'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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भारतीय जनता पार्टी की निर्लज्जता, उदंडता और वहसीपन

भारतीय जनता पार्टी आज जिस निर्लज्जता, उदंडता और वहसीपन का परिचय अपने विभिन्न कार्यकलापों के माध्यम से दे रही है उसकी अन्यत्र कहीं मिशाल नहीं मिलती. हंसना, रोना, ताली पीटना, नाचना आदि जैसे नौटंकी के सहारे जिस तरह आम जनों के बीच मसखरों की तरह पेश आ रही है, इसके बारे में तो कुछ कहना ही व्यर्थ है. इसके साथ …

जी.एस.टी. बिल: काली रात, काले कारनामें

काली रात में चोर, डाकू और हैवानों का साम्राज्य होता है. डरावनी चलचित्रों में भी रात के अंधेरे में ही भूत-पिशाच और शैतान बाहर निकलता है और जनमाल का भारी नुकसान पहुंचाता है. शैतानों की आत्मा रात के अंधेरों में ही क्यों मंडराती है, इसका तो जबाव नहीं मिलता पर हमारी सरकार अपने तमाम जनविरोधी फैसले रात के अंधेरे में …

भ्रष्ट वेद प्रकाश का भाजपा में जाना

कहा जाता है कि गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. यह सच है या नहीं यह तो नहीं जानते, पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते ही सारे पाप धुल जाते हैं, यह सच है. भारतीय जनता पार्टी द्वारा भ्रष्टाचार में अब्बल बताने वाले शरद पवार को जब मोदी सरकार पद्दम पुरस्कार से नवाजती है. इसके …

पटियाला हाऊस कोर्ट में केजरीवाल और टीम की हत्या की धमकी के मायने

हमारा देश और समाज पूर्णरूपेण दो किनारों पर खड़ा है, जिसमें कोई तालमेल नहीं, कोई सौहार्द्ध नहीं, कोई समर्थन नहीं. एक किनारे पर कुछ हजार काॅरपोरेट घरानों और दलाल पूंजीपति हैं तो दूसरे किनारे पर करोड़ों की तादाद में गरीब किसान-मजदूर और आम आदमी है, जो दो जून की रोटी और बेहतर भविष्य के सपने को लिए जन्म लेता है …

काली रातः 23 मार्च

23 मार्च, 1931 ई० के इस काली रात की सुबह होने के इंतजार में न जाने कितनों ने अपनी कुर्बानी दी है. इस कुर्बानी का सिलसिला आज भी थमा नही है. आज भी उतने ही हैवानियत के साथ न केवल जारी ही है वरन् और व्यापक रुप धारण कर लिया है. करोड़ों भारतवासियों की तरह हम भी इस काली रात …

भारतीय जनता पार्टी का भयानक लूट कांग्रेस से ज्यादा है.

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की बनी सरकार को मीडिया इस तरह पेश कर रहा है मानो भारतीय जनता पार्टी तमाम बुराईयों से मुक्त हो गयी है, वही पंजाब में आयी तीन सीटों पर तर्क है कि वहां पुरानी सरकार के कारण विरोधी मत आये. इसका अर्थ तो यह भी लगाया जाना चाहिए कि चुनाव में आम आदमी किसी …

अप्रसांगिक होते संसदीय वामपंथी बनाम अरविन्द केजरीवाल

भारतीय संसदीय वामपंथी अब खाये-पिये-अघाये तबकों का एक नकली पैगंबर बन कर उभड़ा है, जिसकी जड़ें वामपंथी आवरण से निकलकर दलाल-पूंजीपति के बेडरूम तक जा पहुंची है. यह अकारण नहीं है कि संसदीय वामपंथी जड़ समेत उखड़कर पछाड़ खा रही है और तथाकथित ‘सुअरबाड़े’ में मूंह मारने को विवश है. अब वह भारतीय समाज के मेहनतकशों को कोई भी दिशा …

निजीकरण और व्यवसायीकरण की अंधी दौड़

कांग्रेस शासन काल में गरजने-बरसने वाली भारतीय जनता पार्टी जब भारत की सत्ता पर काबिज हुई, तुरन्त हीं कांग्रेस के छोड़े निजीकरण सहित सारे काम जो कच्छप चाल में रही थी, उसे न केवल पूरी तरह अपना लिया वरन जोर-शोर से लागू करना शुरू कर दिया. वे सारे एजेंडे जिसका भाजपा जमकर विरोध करती रही थी सत्ता में आते ही …

देश को देश की जनता चलाती है

नौ हजार करोड़ की विशाल धनराशि को लेकर भाग चुके माल्या पर भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्य ने हंसते हुए कहा था कि माल्या से एक-एक पाई वसूल करूंगी. परन्तु इतना समय बीत जाने के बाद भी इसे छोड़िये, भारत सरकार भी नहीं बता पा रही है कि आखिर माल्या से कितने धनराशि की वसूली हो पाई है. …

अविश्वसनीय चुनाव से विश्वसनीय सरकार कैसे बन सकती है ?

अभी-अभी पांच राज्यों में सम्पन्न हुये चुनावी नतीजों ने अपनी असली रंगत दिखा दी है. एक तरफ निर्दोष युवाओं की हत्याओं केे खिलाफ खड़ी इरोम शर्मिला का 16 वर्षों का संघर्ष था, जो महज 90 वोट पर आकर सिमट गई तो वहीं दूसरी तरफ युवाओं को नशे की ओर धकेलने वाला नशे का व्यापारी मजीठिया और लफ्फाजों की सरकार भारतीय …

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