2001 में एक मामूली पोलिटीकल मैनेजर को अचानक उठाकर गुजरात की गद्दी पर बिठा दिया था. तब उनकी उनकी योग्यता थी – ‘केशुभाई पटेल के विधायक तोड़ना, असन्तोष फैलाना और अपनी ही पार्टी के जीते हुए मुख्यमंत्री की गद्दी में पलीता लगाना !’ मोदी ने जीवन में एक पार्षदी नहीं लड़ी. कभी विधायक नहीं बने, कभी सदन का मुंह नहीं …
नफरत की बम्पर फसल काट रहे हैं मोदी…
