Home कविताएं मुझे दाल गलानी आती ही नहीं

मुझे दाल गलानी आती ही नहीं

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मेरा ग्रामर ठीक नहीं है
वो मेरा लिक्खा पढ़ते ही नहीं
असल में
मेरा ग्रामर ठीक नहीं है

ग्रामर की कक्षा में, मैं
अक्सर बंक मार दिया करता था
और बाद ताउम्र
लोहा गलाता रहा

मैं क्या करूं
मुझे दाल गलाने आती ही नहीं

  • राम प्रसाद यादव

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