंद कर दिया था तो वहीं अब महज 23 वर्ष के शुभकरण की लहू ने एक बार फिर समूचे देश को अंग्रेजों के जासूस और दलाल मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ गोलबंद कर दिया है. 23 वर्ष के शुभकरण की शहादत ने संयुक्त किसान मोर्चा के …

किसान आंदोलन को जालियांवाला बाग की तरह खून में डूबो दिया है मोदी सत्ता ने

नरेन्द्र मोदी की सरकार कॉरपोरेट घरानों की कठपुतली है. यह किसानों का खून पी रहा है. आज उसने जिस तरह आन्दोलनकारी किसानों के उपर गोलियां चलाईं गई है, और इसमें एक आंदोलनकारी के सीधे सिर में गोली मारकर शहीद कर दिया है, वह इस दरिंदे नरेन्द्र मोदी की सत्ता ने देशवासियों के नाम खुला संदेश दे दिया है कि वह …

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मुद्दों आधारित संघर्षों में देशव्यापी किसान एकता की अपील की

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मुद्दों आधारित संघर्षों में देशव्यापी किसान एकता की अपील करते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी किया. एसकेएम, केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अनुबंध खेती के किसान विरोधी प्रस्ताव को अस्वीकार करने पर – एसकेएम (अराजनीतिक) व केएमएम का स्वागत करते हुए 21 फरवरी 2024 को भाजपा-एनडीए सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए …

16 फरवरी भारत बंद : भारत समेत दुनियाभर में उठ रही है जनसंघर्षों की लहर

दुनियाभर में उभर रही दक्षिणपंथी सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनसंघर्षों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. इसी कड़ी में भारत में भी किसानों का संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियन (सीटीयू) के साथ मिलकर, केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की किसान विरोधी और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी को देशव्यापी ग्रामीण बंद …

Rhetoric and Reality

Rhetoric, as a tool to inspire public sentiment in favour or against a particular ethos, has long been in practice. Mark Antony’s Friends, Romans and Countrymen outlines, perhaps, most vocally and definitively, the power and reach of rhetoric. The burning house of Brutus is a lingering memory in the minds of the readers even as Brutus is fighting a lost …

How Diverse is Diversity ?

Nature and life are essentially diverse . The quest for uniformity is only an attempt to denigrate , decompose and dilute the very principles upon which Nature is created, of which Man is only a part. In sociological terms, diversity is an attempt at diversifying the sources of material and social power to ensure justice to diverse groups or communities …

A State Within A State

Talking of state opens a Pandora’s box. There’s a plethora of explanations and definitions for a concept that is essentially inexplicable and undefinable. The reason being State is at the same time, both a microcosmic reality as well as an amoebic structure which splits and evolves with time and experience. Political philosophies which attempt at giving a structural credence to …

A Banana Republic

Even as the 69th Republic Day of India is drawing closer, I fondly remember the values, the dreams and the aspirations of a newly formed nation after nearly two centuries of foreign rule. The lofty ideals of keeping the people above everything, and everything means all constraints of hunger, illiteracy, poverty, inequality, untouchability and inequality before the law . We …

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