'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
Home गेस्ट ब्लॉग (page 323)

गेस्ट ब्लॉग

Featured posts

आधार : स्कायनेट के खूनी शिकंजे में

[ प्रस्तुत आलेख आधार कार्ड के डिजिटल इंडिया के नाम से देश में अफरातफरी का माहौल बनाने और हरेक सुविधाओं को आधार कार्ड के साथ जोड़ने के कितने भयावह परिणाम भविष्य में होंगे, इसका रोंगटे खड़े कर देने वाला शेली कसली का विश्लेषण हमारे देश के भयावह भविष्य को रेखांकित करती है, कि भविष्य में हत्या के लिए कैसे आधार का …

बेरोजगारी और गरीबी का दंश झेलता भारत की विशाल आबादी

वैश्वीकरण की प्रक्रिया, जिसे कि भाजपा सरकार कांग्रेस से भी तेजी से लागू कर रही है-जैसे, हाल में लागू किए गए नोटबंदी, जीएसटी, रिटेल या खुदरा व्यापार एवं भवन निर्माण में 100% विदेशी निवेश आदि. यह पूंजीवाद का नवीनतम चरण है. देश में यह नई आर्थिक नीति के नाम से साल 1991में लागू की गई. इसका बुरा प्रभाव पूरे अर्थव्यवस्था …

कांग्रेस के आपात काल से किस तरह लड़ा था संघ

[ देश भर में नफरत और हत्या की राजनीति करने वाला आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठनों ने 2014 में सत्ता काबिज करने के साथ ही देश को भय के माहौल में दफन कर दिया है. परन्तु इतिहास की एक तल्ख सच्चाई है कि नफरत और हत्या की राजनीति करने वाला आरएसएस दरअसल अपने बाजुओं का जोर हमेशा ही गरीब और …

क्या देश अमीरों के टैक्स के पैसे से चलता है ?

अक्सर उच्च मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग द्वारा यह कहा जाता है कि देश उनके पैसे से चल रहा है. वही लोग हैं जो सरकार को टैक्स देते हैं जिससे सारे काम होते हैं, ग़रीब लोग तो केवल सब्सिडी, मुफ़्त सुविधाओं आदि के रूप में उन टैक्स के पैसों को उड़ाते हैं. इस प्रकार ग़रीब आम जनता देश पर बोझ …

राज बादशाह का और हुक्म कम्पनी बहादुर का : सत्ता की पुलिस और पुलिस की सत्ता के बीच गुम लोगों की पुलिस

अंग्रेज अपनी सत्ता के “पाये-पाटी की चूलों” को ठीक से ‘टाईट’ भी नहीं कर पाए थे कि देश में 1857 के ग़दर से निबटने की चुनौती सामने खड़ी हो गयी. आजादी की मांग को, राष्ट्रद्रोह ठहराने का कानूनी जामा तैयार करना और फिर कानून के डंडे से आज़ादी की मांग को लेकर, सड़कों पर उतरने वालों की टांग तोड़ उनके …

मोदी सरकार की नई एमएसपी किसानों के साथ खुला धोखा

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल द्वारा चार जुलाई को मंजूर की गयी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा देश के किसानों के साथ खुला धोखा है. मोदी सरकार 2014 के चुनावों में किसानों से किये अपने चुनावी वायदे “लागत में C2+ के बाद उसमें 50 प्रतिशत मुनाफ़ा और फसल खरीद की गारंटी” से सीधे मुकर रही है. मोदी …

गफलत में है कांग्रेस ?

देश में आज जो राजनैतिक माहौल है, वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा के आम चुनाव तक, अगर उसमें कोई बहुत बड़ा बदलाव नही आया, तो देश का वोटर न चाहते हुए भी, सत्ता की बागडोर एक बार फिर बीजेपी को सौंप देगा और उसकी कोशिश होगी कि वर्ष 2014 में कांग्रेस जिस गहरे गड्ढे में गिर गयी थी, उससे वो …

भारतीय संविधान किसकी राह का कांंटा है ?

इस देश में गरीबों, वंचितों, शोषितों, पीड़ितों, दबे-कुचले-मसले दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों  के सामाजिक और राजनैतिक अधिकारों का संरक्षक यदि कोई है, तो सिर्फ वर्तमान “भारतीय संविधान” है, कोई राजनैतिक पार्टी नहीं. सत्ता में आने वाली हर राजनैतिक पार्टी संविधान की सौगंध लेती है कि वह उसके प्रावधानों के अनुसार राज्य  और समाज के कल्याण और व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा के …

शिक्षा को तबाह करती सरकार

1990 में जोमतीयन कॉन्फ्रेंस और उसके साल भर बाद भारत सरकार द्वारा नवउदारवाद के लिये दरवाजा खोलकर शिक्षा के बाजारीकरण का जो खेल प्राथमिक शिक्षा पर हमले के साथ शुरू हुआ था, अब वो उच्च शिक्षा तक आ गया है. मगर ये मानना भूल होगी कि सरकार ने जो तरीके प्राथमिक शिक्षा को ध्वस्त करने के लिए अपनाएं थे वही …

आदमखोर : आम आदमी का खून पीता नौकरशाह

[ दिल्ली में अपनी करारी हार को नहीं पचा पाने वाली केन्द्र की मोदी सरकार आम आदमी पार्टी को खत्म करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है. दरअसल मोदी सरकार को आम आदमी पार्टी के जनहितैषी नीतियों ने नींद हराम कर रखी है. तमाम भ्रष्टाचारियों और अपराधकर्मियों का अड्डा बन चुके भाजपा और मोदी सरकार को अरविन्द केजरीवाल …

1...322323324...333Page 323 of 333

Advertisement