भारत में एक तबका है, जिसका मानना है कि कम्युनिस्टों को दुनिया की किसी चीज की जरूरत नहीं है. उन्हें फटे कपड़े पहनने चाहिए. सादा चप्पल पहननी चाहिए. रिक्शा-साइकिल से चलना चाहिए. कार, हवाई जहाज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. मोटा खाना और मोटा पहनना चाहिए. इस वेशभूषा में थोड़ी तरक्की हुई तो पाया कि नक्कालों ने जींस का फटा …
1917 की महान अक्टूबर क्रांति पर : संयासवाद नहीं है मार्क्सवाद
