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एम.सी.डी. का चुनाव और ठेंगे पर चुनाव आयोग

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भारत के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे सनसनीखेज चुनाव अगर कोई है तो वह दिल्ली के एम0सी0डी0 जैसे छोटे निकायों का चुनाव. इस चुनाव पर राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लोगों की निगाहें अगर जमी है तो इसका एकमात्र कारण आम आदमी पार्टी जैसे ईमानदार खेमे की मौजूदगी और अपनी चड्डी तक को सरे बाजार नीलाम करता चुनाव आयोग है. पिछले दस सालों से एम0सी0डी0 में काबिज और घृणित होकर भ्रष्टाचार करने की मिशाल अपने माथे पर चस्पा किये भारतीय जनता पार्टी आज अपने तमाम दांव आजमा रही है. भारत सरकार की पूरी मशीनरी नंगे होकर आम आदमी पार्टी जैसी ‘‘छोटी’’ पार्टी को भारतीय जनता पार्टी के ईशारों पर हराने के लिए जिस प्रकार नंगा नाच कर रही है, वह अपने-आप में बेमिशाल है. इसके अलावे भारत सरकार के न केवल मंत्री, अपितु मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार में जिस प्रकार दिलचस्पी ले रहे हैं, काबिले तारीफ है. इसके वावजूद आम आदमी पार्टी की मुद्दा आधारित राजनीति का इसे कोई जबाव नहीं सूझ रहा है और शुुंगलु कमिटी जैसी फर्जी रिपोर्ट की कालिख अपने मुंह पर चिपकाये भारतीय जनता पार्टी नित नये कीचड़ों को खोजने में लिप्त है.

इस चुनाव में कठपुतली की तरह नचाता चुनाव आयोग, मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक अपने जरखरीद गुलामों से गुणगान करवाती सत्ता, पुराने प्रत्याशी की जगह नये प्रत्याशी को उतार कर पुराने प्रत्याशी के विरोध को झेल रही भारतीय जनता पार्टी अपने संभावित हश्र से पूरी तरह वाकिफ है. वह इस बात को अच्छी तरह जानती है कि जनता उसके 10 सालों के घृणित भ्रष्टाचार से बुरी तरह उब चुकी है, उसके जुमालों की पोल खुल चुकी है और आम आदमी की एकमात्र पसंद ‘‘आम आदमी पार्टी’’ बन गई है. इस कारण अपने भ्रष्टाचार के काले कारनामें का पर्दाफाश होने के डर से उसने अपने नये पैंतरे आजमाये हैं, जिसका बेहतरीन प्रदर्शन पंजाब के विधानसभा चुनाव में किया है.

पंजाब बिधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के इस नये पैतरे को समझना जरूरी है. भ्रष्टाचार की गंगोत्री कांग्रेस पार्टी लोकप्रियता के अपने ढलान पर जा चुकी है और वह सत्ता में वापसी के लिए कोई भी समझौता करने को तैयार है. इसी समझौते के तहत् भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब के विधानसभा चुनाव में बदनाम हो चुकी सत्तासीन अकाली-भाजपा के संभावित हार को देखते हुए ई0वी0एम0 मशीन – अब यह साबित हो चुका है कि ई0वी0एम0 के साथ छेड़छाड़ हो सकती है – के द्वारा डाले जा रहे वोटों को कांग्रेस की ओर स्थानान्तरित कर दिया, जो कांग्रेस की जीत का कारण बनी. यहां तक की भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हराने के लिए कांग्रेस से अघोषित गठबंधन कर खुद के वोट का भी स्थानान्तरण कांग्रेस की ओर किया था. भारतीय जनता पार्टी जो अब ‘‘भारतीय जुमला पार्टी’’ बन चुकी है, वह दिल्ली जैसे छोटे केन्द्रशासित प्रदेश में सत्तासीन आम आदमी पार्टी से जिस प्रकार भयभीत है वह उसके संभावित भविष्य के – अंत – की ओर ईशारा मात्र है.

इसके साथ ही यह भी एक कठोर सत्य है कि भारत में चुनाव किसी पार्टी को जीताने के लिए नहीं बल्कि सत्ताधारी दल को हराने के लिए आम आदमी वोट डालता है. सत्तासीन दल इतने बुरी तरह लूट-मार पर उतारू हो जाती है कि जनता त्राहि-त्राहि करने लगती है, उसे जल्द से जल्द हटाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने लगती है, पर लूट के इस पंचवर्षीय योजना का अवसान पांच वर्ष के बाद ही होता है और मौका मिलते ही जनता उसे हटाने के लिए दूसरी पार्टी को वोट डाल आती है. फिर नई सत्ताधारी पार्टी उसी प्रकार नाजायज तरीकों से फिर बुरी तरह लूट-मार पर उतारू हो जाती है और फिर जनता त्राहि-त्राहि करने लगती है, जनता फिर उसे जल्द से जल्द हटाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने लगती है और मौका मिलते ही उसे हटाने के लिए दूसरी पार्टी को वोट देती है. मालूम हो कि इस भारत में भारत में राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर केवल दो ही दल – भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस है. इस प्रकार यह प्रक्रिया लगातार चलते रहता है और जनता को लूटने-कूटने में कोई कमी नहीं आती. इस बात को शासकवर्गीय पार्टी भी समझ चुकी है इसलिए वह यह मान कर चलती है कि दुबारा सत्ता में वापसी अगली पंचवर्षीय योजना के बाद ही आयेगी और वह दूसरी पार्टी के साथ एक अघोषित समझौता कर लेती है.

तमाम शासकवर्गीय पार्टी आपस में एक ‘‘अघोषित समझौता’’ कर रखी है और आपस में मिल कर लूट के इस षड्यंत्र को जारी रखती है. जनता के सामने चुनाव के दौरान इस डाकुओं के सिवा अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है. ऐसी ही हालत में जब ‘‘आम आदमी पार्टी’’ इस पंचवर्षीय लूट-खसोट के खिलाफ मार्चा खोल बैठी है तो तमाम शासकवर्गीय पार्टी एकबारगी थर्रा उठा है. इसलिए तमाम शासकवर्गीय पार्टी कांग्रेस और भाजपा एकजुट होकर आम आदमी पार्टी को अपने तमाम परखे हुए औजारों से तहस-नहस करने पर आमादा हो चुकी है. यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी आम आदमी पार्टी को हराने के लिए ‘‘वोट काटने के नियत’’ से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है.

आम आदमी को लूटने-खसोटने और कूटने के इस अघोषित समझौते के खिलाफ अब आम आदमी को अपने विवेक का परिचय देते हुए पूरी ताकत से उठ खड़ा होना पड़ेगा. बल्कृत ई0वी0एम0 की जगह पर बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने के पक्ष में सवाल खड़े करने होंगे. इसके वावजूद यदि मुख्य चुनाव आयोग ई0वी0एम0 के साथ ही चुनाव कराती है जिस पर वह पूरी नंगई के साथ उतारू है, तो ई0वी0एम0 में वोट डालते समय आम आदमी को अपनी निगाहें कड़ी करनी होगी तभी वह एक हद तक अपने वोटों के साथ इंसाफ कर पायेगी वरना कांग्रेस की सत्ता में एक बार फिर आने के पूरे आसार दीख रहे हैं, जो फिर से आम आदमी को अपनी लूट-खसोट का शिकार बनायेगी और यह प्रक्रिया अनवरत् चलती रहेगी.

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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One Comment

  1. S. Chatterjee

    April 17, 2017 at 2:51 pm

    True.

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