'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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यह सरकार है या डाकू

[ प्रस्तुत आलेख माओवादियों द्वारा 30 जून, 2018 ई. को जारी किया एक पर्चा है, जिससे सशस्त्र आन्दोलन के प्रति उनकी दृढ़ता का पता चलता है. इसके साथ ही इस आलेख से यह पता चलता है कि उसकी भारतीय संसदीय राजनीति पर कितनी गहरी समझ रही है, इसकारण देश में आये दिन हो रहे माओवादी-पुलिस वारदात में जाती जानें और …

विश्व बैंक और रघुराम राजन के हवाले से अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कितना सही ?

इसे त्रासदी माना जाए या प्रहसन कि कल से न जाने कितने खुद को ‘मार्क्सवादी’ कहने वाले विश्व बैंक और रघुराम राजन के हवाले से अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. मुझे नहीं मालूम कि इन्होंने विश्व बैंक या रघुराम राजन के बयानों को पूरा पढ़ने या समझने की कोशिश की भी या नहीं, या …

इतिहास से – दलाली और गुंडई ही है हिदुत्व के ठेकेदारों का पेशा

  जोधा अकबर आई ! राजपूत संस्थाएं उग्र हो उठी ! फिर लेन-देन कर समझौता कर ली. फिल्म हिट रही. कई अवार्ड भी जीती ! अब पद्मावती आई ! राजपूत संस्थाओं की अस्मिता फिर दांव पर लग गई. कुछ ले-देकर फिर सेट हो गया सब कुछ ! क्या आपको अब भी कुछ समझ नहीं आया ? तो आप सचमुच बड़े …

ऑस्ट्रेलिया में होमलेस जीवन-पद्धति की एक झलक

ऑस्ट्रेलिया में होमलेस लोग भी रहते हैं. जरूरी नहीं कि जो होमलेस है वह मजबूर ही है. होमलेस होना लोगों के द्वारा अपने जीवन में चुनी गई प्राथमिकताओं के कारण भी हो सकता है. होमलेस होना लोगों के द्वारा सरकार द्वारा सुविधाओं का सवेच्छा से न लिया जाना भी हो सकता है. अरबों रुपए की संपत्तियों का वारिस भी अपनी …

ढोंग : हम व हमारे समाज की बेहद बीमार मानसिकता

दरअसल हम भारतीयों को अपना जीवन जीने से अधिक दूसरे अपना जीवन हमसे कमतर जीने वाली बीमार मानसिकता के साथ जीने में जीवन का सार अधिक दीखता है. हमारी विनम्रता का ढोंग, हमारे अच्छे होने का ढोंग, हमारे संवेदनशील होने का ढोंग, हमारे सामाजिक होने का ढोंग इत्यादि-इत्यादि हमारी इसी बीमार मानसिकता के कारण होता है. हम इतने बीमार हैं …

सेना, अर्द्धसेना और पुलिस जवानों के नाम माओवादियों की अपील

[ देश में गृहयुद्ध का माहौल बन चुका है. एक ओर अंबानी-अदानी की सेवा में चाकरी करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की तमाम सम्पदा, संसाधन अंबानी-अदानी के चरणों में डाल चुका है. तकरीबन 14 लाख करोड़ से ज्यादा रूपया इन लुटेरों का माफ कर चुकी यह केन्द्र सरकार और ज्यादा पैसों के लिए आरबीआई को रोजाना धमका रही है. जनता …

इतिहास से नफरत और नफरत की राजनीति !

अलाउद्दीन खिलजी को हिंदी फिल्म पद्मावती में नकारात्मक चरित्र में दिखाया गया है. इससे पहले तो एक जअ सीरियल में उसे सेक्स मेनियाक और अर्धपागल जैसा दिखाया जा चुका है, और देखिए फ़िल्म निर्माता निर्देशक को पीट कौन रहा था ? … करणी सेना ! फ़िल्म रोकने के लिए विरोध में कोर्ट कचहरी कौन गया ? … हिन्दू राजपूत संस्थाएं …

चीनी माल और देशभक्त बहिष्कार !

दोस्तों, आजकल सोशल साइट्स पर आपकी देशभक्ति चीनी झालर और चीनी पटाखों के इस दीपावली पर प्रयोग न करने पर आंकने का निर्देश कमलगट्टों, भक्तों, गुबरैलो, संघियों की ओर से जारी किया जा रहा है. आपकी देशभक्ति को आंकने वाले इन भक्तों से ये सवाल कीजिये ! उनसे पूछिये अगर चीन का माल खरीदना, चीन से सम्बन्ध रखना, चीन यात्रा करना, …

भारत का नीरो !

एक समय था कि वी पी सिंह बोफोर्स में दलाली चिल्लाते हुए राजीव सरकार से बाहर निकल आये थे. देश का सारा विपक्ष उनके पीछे आ खड़ा हुआ था. देश की बहुसंख्य जनता ने उनके बताए तथ्यों पर यकीन किया था. राजीव गांधी उस आरोप को झेल नहीं पाए और फिर कभी जीते जी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच …

भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का शुरुआती दौर, सर्वहारा आंदोलन और भगत सिंह

रूस की सर्वहारा क्रांति के प्रभाव में बम्बई, लाहौर, कलकत्ता व मद्रास में कम्युनिस्ट ग्रुपों का गठन हुआ. बम्बई में डांगे, घाटे, जोगलेकर व मिराजकर प्रमुख नेता थे. कलकत्ता में मुजफ्फर अहमद, राधा मोहन गोकलजी, अब्दुल रज्जाक खान प्रमुख नेता थे. लाहौर में अब्दुल माजिद हसन व रामचंदर प्रमुख नेता थे तथा मद्रास में एस. चेटियार तथा कृष्णास्वामी आयंगर प्रमुख …

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