'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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आधारः ट्राई अध्यक्ष की निकली हेकड़ी

आधार की सुरक्षा को लेकर ट्वीटर पर खुलेआम चैलेंज करते हुए जब ट्राई चीफ ने अपना आधार नंबर सार्वजनिक किया तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि महज घंटे भर के भीतर हैकर उनकी हेकड़ी निकाल बाहर कर देगा और वह खुद खतरे में आ जायेंगे. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्वीटर पर …

जेएनयू के खिलाफ षड्यंत्ररत् क्यों है आरएसएस ?

[ जेएनयू देश का अकेला विश्वविद्यालयहै जिसके डस्टबिन तक की जांच कर भाजपा नेता ने कंडोम की गिनती की है और देश भर में बदनाम करने का दुश्प्रचार चलाया है. इतने बड़े और भयानक दुश्प्रचार के बाद भी अगर जेएनयू देश की शैक्षणिक जगत में चट्टान की तरह खड़ा है तो वह जेएनयू की लोकतंत्र के प्रति गहरा विश्वास और …

हर सम्भव तरीक़े से पूर्ण स्वतन्त्रता – भगत सिंह

अमृतसर कॉन्‍फ्रेंस में जिन बातों का बहुत झगड़ा हुआ और बहस हुई, उनमें से एक सबसे अधिक ज़रूरी और महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि कांग्रेस का उद्देश्य हर सम्भव तरीक़े से ‘अंग्रेज़ी राज से बाहर पूर्ण स्वतन्त्रता’ प्राप्त करना हो. प्रस्ताव पास हो गया और बड़े-बड़े नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफ़े दे दिये और धमकियां देनी शुरू कर दीं और …

भगवा परचम उठाये लोग भगवा का ककहरा भी नहीं जानते

[ भारतीय राजनीति के वर्तमान परिद्रश्य को समझने के लिए हमें अपने अतीत में झांकना होगा. एक ऐसा धुप्प अंधेरा अतीत, जिसमें झांकने के लिए इतिहास की रौशनी की कोई भूमिका नहीं है. यह एक ऐसा अतीत है, जिसे इतिहास ने नहीं, “मान्यताओं के प्रति हमारी अटूट आस्थाओं” ने बनाया है. इसी विषय पर प्रख्यात विचारक और राजनीतिक विश्लेषक विनय …

साधु-सन्यासियों से क्यों घबराता है आरएसएस

[ हिन्दुत्ववादी संगठनों का, जो अपने आप को हिन्दू धर्म के ठेकेदार के रूप में प्रस्तुत करते हैं, को हिन्दू धर्म के सिद्धांतों या भावना से क्या लेना देना है ? बल्कि कई मायनों में, जैसे हिंसा को गौरवान्वित कर, तो ये हिन्दू धर्म की छवि को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. हिन्दू के नाम पर भड़काये जा रहे …

अवारागर्द किस्म के व्यक्ति थे गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे

in :  गेस्ट ब्लॉग
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[ नाथूराम एक टपोरी किस्म का व्यक्ति था जिसे कतिपय हिंदू उग्रवादियों ने गांधी की हत्या के लिए भाडे पर रखा हुआ था. जेल में उसकी चिकित्सा रपटों से पता चलता है कि उसका मस्तिष्क अधसीसी के रोग से ग्रस्त था. इस किस्म के टपोरियों को जो आर एस एस और वर्तमान भाजपाई सत्ताधारी जब महान देशभक्त कहकर महिमामंडन करता …

लिंचिंग : घृणा की कीचड़ से पैदा हिंसा अपराध नहीं होती ?

[ कांग्रेस से इतर बीजेपी संगठन में एक विशेषता है. बीजेपी के राजनैतिक दर्शन की ढलाई आरएसएस करती है और जमीन पर चुनाव बीजेपी लडती है. दोनों सिक्के के “हेड और टेल” की तरह, एक दूसरे की तरफ पीठ किये खड़े नजर आते हैं. दोनों के बीच एक दीवार होते हुए भी बाजार में चलते साथ साथ हैं. देश के …

चुनावी साल और स्विस बैंक का बीज-मंत्र

भारत की राजनीति जितनी उलझी हुई है, कालेधन के साथ यहां के राजनीतिज्ञों व राजनीतिक दलों का सम्बन्ध उतना ही उलझा हुआ है. भारत का कोई भी राजनीतिक दल और कोई भी नेता बिना कालेधन के सहारे अपनी सियासी विजय गाथा लिख ही नहीं सकता. यही वजह है कि कोई भी दल जब सत्ता में आता है तो कालाधन उसके …

संसदीय वामपंथी : भारतीय सत्ताधारियों के सेफ्टी वॉल्व

ramayan अरूण श्रीवास्तव : अपने नेताओं की, धार्मिक आयोजनों में भागीदारी को बहुत से वामपंथी, सही ठहराने की कोशिश करते हैं. पर एक मार्क्सवादी अच्छी तरह जानता है कि यह आचरण अवसरवादिता के अलावा और कुछ भी नहीं है और एक कम्युनिस्ट के लिए पूरी तरह अस्वीकार्य है. नेता, संगठन की चेतना का मूर्त रूप होता है. सच्ची कम्युनिस्ट पार्टी …

आखिर क्यों हम इन केंद्रीय बैंकरों के गुलाम बने बैठे हैं?

[ जब अंकल सैम के सेंटा क्लॉज का हैदराबाद में स्वागत किया जा रहा था तब हमने आपसे एक सवाल पूछा था: “जब बोलीविया जैसे देश केंद्रीय बैंकरों से स्वतंत्रता की घोषणा कर सकते हैं तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता है? कृपया मुझे बताएं कि हम केंद्रीय बैंकरों के दास क्यों बने बैठे है ?” इस लेख में …

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