'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लघुकथा

स्क्रिप्ट किसी गधे ने लिखा है

स्क्रिप्ट किसी गधे ने लिखा है. सीन 1 लांग शॉट में हावड़ा ब्रिज, भागती हुई सवारियां. बैक ग्राउंड से सायरन की आवाज. कैमरा मीडिल शॉट में आता है. एक चमचमाती विदेशी गाड़ी. कैमरा क्लोजप में शीशे के अंदर बन्द नेता जी का मुस्कुराता चेहरा. कट सीन 2 कैमरा मिडल शॉट. भागो, मारो का शोर. कट सीन 3 क्लोजप में फिर …

एकांगी नाटक : कुत्ते की मौत

देश की राजधानी दिल्ली के विहंगम प्रधान क्रिमिनल आवास की एक मनहूस सुबह. पोर्श में एक-एक कर पांंच गाड़ियांं आकर रुकती हैं. अंदर बड़े से हॉल में क्रिमिनल इन चीफ़ दबे हुए उत्तेजना में चहलक़दमी कर रहा है. वह ध्यान रख रहा है कि उसके लिए बने व्यक्तिगत टॉयलेट से बहुत दूर नहीं भटके. पिछले पांंच दिनों से सिंधु बॉर्डर …

छिनाल

‘हट छिनाल, ऐसे क्या देख रही है ?’ बत्तीस वर्षीय मोना को अपनी हमउम्र कामवाली सरिता का उसकी तरफ़ तिरछी नज़रों से देख कर रहस्य मय मुस्कान असहज कर जाता. सरिता लॉकडाउन के दौरान काम की तलाश में मोना के पास आई थी. पुरानी कामवाली, माया, माथे पर अपना संसार उठाए पैदल अपने गाँव की तरफ़ चल पड़ी थी बिरजू …

नीरव मोदी जब देश छोड़कर दुबई भाग रहा था…

नीरव मोदी जब देश छोड़कर दुबई भाग रहा था तब मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कस्टम को नीरव के बैगेज में प्रधानमंत्री मोदी की एक डेढ़ फुट की मूर्ति मिली. ऑफिसर ने पूछा, ‘ये क्या है ?’ नीरव ने जवाब दिया, ‘ये क्या है !’ आपने गलत सवाल पूछा है ऑफिसर. ये पूछो कि ‘ये कौन है ?’ ‘ये मोदीजी है. …

रामदर्शन पांडेय उर्फ बिरिंची

बिरिंची खड़ा है. बिरिंची काफ़ी देर से चौराहे पर खड़ा है. लेबर चौक. उसके हाथ में कुदाली है. सुबह की ठंढी हवा उसके बदन को चीर रही है. उसके बदन पर तीन सालों पहले ख़रीदी हुई क़मीज़ है, जगह जगह फटी हुई और बदरंग. उपरी जेब में बीड़ी का एक बंडल है, जिसमें दो सुट्टे बचे हुए हैं. एक भी …

आप कब इस नफरत की नींद से बाहर आयेंगे ?

मैंने फैसला किया कि अब जब फेसबुक पर युद्ध का एलान हो ही चुका है तो चलकर पाकिस्तान का नामो निशान मिटाने के महान काम में मुझे भी अपना योगदान देना चाहिए.  मैं राजस्थान में गड़रियों के साथ मिलकर पाकिस्तान में दाखिल हो गया. पाकिस्तान में घुसने के बाद मैंने आस-पास नज़र दौड़ाई कि पाकिस्तान को बर्बाद करने की शुरुआत …

मुर्गी और काजी का इंसाफ

एक शख्स ज़िबाह की हुई मुर्गी लेकर कसाई की दुकान पर आया और कहा – ‘भाई जरा इस मुर्गी को काट कर मुझे दे दो.’ कसाई बोला : ‘मुर्गी रखकर चले जाओ और आधे घंटे बाद आकर ले जाना.’ इत्तिफ़ाक़ से जरा देर बाद ही शहर का काज़ी कसाई की दुकान पर आ गया और कसाई से कहा : ‘ये …

काग़ज़ के दोने

‘खुड़ी मांं, घर में हो ?’ ‘के रे ?’ शांति अपनी दुर्बल, बूढ़ी काया को खटिया से खींचकर लकुटिया के सहारे कमरे के आबनूसी काले दरवाज़े तक लाती है. ‘अरे विष्णु, कितने दिनों बाद आया. आ, अंदर आ जा, बैठ.’ ‘विष्णु, कितना बूढ़ा लगता है रे ! ठीक से खाना नहीं खाता क्या ?’ सन 1972 में जब शांति बांग्लादेश …

निवाला

रात का तीसरा पहर था. शहर के इस हिस्से में काली रातें भी चमकतीं हैं. नहीं नहीं, रोशनी से नहीं, शहर के दिल की रोशनियां तो क़रीब दो मील दूर ही दम तोड़ देतीं हैं. यहां काला पन के चमकने की वजह एक नदी है. किसी ज़माने में शहर इसी नदी के पास बसा था. अब यह नदी सारे शहर …

आज़ादी की मिठाई

मैं डिंकू मुंडा, बाप सिंकू मुंडा, जंगल निवासी, अनपढ़, ग़रीब, जंगली कंद मूल पर जीने वाला हूंं. वे कहते हैं मैं भी आदमी जैसा दिखता हूंं, तब भी, जब सिर्फ एक लंगोट में लिपटा मेरी हड्डियों का ढांंचा चमड़े को तोड़कर बाहर आने की कुलबुलाहट में दांंत निपोरे हुए किसी भिखारियों की बस्ती-सा दिखता है. मैं डिंकू मुंडा, बाप सिंकू …

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