बिरिंची खड़ा है. बिरिंची काफ़ी देर से चौराहे पर खड़ा है. लेबर चौक. उसके हाथ में कुदाली है. सुबह की ठंढी हवा उसके बदन को चीर रही है. उसके बदन पर तीन सालों पहले ख़रीदी हुई क़मीज़ है, जगह जगह फटी हुई और बदरंग. उपरी जेब में बीड़ी का एक बंडल है, जिसमें दो सुट्टे बचे हुए हैं. एक भी …
रामदर्शन पांडेय उर्फ बिरिंची
