'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

विस्फोट शुद्धीकरण की पहली और आख़िरी शर्त है

जब तुम्हारे भावों को शब्दों के चिमटे से पकड़ कर काग़ज़ पर परोसना पड़े समझ जाओ कि समंदर के तल में कोई ज्वालामुखी फटी है अक्सर बच्चों को मैंने अपने दोनों हाथों को डैनों सा फैला कर मैदान में दौड़ते हुए हवाई जहाज़ का अनुभव करते हुए देखा है पानी के जहाज़ बनने के पहले हवाई जहाज़ बनने की ज़रूरत …

कब सहिष्णु थे आप ?

कौन से युग, किस सदी, किस कालखंड में, सहिष्णु थे आप ? देवासुर संग्राम के समय ? जब अमृत खुद चखा और विष छोड़ दिया उनके लिए, जो ना थे तुमसे सहमत. दैत्य, दानव, असुर, किन्नर यक्ष, राक्षस क्या क्या ना कहा उनको. वध, मर्दन, संहार क्या क्या ना किया उनका. तब थे आप सहिष्णु ? जब मर्यादा पुरुषोत्तम ने …

मोहन चंद

मोहन चंद एक क़मीज़ है जिसे रोज धोता है रोज सुखाता है रोज पहनता है सादा जीवन उच्च विचार का जीवित प्रतिरुप मोहन चंद करम चंद भारत नामक मुल्क की जनाकीर्ण सड़कों पर अक्सर दिख जाता है मजबूर मजदूर रोज घूमता है दिल्ली की सड़कों पर कल काम न मिलने की अपनी छुट्टी पर था आज सरकार की घोषित छुट्टी …

पृथ्वी

पृथ्वी मुझे अक्सर अपने नवजात को गोद लिए किसी मां की तरह दिखती है मेरे पास कोई अवयव नहीं है कि मैं उस तस्वीर में किसी समय हीन सत्य को ढूंढ लूं और एक काल्पनिक ईश्वर की तलाश में मंदिर के बाहर कंगाली भोज में शामिल हो जाऊं तुम्हारे पास लौटने के पहले मुझे रोज़ पार करना पड़ता है चांद …

जब पुरुष ने स्त्री को देखा

1 पुरुष ने देखा वह स्त्री से कमतर था पुरुष जब श्रेष्ठ होने को आतुर हुआ उसने अध्यात्म चुना अध्यात्म के लिए उसने सबसे पहले स्त्री को ही छोड़ दिया पुरुष उसी दिन स्त्री से हार गया था 2 स्त्री जब-जब आध्यात्मिक हुई उसने घर नहीं छोड़ा वह रात में सोते बच्चे छोड निकल नहीं आई उसने कष्टों को स्वीकार …

अपने-अपने भगवान

मैंने अपने धर्म के नारे लगाए उसने अपने धर्म के मैंने अपने भगवान का झंडा उठाया उसने अपने भगवान का बात बढ़ती ही चली गई और वहीं पहुंच गई जहां अक्सर पहुंचती है वो भी मारा गया मैं भी मारा गया घर उसका भी गया घर मेरा भी गया बड़ी मुश्किल से बचाए हमने अपने-अपने धर्म और अपने-अपने भगवान 2 …

भूखों को नींद कहां आती है

अब इस शहर में कोई भूखा नहीं सोएगा सबको मिलेगी दो वक्त की रोटी सिर पर छत हाथों को रोजगार आंखों को सपने साफ-सुथरी सड़कों पर हवा से बातें करेंगी गाड़ियां फ्लाइओवर ब्रिज जोड़ेंगे शहर के एक छोर को दूसरे से धरती, आसमान, पानी पर दौड़ेंगी कारें मिनटों में पहुंचेंगे एक सिरे से दूसरे तक अस्पताल होंगे सुसज्जित, सुविधा संपन्न …

हटो हटो पीछे निज़ाम तुम

हटो हटो पीछे निज़ाम तुम किसान बढ़ रहे आगे नहीं लड़ाई रुकेगी अब ये लोग जा रहे जागे तेरी तानाशाही को देंगे धक्के पर धक्के तेरी मनमानी के बुल्डोजर के थमेंगे चक्के खींचो खींचो पीछे क़दम तुम निज थूके को चाटो सैलाब नहीं फटेगा बीच से जितना भी तुम बांटो तीनों कृषि क़ानून को वापस लिये कि जो हैं काले …

समझाना

मैं समझा नहीं पाया मेरे द्वारा लाये गए क़ानून जनहित में हैं जनता नहीं मानी भड़का दिया विरोधियों ने जनता को. जनता को सेना की बूटें नहीं समझा पाईं रास्ते में तनी सीमेंटेड कीलें भी नहीं, मौंतें भी नहीं. तमाम आतंक ने नहीं समझा पाया जनता को हमारे दल जनता में गए उसे समझाने लेकिन जनता ने उन्हें भगा दिया …

तब बात करेंगे …

‘जय भीम’ देखकर क्या समझोगे साहब ? हम मुसलमान हैं ! हम अल्ताफ हैं ! हम रोज़ झेलते हैं ! हम कासगंज एटा में आपकी नफ़रत के चलते चुनी व्यवस्था का दंश झेल रहे हैं. एक दिन ये राक्षस आपके दरवाज़े पर भी नाचेगा ! तब बात करेंगे ! फरीदी अल हसन तनवीर [ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित …

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