'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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आक्रोशित चीखें ऐसा कोलाहल उत्पन्न करती हैं, जिसमें सत्य गुम होने लगता है

जो मरे…वे गरीब किसानों या निम्न मध्यवर्गीय परिवारों के बेटे थे, जो देश के लिये प्राणों की आहुति देने की आकांक्षा से अधिक रोजगार पाने की लालसा में अर्द्धसैनिक बल में शामिल हुए थे. जिस युवक ने विस्फोटकों से लदा वाहन सिपाहियों की बस में टकरा कर खुद को भी उड़ा लिया और दर्जनों जाने ले लीं, उसका बाप साइकिल …

मुस्कुराकर आगे बढ़ जाना ही बिहारियत है

बिहारी गरीब होते हैं, गंदे होते हैं, बिहारियों को बोलने नहीं आता है, ‘र’ और ‘ड़’ में फर्क नहीं मालूम. कहां पर “स“ और कहा पर “श“ का प्रयोग करना है, बिहारियों को नहीं मालूम … बाकी शहरों में गंदगी फैलाये रहते हैं. कामचोरी और शेखी बघारना जानते हैं. धूर्त होते हैं. एक बिहारी ट्रेन हमारी … आदि आदि. “दूर …

अलीगढ़ एनकाउंटर की कहानी

अलीगढ़ एनकाउंटर की कहानी उस घर में कभी पुलिस नहीं आयी थी. दो लड़के पड़ोस के हाजी के यहां कढ़ाई का काम करते थे. एक कपड़े की दुकान में नौकरी करता था. मुहल्ले की तमाम औरतें भी घर मे कढ़ाई करती थी. उनको वो कच्चा माल देने और तैयार माल लेने जाता था. किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की. …

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